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कैंची धाम

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जानकारी

कैंची धाम नैनीताल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है जहाँ श्रद्धालु देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी आते है। अध्यात्म का केंद्र माने जाने वाला कैंची धाम समर्पित है नीब करोरी बाबा को, जो मुख्यतः प्रसिद्ध है नीम करोली बाबा के नाम से। महाराज जी की ख्याति प्राप्त नीम करोली बाबा हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे, जिसके चलते धाम में हनुमान जी के साथ भगवान राम और माता सीता की मूर्ति भी स्थापित की गई। ऐसी मान्यता है जो भी श्रद्धालु भक्ति भाव और सच्चे मन से बाबा के इस धाम में उनका और हनुमान जी का अनुसरण करते है उनकी सभी मनोकमना पूर्ण होती है। ऊँचे हरे भरे पहाड़ो के बीच दो तीव्र घुमावदार वाले मोड़ के मध्य स्थित यह मंदिर कैंची की तरह प्रतीत होता है, जिसके चलते इसे कैंची धाम के नाम से भी जाना जाता है।
 

कोसी नदी के निकट बसे इस धाम के चारो और की सुंदरता देखते ही बनते है, विशेषकर सुबह और शाम के समय। धाम का शांत वातावरण श्रद्धालुओं को परमात्मा से जुड़ने और महाराज जी की भक्ति हेतु एक उत्तम स्थान बनाता है। उनकी शिक्षाएँ बेहद ही सरल हैं, जैसा कि वे अक्सर कहते थे, सब एक है। सभी से प्रेम करो, सभी की सेवा करो, ईश्वर को याद रखो और सच बोलो, यही उनकी शिक्षाएँ हैं जो वे सभी को सिखाते थे।
 

हनुमान जी के अवतार

बताया जाता है की नीम करोली बाबा दिव्य शक्ति के धनी थे। उनकी भगवान हनुमान के प्रति निष्ठा और भक्ति देखते हुए उन्हें भगवान हनुमान का अवतार तक कहा जाता था। बताते है की अपने देह त्यागने से पूर्व महाराज के अंतिम शब्द थे जया जगदीश हरे। महाराज जी के देह त्याग देने के पश्चात कैंची धाम में एक मंदिर का निर्माण किया गया। 15 जून 1976 को पूरे हर्षो उल्लास के साथ मंदिर का उद्घाटन किया गया जिसमे हनुमान जी और महाराज जी की मूर्ति की स्थापना की गई। धाम में मंगलवार की अपनी एक महत्ता है क्यूंकि यह दिन भगवान हनुमान का भी प्रिय है और इसी दिन धाम में महाराज जी की मूर्ति भी स्थापित हुई थी। अन्य दिनों की तुलना में मंगलवार को धाम के बाहर श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ देखने को मिलती है।
 

चर्चित हस्तियाँ

उत्तर प्रदेश के अकबर पुर गांव में जन्मे नीम करोली बाबा का असल नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था। एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे नीम करोली बाबा मात्र 11 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़कर धार्मिक साधु बनने की यात्रा पर निकल पड़े। अपनी गहरी आध्यात्मिकता और दिव्य शक्ति के चलते जल्द ही उन्हें महाराज जी के नाम से पहचाने जाने लगा। उनके द्वारा किये दिव्य चमत्कारों के चलते उन्हें देश भर में अनेक नाम से पहचाना जाता है। उनकी ख्याति के बारे में सुनकर देश विदेश की कई चर्चित हस्तिया उनसे मिलने उनके आश्रम पहुंची। उनके आश्रम एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स और जूलिया रॉबर्ट्स के साथ अन्य कई नामचीन हस्तियां आ चुकी है। वहीँ वर्ष 2008 के दौरान फेसबुक (मेटा) के संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग भी नीम करोली के इस आश्रम में पधार चुके है।
 

कहते है पास ही की एक गुफा में महाराज जी तप के साथ अपने आध्यात्मिक विचारो को ज्ञान बांटते थे। अपनी आध्यात्मिकता का प्रचार प्रसार करने, अपने उपदेशो और शिक्षाओं से लोगो का मार्गदर्शन करने के बाद, महाराज जी ने सितम्बर 10, 1973 को वृन्दावन में अपना देह त्याग दिया। बाबा जी की मृत्यु पश्चात वर्ष 1964 में धाम के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई और वृन्दावन में उनकी एक समाधी स्थल का भी निर्माण किया गया। हालाँकि उनके अस्थि कलश को वृन्दावन के स्थान पर कैंची धाम स्थित उनके आश्रम में रखा गया था, जहाँ श्रद्धालु उनकी पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करते है।
 

वार्षिक मेला

प्रत्येक वर्ष 15 जून को कैंची धाम में क वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। इस विशेष दिन को आश्रम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका चुनाव स्वयं महाराज जी द्वारा किया गया था। इसी विशेष दिवस पर मंदिर में महाराज जी की मूर्ति के साथ अन्य देवी देवताओ की मूर्तियों की स्थापना की गई थी। पूरे हर्षो उल्लास के साथ मनाए जाने वाले इस वार्षिक मेले में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ देखी जाती है।
 

दर्शन करने का समय

वैसे तो कैंची धाम मंदिर श्रद्धालुओं के लिए वर्ष भर खुला रहता है लेकिन मंदिर में प्रवेश निर्धारित समयानुसार ही दिया जाता है। बताए गए समय में ही श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जाता है।

