विश्वभर में पहाड़ो की रानी के नाम से मशहूर मसूरी या कुछ लोग इसको मन्सूरी भी कहते है भारत के उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून शहर से मात्र 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यह पर्यटक स्थल अपनी प्रकृति सुंदरता, शांत वातावरण और साफ़ हवा के लिए प्रसिद्ध है। हर साल लाखो की संख्या में पर्यटक यहाँ अपने परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियाँ बिताने के लिए आते है। इतना ही नहीं इस स्थान से आपको प्रकृति का अद्भुत नजारा 'विंटर लाइन 'भी देखने को मिलती है, जो की दुनिया में स्विट्ज़रलैंड के बाद अकेली ऐसी जगह है। इसकी घुमावदार कैमल बैक सड़क आपको थोड़ा असहज महसूस करा सकती है पर मसूरी की सुंदरता के आगे सब असहजता दूर हो जाती है। यहाँ आप घूमने के लिए मसूरी की प्रसिद्ध मॉल रोड का लुप्त उठा सकते है जो दिन के समय प्रकृति के नज़ारे को दिखाता है और रात में दुकानों की
जगमगाती यह रोशनी और साथ में चलती ये ठण्डी हवा और कंपनी गार्डन जैसी जगह आपको घूमने को मिलेगी है। इतना ही नहीं यहाँ से आप पास की ही कुछ प्रसिद्ध जगह लाल टिब्बा यहाँ से आपको बड़ी दूरबीन से केदारनाथ और बद्रीनाथ के हिमालय पर्वत देखने को मिलते है, लंढौर, केम्पटी फॉल यहाँ पर आपको की धाराएं दखने को मिलेगी जो रास्ते बेहत ही आकर्षित लगती है जब आप इन झरनो के पानी के अंदर जाते हो यह पानी काफी ठण्डा देखने मिलेगा ज्यादा देर तक इसमें कोई भी नहीं नहा सकता इतना ठंडी पानी है झरने का और ऐसे ही आपको छोटे छोटे काफी झरने देखने को मिलते है व् शांति भरी जगह भी मानी जाती है,जॉर्ज एवेरेस्ट में आपको मॉनसून के दौरान काफी बदलो से ढका रहता है आसमान ऊपर और बादल निचे किसी स्वर्ग से कम नहीं है,गन हिल में आपको ट्रॉली यानि रोपवे के माध्यम से इसकी सेर कर सकते है जिससे आपको मसूरी के विहंगम नज़ारे देखने को मिलते है एक और मुख्य आकर्षण वाली जगह भद्राज मंदिर जो मसूरी से 16 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है ,बोद्ध धर्म को प्रकशित करने वाले दलाई लामा सबसे पहले तिब्बत में युद्ध के दौरान भारत के मसूरी के बिड़ला निवास में रह थे औरउनके साथ कुछ शरणार्थी भी आये और आज 5000 से ज्यादा सन्यासी रहते है बताया जाता है यहाँ हैप्पी वैली में सन्यासियों के लिए बनाया गया जिसमे शरणार्थि रह सके और यहाँ पर आपको बौद्ध की सुंदर प्रतिमा देखने को मिलती है जो पर्यटको को अपनी और आकर्षित करती है रात के साफ़ मौसम में मसूरी से देहरादून का नजारा आपका मंत्रमुग्ध कर देगा। मसूरी न केवल अपनी सुंदरता के लिए बल्कि अपनी पढाई के लिए भी मशहूर है, यहाँ आपको वर्ल्ड क्लास शिक्षा प्रदान करने वाले कई स्कूल मिल जाएँगे।
मसूरी अपने में ही एक अनोखा शहर माना जाता है जहाँ पर हर साल देश विदेश से पर्यटक आते रहते है और यहाँ पर आपको जनवरी के महीने में बर्फ़बारी देखने को मिलती है और गर्मी के समय यहाँ का तापमान 15 डिग्री से 20 डिग्री तक ही पहुँच पाता है जिस कारण उस दौरान काफी ठण्डा रहता है
