हिमालय और शिवालिक पहाड़ियों,प्राकृतिक से भरा एक ऐसा जिला जहाँ पर आपको हर एक मौसम का लुप्त उठाने को मिलता है चाहे बर्फ़बारी वाला जगह हो या पहड़ो की वादियाँ ,ऊँचे ऊँचे झरने व् हरे भरे बुग्याल हो इसके पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण चारो तरफ घूमने के लिए आपको बहुत सूंदर सूंदर जगह मिल जाएगी यह जिला भारत के उत्तराखण्ड राज्य का देहरादून जिला जो उत्तराखण्ड की राजधानी भी है राष्ट्रीय दिल्ली से देहरादून की दुरी लगभग 252 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है उत्तराखण्ड पहले उत्तरप्रदेश में आता था सन 2000 ,1 नवंबर को अलग कर दिया गया था उत्तराखण्ड राज्य को बनाया गया देहरादून गढ़वाल मंडल में आता है
देहरादून में घूमने वाली जगह जो आपके लिए एक दम उत्तम है देहरादून आई एस बीटी से मात्र 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है बुद्धा टेम्पल यह टेम्पल एक शांति भरा व् आस्था का प्रतिक है यहाँ आप बौद्ध के मठ से आप पुरे देहरादून शहर 360 डिग्री तक देहरादून के विहंगम नज़ारे देख सकता देख सकते है साथ ही आपको बौद्ध टेम्पल में विश्व की सबसे ऊँचे स्पूत के 220 फिट की मूर्ति भी देखने को मिलती है ऐसे ही आपको रोचक तथ्य देखने को मिलते है
लच्छीवाला नेचर पार्क देहरादून शहर से मात्र 20 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है इस पार्क में बच्चो से लेकर बड़ो तक हर कोई इस नेचर पार्क का लुप्त उठा सकता है जहाँ पर आपको समर के समय सूंदर नदी में नहाने को ,बोट ,नेचर पार्क इत्यादि जगह देखने को मिलेगी ,फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI ) के नाम से जाना जाता है 1906 में निर्मित यह संस्थान इसमें देश विदेश से पढ़ने आते है और भारतीय सिनेमा की भी यहाँ पर काफी शूटिंग की आवाजाही रहती है और इसके आलावा यहाँ म्युसियम अलग अलग तरह के देखने को मिलेंगे देहरादून घंटाघर से मात्र 5.5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है,गुच्चुपानी (रोबर केव)नाम से जाना जाता है इस गुफा के अंदर आपको दो से तीन वॉटरफॉल देखने को मिलेंगे यह गुफा लगभग 600 मीटर तक की है बताया जाता है इस गुफा इस्तेमाल डाकू चोरी का सामान ब्रटिश शासन(सन 1800 तहत ) काल के समय सामान को गुफा के अंदर रखा जाता था इस कारण ही इस गुफा का नाम डाकुओं की गुफा रखा गया था और यह जगह बहुत खास बन चुकी है स्पॉट टूरिस्ट के लिए
सहस्त्रधारा एक ऐसी जगह जहाँ से निकलता है जड़ी बूटियों वाला पानी और ऋषियों की तपो भूमि इस पानी यह मान्यता है जिसको भी शरीर के बाहरी हिस्से या आप कह सकते चरम रोग हो कोई भी जो व्यक्ति इस पानी से स्नान क्र लेता है उसको इसकी समस्या से राहत मिल जाती है साथ ही मानसून के दोरान यहाँ के विहंगम नज़ारे आपको देखने को मिलते हैमसूरी जिसको पहड़ो की रानी भी कहा जाता है देहरादून घंटाघर से 28 किलोमीटर की दुरी पर स्थित यह किसी स्वर्ग से कम नहीं मसूरी में आपको बहुत स्पॉट मिल जायेंगे घूमने के लिए और जनवरी के समय आपको यहाँ पर बर्फबारी देखने को मिलती है जिसका आप भरपूर लुप्त उठा सकते हो समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 6 578 फिट(2005 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है यहाँ से यमुनोत्री व् गंगोत्री के लिए भी मार्ग जाता है मसूरी में एक हंटिंग प्लेस भी है जहाँ हुई थी इस जगह पर देश