गर्मियों मेंसुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक
सर्दियों मेंसुबह 7 बज से शाम 6 बजे तक

पार्किंग शुल्क

श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के निकट ही पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है, जिसके लिए उन्हें निर्धारित शुल्क देना होता है।

दुपहिया वाहन50 रूपए
कार120 रूपए
रात में (सभी गाड़ियों पर लागु)दिन में लिए जाने वाले शुल्क का दुगुना 

ठहरने की व्यवस्था

कैंची धाम में श्रद्धालुओं के ठहरने की विशेष प्रबंध है। मंदिर के धर्मशाला में रात्रि विश्राम के लिए मंदिर समिति को पहले से अवगत करवाना होता है, जो की अधिकतम तीन दिन की अवधि के लिए दिया जाता है। धर्मशाला में ठहरने की अनुमति न मिलने की स्थिति में श्रद्धालु धाम के निकट उपलब्ध होमस्टे, होटल्स, गेस्ट हाउस और रिसोर्ट में अपनी व्यवस्था कर सकते है। मंदिर के निकट रूम ना मिलने की स्थिति में आओ धाम से 8 किमी दूर भोवाली में भी रहने की व्यवस्था कर सकते है। धाम के निकट उपलब्ध कुछ प्रमुख विश्राम घर इस प्रकार से है : -

  • अमर वैली रिसोर्ट।
  • गुरु कृपा गेस्ट हाउस।
  • कैंची डिवाइन रिट्रीट
  • बाबा बेनीसों रिसोर्ट एंड रेस्टोरेंट।
  • एनसोबेर कैंची धाम। 
     

यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

  • छुट्टियों के दौरान विशेषकर मार्च से जून एवं दिसंबर से जनवरी के मध्य यात्रियों को सड़क पर जाम एवं धाम में अत्यधिक भीड़ का सामना करना पड़ सकता है।
  • छुट्टियों के दौरान विशेषकर सप्ताहांत के समय धाम में आने से बचे।
  • धाम के निकट ही यात्रियों के लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।
  • अपने ठहरने की व्यवस्था पहले से कर ले, अन्यथा अंतिम समय में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
  • ट्रैफिक से बचने के लिए धाम में सुबह जल्दी आने का प्रयास करे।
  • मंदिर में प्रवेश करने से पहले सड़क किनारे ही जूते रखने का विशेष इंतजाम है।
  • मंदिर प्रांगढ़ में किसी भी प्रकार की फोटो और वीडियो बनाना सख्त मना है।
  • धाम में महाराज जी और हनुमान जी पर चढ़ाए जाने वाले बेसन और बूंदी के लड्डू मंदिर के बाहार आसानी से मिल जाते है।
  • मंदिर के बाहर बिकने वाली चीजे मुख्य तौर पर महंगी उपलब्ध होती है।
  • मोबाइल नेटवर्क की सुविधा न होने के चलते, श्रद्धालु अपने साथ कॅश अवश्य रखे।
     

नजदीकी आकर्षण

श्रद्धालु धाम में दर्शन करने के पश्चात अन्य प्रसिद्ध पर्यटक स्थल पर भी जा सकते है , जैसे की : -

  • नैनी झील।
  • नैना देवी मंदिर।
  • भीमताल झील।
  • नौकुचियाताल झील।
  • लोहाखाम ताल
  • टिफिन टॉप।
  • नैनीताल ज़ू।
  • मुक्तेश्वर।
  • सातताल।
  • भोवाली।
  • पंगोट।
  • खुर्पाताल झील।

यहां कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से : - उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। धाम की दूरी नैनीताल से लगभग 20 किमी, हल्द्वानी से 45 किमी और देहरादून से 299 किमी की है। यह पवित्र स्थान सड़क मार्ग से भली भांति जुड़ा हुआ है, जहाँ यात्री बस, टैक्सी, कैब, निजी वाहन के माध्यम से आ सकते है। राज्य परिवहन की बस केवल नैनीताल बस स्टैंड तक ही उपलब्ध रहती है जो देहरादून आईएसबीटी और हरिद्वार बस स्टैंड से आसानी से उपलब्ध हो जाती है। नैनीताल बस स्टैंड से सभी यात्री बस या टैक्सी के द्वारा धाम पहुँच सकते है। सीधे धाम तक पहुंचने के लिए यात्रियों को निजी टैक्सी बुक करना आवश्यक है।
 

रेल मार्ग से : - धाम के निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जो लगभग 43 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन और दिल्ली जंक्शन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। स्टेशन से यात्रियों के लिए विशेष बस सेवा और टैक्सी की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।
 

हवाई मार्ग से : - इसके नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है जो मंडी से करीब 71 किमी की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से धाम तक जाने के लिए टैक्सी और नजदीकी बस स्टैंड से बस की सुविधा उपलब्ध है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

श्रद्धालुओं के लिए धाम वर्ष भर खुला रहते है लेकिन सबसे उत्तम समय धाम जाकर महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का सितम्बर से जून का माना जाता है। इस दौरान विशेषकर छुट्टियों के समय धाम में श्रद्धालु की अधिक संख्या का सामना करना पड़ सकता है, जिससे यात्रियों को थोड़ी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है।

समुद्र तल से ऊँचाई

समुद्र तल से कैंची धाम की ऊंचाई लगभग 2,286 मीटर है जो लगभग 7,500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है।

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

निकट के घूमने के स्थान

KM

जानिए यात्रियों का अनुभव