इतिहास - कैप्टन यंग एक सिपाही थे ब्रिटिश शासक के समय 1815 के दौरान इंग्लैंड से देहरादून आये थे जिसने ब्रिटिश शासन को आगे बढाया था हालांकि गोरखाओं के युद्ध दौरान उनके बंदी भी बने रहे लेकिन गोरखाओं का दिल भी जीता बाद मे जिसके अंतर्गत कैप्टन यंग ने गोरखा बटालियन राइफल बनाई जिसको आज पुरे उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि पुरे भारत में आज इसका नाम जाना जाता है पहले सहारनपुर इनके सिमा तक आता था फिर उनको देहरादून भेजा गया यहाँ की आय (रेवन्यू ) जानने के लिए और कैप्टन यंग को शिकार करने के शौकीन थे जिस कारण वह मसूरी जाया करते थे शिकार करने के लिए देहरादून आने के बाद कैप्टन को ऐसा लगा जैसे वह अपने घर वाली जगह पर आ गए हो क्योंकि यहाँ की जलवायु और वातावरण एक जैसा ही लगा तो उस दोरान मसूरी में शूटिंग बॉक्स बनाया था फिर यहाँ मिलिट्री
सेनेटोरियम बनाया गया जो 1827 में बनाया गया पहला सेनिटोरियमजिसको बाद में हॉस्पिटल में बदल दिया गया धीरे धीरे मसूरी में लोग रहने लगे एक तरह से मसूरी कैप्टन यंग द्वारा बसाया गया था और राजपुर में आपको यंग रोड देखने मिल जाएगी जो कैप्टिन यंग के नाम से बनाई गई है और मसूरी मलिंगार में एक झोपडी बनाई शिकार को काटने के लिए बाद में यहाँ पर घर भी बना लिया था व् देहरादून के जोसेफ अकेडमी के पास इन्होने घर बनाया था और उस दौरान ही हिल स्टेशन को स्थापित किये आज भारत में जितने हिल स्टेशन देखने को मिलेंगे उत्तर भारत हो या साउथ ,दक्षिण सारी जगह हिल स्टेशन बनाये थे जिनमे मसूरी पहला हिल स्टेशन बनाया था इनका उद्देश्य हिल स्टेशन बनाने का यह था सड़को की धुल सोर सराबे से दूर हो कोई एकांत जगह ,गर्मी, बरसांत बीमारयों से बचने हेतु क्योंकि अंग्रेज सबसे ज्यादा मानसून के दौरान मरते थे यह कारण था हिल स्टेशन पर सेनिटोरियम बनाने का और जहाँ पर सेनिटोरिम बना वह जगह आज लेंडोर हॉस्पिटल के नाम से जानी जाती है कैप्टन यंग भारत में लगभग 40 सालो तक रहे जिसके फिर आयरलेंड वापस चले गए बताया जाता है वह ब्रिटिश नहीं थे वह आइरिश थे जो ईस्ट इंडिया कंपनी फौज में शामिल हुए थे मसूरी में देखा जाये कैप्टन यंग का बहुत बड़ा योगदान रहा
चार दुकान यह दुकान भी ब्रिटिश शासन के समय की बनाई गई है और आज के समय शाम के समय यहाँ पर पर्यटक चाय की चुस्की लेते हुए प्रकृति के नज़ारो का भरपूर लुप्त उठाते है यह दुकाने मसूरी की बहुत खास दुकानों में से एक मानी जाती है
मसूरी में आने के लिए आपको उत्तराखण्ड के देहरादून शहर में आना पड़ेगा और अगर आप रेल मार्ग द्वारा आ रहे हो तो देहरादून रेलवे स्टेशन मसूरी 26 किलोमीटर की दूरी पर है ,बस मार्ग द्वारा देहरादून आई एस बीटी से 35 किलो मीटर व् जॉलीग्रांट एयर पोर्ट से 52 किलो मीटर है अगर आप किसी भी माध्यम से आ रहे हो मसूरी जाने के लिए आपको टेक्सी अन्य सुविधा मिल जाएगी जिससे आप प्रकृति के विहंगम दृस्ये देखते हुए वैसे आप मसूरी में साल में कभी भी सकते है लेकिन मानसून के दौरान (जुलाई अगस्त में ) आपको थोड़ी सावधानी बरतनी पड सकती है इसलिए सावधानी से आये और आपको मानसून के दौरान काफी सूंदर और मन को मनमोहित कर देने वाले प्रकृति के नज़ारे भी देखने को मिलते है चारधाम यात्रा के दौरान आपको यमुनोत्री जाते वक्त मसूरी का भरपूर लुप्त उठा सकते हो