विदेश से काफी भारी मात्रा में आपको पर्यटक देखने को मिलते है दूसरा चकराता हिल स्टेशन उत्तराखण्ड का एक ऐसा हिल स्टेशन जहाँ विदेशियों का आना वर्जित है केवल भारतियों का ही आगमन होता है चकराता एक ऐसी जगह है देहरादून की जहाँ सबसे ज्यादा और काफी देर(1 महीने तक )आपको बर्फ देखने को मिलती है चकराता में ऐसी भी जगह है समुद्र तल से ऊंचाई 2118 मीटर (6,949 फिट )जहाँ पर जनवरी से लेकर मार्च महीने के लास्ट तक बर्फ देखने को मिलती है व् आपको सूंदर बुग्याल जहाँ पर चारो तरफ ऊँचे ऊँचे बर्फीले पहाड़ों के हरे भरे घास के मैदान देखने को मिलते है और जौनसार की आपको अलग ही संस्कृति देखने को मिलेगी देहरादून से लगभग 90 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है इसके साथ ही आपको देहरादून में ऐसे घूमने के लिए स्पॉट काफी मिल जायेंगे देहरादून के चार सिद्ध पीठ पवित्र स्थल जहाँ पर रोजाना काफी श्रद्धालु देखने को मिलते है लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, मानक सिद्ध और मांडू सिद्ध मंदिर,देहरादून से 40 किलोमीटर दूर एक ऐसी जगह जहाँ पर आपको देखने को मिलेंगे देश विदेश से आये हुए अन्य प्रकार के पक्षी यह पक्षी जून से लेकर सितम्बर तक विदेश चले जाते है और बाकि के समय यहाँ पर यानि पोंटा रोड आसान बैराज ढकरानी में यह भी प्रकृति का अनोखा मंजर है , घंटाघर से 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित जिसको देहरादून का चिडया घर जिसको मालसी डियर पार्क कहा जाता है इस पार्क में काफी चिड़ियों की चंचनाहट,मोर की आवाज ,हीरन, चिता ,मगरमच्छ ,शतुरमुर्ग ,व् साँपो की अलग अलग प्रजातियां और साथ में मछलियों की काफी प्रजातियां देखने को मिलती है बच्चो के लिए लिए खलने हेतु काफी कुछ मिल जायेगा इस पार्क के अंदर और जंगल बीचो बिच मसूरी मार्ग पर स्थित है
इसका मौसम, प्रकृति, हरे - भरे परिवेश और शांति, देहरादून को रिटायर्ड व्यक्तियों के बीच एक पसंदीदा विकल्प बनाता है जो बसने की तलाश में हैं।देश भर में, देहरादून अपनी शिक्षा और सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें दून स्कूल और पेट्रोलियम विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख संस्थान हैं। इसके साथ ही, प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी, सिविल सर्वेंट अकादमी सहित कुछ प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र हैं(एलबीएसएनएए), राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी। ऐसा माना जाता है कि 17 वीं शताब्दी में सिख 7 वें गुरु के पुत्र राम राय जी ने यहां एक शिविर स्थापित किया था, जिसके कारण इस शहर को देहरादून के नाम से जाना जाने लगा था। देहरादून ने हमेशा अपनी सुंदरता, शांति, प्राचीन मंदिरों और ऐतिहासिक स्थानों के साथ पर्यटकों को मोहित किया है।
घंटाघर
उत्तराखण्ड की शान घंटाघर मानी जाती है इस घंटाघर का निर्माण अंग्रेजो शासन काल के प्रशिद्ध न्यायधीश लाला बलवीर सिंह उनके सुपुत्र और उस समय नगर के प्रतषिठत कुवंर आनंद सिंह ने 1948 में कराया था हालाँकि उस समय लोगो यह मंजूर नहीं था की क्लॉक टावर बलवीर सिंह के नाम से हो कुछ सालो तक विवाद चलता रहा इसका सुझाव श्रीमती सरोजनी नायडू ने इस घंटाघर का वित्तय वर्ष इस विवाद को निर्मल किया और इसका उद्धघाटन स्वर्गीय देश के प्रधानमंत्री रह चुके लाल बहादुर शास्त्री जी के नृतितव्य में सन 1953, 23 अक्टूबर की शाम 5 बजे किया गया था घंटाघर के निर्माण हेतु बलवीर सिंह के परिवार वालो ने उस दौरान 25000 का योगदान दिया था और अपने सभी परिजनों के नाम लिखाये थे घंटाघर पहले 4 कोणों का हुआ करता था और इसको अब 6 कोणों के आकार का कर दिया गया जिसकी खडियाल स्विजरलैंड से मंगाई गई है और इसके 6 कोणों के साथ 6 घड़ियाँ लगाई गई है जिसके अंतर्गत यह घडी लोगो की आवाजाही लोगो समय बताती है आज भी घंटाघर ऐसी जगह है जहाँ से तीन रास्ते अलग अलग है मुसूरी रोड, चकराता रोड,हरिद्वार रोड व् इसके बगल में ही आपको देहरादून का काफी प्रशिद्ध बाजार जिसको पलटन बजार कहते है और यह बाजार आपको ठीक घंटाघर के समीप देखने को मिलता इस बाजार में आपको हर प्रकार की दुकानें व् खाने,पीने, खरीदने तक सारी चीजे उपलब्ध है और साथ में आपको रात को जगमगाता यह घंटाघर और पलटबजार बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है
