गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा चमोली शहर अपनी सुंदरता और प्राचीन मंदिरो के लिए जाना जाता है। देहरादून से इसकी दूरी 254 किमी वही राजधानी दिल्ली से 439 किमी की है। राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा यह शहर सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है, जहाँ आप बस व टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते है। यहाँ स्थित पवित्र स्थल इस शहर को प्राकृतिक और भक्ति का एक अद्भुत मिश्रण बनाते है। संस्कृत के शब्द चंद्रमोली से बना है चमोली जिसका अर्थ है सर पे चाँद को धारण करने वाला जो की भगवान शिव को दर्शाता है।
चमोली जिले में वैसे तो कई शहर है जो अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है लेकिन चमोली शहर उनमे कुछ महत्व रखता है। शहर की खूबसूरती इसकी धार्मिक महत्ता के साथ मिलकर इसेऔर खूबसूरत बना देती है, जिसके चलते काफी संख्या में लोग भगवान के दर्शन के साथ इसकी खूबसूरती निहारने आते है। इसकी स्वर्ग जैसे सुंदरता और धार्मिक स्थानों के चलते इसे भगवान का घर भी कहा जाता है। यहाँ आपको हिन्दू धर्म से जुड़े कई धार्मिक स्थल है, जिनकी अपनी विशेष महत्ता है, इन सबमे भगवान हरी को समर्पित और चार धामों में से एक, स्वर्ग का द्वार कहे जाने वाले "बद्रीनाथ मंदिर" विशेष है।
प्रत्येक वर्ष हजारो की संख्या में श्रद्धालु भगवान हरी का आशीर्वाद और अपने पापो के प्रायश्चित हेतु यहाँ आते है। वर्ष 1960 में पौड़ी गढ़वाल से अलग हुए चमोली को एक नया जिला बनाया गया। शहर की खूबसूरती और इसकी हवा में घुली धार्मिकता आपको शहर में प्रवेश करने पर महसूस हो जाएगी। इसके मिलो तक फैले ऊँचे हरे भरे पहाड़ और मनमोहक नज़ारे आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। राज्य के अन्य हिस्सों की तरह यहाँ भी कई शासको ने शासन किया, जिनमे कत्यूरी वंश विशेष थे। बताया जाता है की उनके शासन के दौरान ही हिन्दू गुरु आदि शंकराचार्य जी ने यहाँ ज्योतिर्मठ की स्थापना की।
ऐतिहासिक रूप में चमोली को पहले केदार खंड के रूप में जाना जाता था और पुराणों के अनुसार केदार खंड को ही भगवान का घर बताया गया है, जिसमे विशेष रूप से भगवान शिव का वर्णन किया गया है। किवंदती बताते है की प्रसिद्ध महाभारत और रामायण के धर्मग्रंथ केदार खंड में ही लिखे गए थे। बद्रीनाथ से कुछ किमी की दूरी पर स्थित माणा गांव में वेद व्यास जी की गुफा काफी प्रसिद्ध है। कहते है की इसी गुफा में भगवान गणेश जी ने वेद के पहली लिपी लिखी थी साथ ही वेद व्यास जी ने महाभारत की पटकथा भी इसी गुफा में लिखी थी, जिस वजह से इस गुफा को वेद व्यास गुफा के नाम से पहचाना जाने लगा।
यहाँ की ज्यादातर लोक-कथा और किस्से महाभारत और रामायण के समय से जुड़े हुए है। बताते है की राजा पाण्डु की तपस्थली यहाँ स्थित पांडुकेश्वर नामक गांव है, जिस वजह से इस गांव को उनके नाम पर रखा गया है। यहाँ आपको प्रतिष्ठित ऋषि, अत्री मुनी जी का आश्रम अनुसूया में और ऋषि कश्यप जी का आश्रम गंधमादन में स्थित है। चमोली शहर की खूबसूरती निहारने के पश्चात आप इसके निकटम कुछ अन्य प्रसिद्ध स्थानों पर भी जा सकते है, जिनमे औली, फूलो की घाटी, हेमकुंड साहिब जी, और माणा गांव विख्यात है।
करीब 2,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित औली से आप देश की दूसरी सबसे ऊँची चोंटी नंदा देवी को देख सकते है। यहाँ पड़ने वाली बर्फ इसके खूबसूरत से बुग्याल को बर्फ की मोटी चादर से ढक देते है, जिसमे आप स्कीइंग का भरपूर आनंद ले सकते है। इसके साथ ही आप यहाँ स्थित फूलो की घाटी में 600 से भी अधिक प्रजाति के फूल और पौधों को निहार सकते है। इसके अलावा सिक्खो के पवित्र स्थल हेमकुंड साहिब जी में मत्था टेकना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
इन सबके विपरीत यहाँ स्थित "माणा" गांव जिसे देश का पहला गांव भी कहा जाता है अत्यधिक कारणों से ख़ास है। प्रकृति के नजारो से सराबोर माणा गांव अपने अद्भुत किस्सों के लिए जाना जाता है। वर्ष 2021 से पहले देश का आखरी गांव का दर्जा प्राप्त इस गांव का वसुंधरा झरना और सरस्वती नदी काफी प्रमुख माने जाते है। भगवान हरी को समर्पित वसुंधरा झरने का जल बेहद ख़ास है, बताते है यदि इसका जल किस भी व्यक्ति के ऊपर गिरता है तो उक्त व्यक्ति की आत्मा बेहद ही साफ और पवित्र है और ऐसा न होने पर उक्त व्यक्ति की आत्मा बेहद ही अपवित्र समझी जाती है। पास में ही बहने वाली सरस्वती नदी अपने आप में बेहद ख़ास है।
किवंदती बताते है की एक समय वेद व्यास जी महाभारत की कथा गणेश जी को सुना रहे थे लेकिन नदी के तेज बहाव के शोर से वह सुना नहीं पा रहे थे। इसके लिए वेद व्यास जी ने सरस्वती नदी जी से प्राथना करी की वह अपने वेग को शांत करे। उनकी इस प्राथना को अनसुना करने पर ऋषि वेद व्यास जी ने उन्हें श्राप उस स्थान से अंतर्ध्यान होने का श्राप दे दिया, जिसके चलते वह नदी पाताललोक से बहकर सीधा प्रयागराज में प्रकट हुई, इसी के चलते सरस्वती नदी को गुप्त गामिनी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।