मौसम
देहरादून का मौसम आपको काफी अलग देखने को मिलेगा यहाँ पर होने वाली मानसून -जलवायु के समय या उपरांत में भी वैसे तो जल से लेकर सितम्बर तक बारिश का माहौल रहता है पर अत्यधिक बारिश जुलाई से अगस्त में ही देखने को मिलती है चारो तरफ हरियाई हरियालि ही हरियाली देखने को मिलती है और नवंबर से लेकर फरवरी तक आपको काफी ठंडी देखने को मिलती है ठण्ड के समय देहरादून बहुत सी जगहो पर तापमान -1 तक पहुँच जाता है ,अप्रैल से लेकर जून तक गर्मी होती होती है गर्मी का तापमान 20 डिग्री से लेकर 40 डिग्री तक देखने को मिलेगा कुल मिलकर देखा जाये तो देहरादून के तीनो मौसाम बहुत ही लाजावाबी ही देखने को मिलेंगे और साथ में एक मौसम जिसको सुहाना मौसम ये कुछ कुछ महीने के बिच में आता है जैसे अक्टूबर ,मार्च यह देहरादून सबसे अनमोल ( प्रिसीएस गोल्डन ) समय माना जाता है वैसे तो 12 महीने के 12 महीने लुप्त उठा सकते देहरादून के लेकिन यह महीने बहुत खास है
इतिहास
देहरादून में आपको ऐसी जगह मिल जाएगी जो इतिहास के पन्नो में छपी हुई है देहरादून को पहले के समय दून घाटी के नाम से भी जाना जाता था देहरादून से तक़रीबन 56 किलोमीटर दूर एक ऐसा स्थान जहाँ आपको देखने को मिलेगा भारत के चक्रवर्ती सम्राटअशोक की शिलालेख जिसमे एक बड़े पत्थर पर अलग प्रकार की भाषा में लिखा हुआ है जिसको पढ़ना नामुमकिन है साथ में अलग अलग प्रकार की मूर्तियां जिनकों भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के द्वारा निकाला गया इन छोटी छोटी मूर्तियों की अभीकल्पना (बनावट) ऐसी बनाई गई है जानो तो कितने राज छुपे है
ऐसे ही आपको कई रहस्य बन जगह देखने को मिल जाएगी देहरादून में जिसके इतिहास का कोई अंत नहीं है उनमे से ही कुछ मंदिर ऐसे है जिनकी मान्यता भाव और आस्था शर्धालुओं में अंदर काफी देखने को मिलती है टपकेश्वर मंदिर “पौराणिक मान्यतओं के आधार पर यह मंदिर गुरु द्रोणाचर्या का बताया जाता है देहरादून गुरु द्रोण के निवास स्थान के रूप में भी प्रसिद्ध है इस स्थान पर कौरवों और पाण्डवों का यहाँ गुरु विद्द्या का प्रशिक्षण कराया गया द्वापर युग में
हजारों वर्षों के इतिहास के साथ, यह माना जाता है कि रावण को पराजित करने के बाद, भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ इस भूमि की शोभा बढ़ाई।दूसरा आपको देखने को मिलेगा लाखामण्डल में स्थित पाण्डवकालीन यह मंदिर पाण्डव द्वारा स्थापित विश्वकर्मा जी से बनवाया गया था इस मंदिर में आज भी भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा 2007 खुदाई के दौरान काफी शिवलिंगे यहाँ से निकाली गयी है जिसमे आपको अलग अलग प्रकर की शिवलिंगे देखने को मिलेगी और इस मंदिर की बनावट आपको केदारनाथ मंदिर जैसी देखने को मिलती है ,हनोल महासू अपने नाम से विख्यात एक ऐसा मंदिर जिसको जौनसार बावर का रक्षक भी कहा जाता है यहाँ के लोगो का रहना खाना ,पहनावा आपको काफी हटके देखने को मिलेगा जो काफी सुन्दर है जो इनके पूर्वजो का रिवाज था वो आज भी यहाँ के लोगो में देखेने को मिलता है और मंदिर के प्रति इनकी गहरी आस्था है जिसका अनुभव आपको यहाँ पर आकर ही महसूस कर सकते है इस की बनावट आपको भी आपको केदारनाथ मंदिर की तरह दिखाई देगी मंदिर को भी पाण्डव ने विश्वकर्मा द्वारा बनाया था ऐसे आपको देहरादून कई रहस्य बन जगह देखने को मिलेंगी उन्हीं में से एक लंबी देहर माइंस बहुत से लोग लम्बी धार भी कहते है बताया जाता है इस जगह में 90 के दशक(1990) में 50000 से ज्यादा लोगो की दर्दनाक मोत हुई जिसका कारण था चुना पत्थर जिसकी वजह से वो मजदूरों के फेफड़ो जम चूका था जिससे जितने मजदूर थे जिस कारण हुई यह दर्दनाक मोत जिसे अब हंटिंग प्लेस के नाम से भी जाना जाता है भारत के 10 बड़े हादसों में इसका नाम गिना जाता है रात के समय आज भी यहाँ पर अनेक डरावनी आवाजे सुनाई देती है