अपने घाटों के लिए पहचाना जाने वाला हरिद्वार अपने कुछ विशेष घाटों के लिए अधिक प्रचलित है उन्ही में से एक "कुशा घाट" भी है। इस घाट पर प्रति दिन काफी संख्या में लोग आते है जो इस घाट की महत्वता को दर्शाता है। अमूमन कुशावर्त घाट के नाम से पहचाने जाने वाला कुशा घाट मृत व्यक्ति के पिंड दान और श्राद्ध कर्म करने के लिए जाना जाता है। हिन्दू धर्म में परिवार के मृत व्यक्ति के श्राद्ध और पिंड दान को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते है
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अपने घाटों के लिए पहचाना जाने वाला हरिद्वार अपने कुछ विशेष घाटों के लिए अधिक प्रचलित है उन्ही में से एक "कुशा घाट" भी है। इस घाट पर प्रति दिन काफी संख्या में लोग आते है जो इस घाट की महत्वता को दर्शाता है। अमूमन कुशावर्त घाट के नाम से पहचाने जाने वाला कुशा घाट मृत व्यक्ति के पिंड दान और श्राद्ध कर्म करने के लिए जाना जाता है। हिन्दू धर्म में परिवार के मृत व्यक्ति के श्राद्ध और पिंड दान को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते है श्राद्ध कर्म करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इतना ही नहीं इस प्रक्रिया से व्यक्ति अपने परिवार के पूर्वजो को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद परिवार जनो पर बना रहने के लिए भी करते है। अपनी इसी महत्ता के चलते कुशा घाट पर वर्ष भर लाखो की संख्या में लोग दूर दूर से अपनी पूर्वजो के श्राद्ध हेतु यहाँ पधारते है।
हर की पौड़ी और विष्णु घाट के साथ कुशा घाट की गिनती हरिद्वार के प्रमुख घाटों में होती है जो इसकी पवित्रता को दर्शाता है। विष्णु घाट से मात्र 550 मीटर की दूरी पर स्थित यह घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है, जहाँ लाखो की संख्या में श्रद्धालु श्राद्ध कर्म की प्रक्रिया के लिए आते है।
कुशा घाट का पौराणिक महत्व
ईश्वर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले हरिद्वार के प्रत्येक धार्मिक स्थल अपने आप में ख़ास है, जो इसकी खूबसूरती और धार्मिकता का प्रतीक है। यहाँ स्थित अधिकतर धार्मिक स्थल किसी न किसी पौराणिक कहानी से जुड़े है जो इनकी महत्वता को और अधिक बढ़ा देता है। अन्य स्थल की ही भांति कुशा घाट भी अपनी पौराणिक कथाओ के लिए प्रसिद्ध है।
कहते है की त्रेता युग में भगवान राम ने इस घाट पर अपने पूर्वजो का आशीर्वाद और उनको प्रसन्न करने हेतु उनका श्राद्ध किया था। इसके साथ यह भी मान्यता है की प्राचीन ऋषि दत्तात्रेय भी इस घाट पर अक्सर आया करते थे। भगवान को प्रसन्न करने हेतु उन्होंने इस स्थान पर कई वर्षो तक एक पैर पर खड़े होकर कठोर तप भी किया था। इसी विशेषता के चलते यहाँ पास में ही आपको ऋषि दत्तात्रेय का एक मंदिर भी देखने को मिल जाएगा, जिसमे भोलेनाथ का शिव लिंग भी स्थापित है।
कुशावर्त घाट का इतिहास
हरिद्वार स्थित कई घाटों का निर्माण कई नामित व्यक्तियों द्वारा किया गया है, उन्ही में से कुशा घाट भी है। कहते है की 18वीं सदी में इस घाट का निर्माण मराठा की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था।
स्थान और कनेक्टिविटी
दिल्ली से 223 किमी दूर कुशा घाट हरिद्वार में स्थित है, जो यहाँ की प्रचलित हर की पौड़ी से लगभग एक किमी की दूर पर स्थित है। धार्मिक महत्वता के चलते हरिद्वार सड़क एवं रेल मार्ग से पूरे देश से बहुत ही अच्छे से जुड़ा हुआ है। इसके निकटतम हवाई अड्डा 38 किमी दूर देहरादून के जॉली ग्रांट में स्थित है, जो देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
कुशावर्त घाट के निकट रहने की व्यवस्था
यात्रियों के लिए कुशा घाट के निकट ठहरने की तमाम सुविधाए उपलब्ध है, जहाँ होटल, होम स्टे और धर्मशाला तक सभी व्यवस्थाएं उपलद्ध है। आम दिनों में ठहरने की व्यवस्था आसानी से उपलब्ध हो जाती है लेकिन सितम्बर माह में पितृपक्ष के समय थोड़ी समस्या हो सकती है।
कुशावर्त घाट में की जाने वाली अन्य क्रियाए
प्रायः कुशावर्त घाट पर व्यक्ति अपने पूर्वजो के श्राद्ध और पिंड दान इत्यादि के लिए पधारते है। लेकिन इस प्रक्रिया के बाद यदि समय का आभाव ना हो तो वह इस स्थान के निकट अन्य प्रचलित स्थलों पर भी जा सकते है।
मंदिर
- कुशा घाट से लगभग 3.3 किमी दूर मनसा देवी का मंदिर की विशेष मान्यता है, जहाँ दूर दूर से श्रद्धालु माँ के दर्शन करने आते है। मनसा देवी हरिद्वार के पांच तीर्थ में से एक भी है।
- माँ चंडी देवी को समर्पित चंडी देवी का मंदिर शक्ति पीठो में जाना जाता है और हरिद्वार का दूसरा पांच तीर्थ भी।
- श्रद्धालु कुशा घाट के नजदीक माँ माया देवी के मंदिर भी जा सकते है जो की हरिद्वार स्थित शक्ति पीठो में से एक है।
- कुशा घाट के बाद सबसे अधिक जाया जाने वाला स्थान है पावन धाम मंदिर जो की कुशा घाट से लगभग 3 किमी दूर है।
आश्रम
- इन सबके अतिरिक्त यदि आप हरिद्वार में कुछ क्षण सुकून के बिताना चाहते है तो कुशावर्त घाट के नजदीक स्थित निम्नलिखित आश्रम में भी जा सकते है, जहाँ आप कुछ पल अपने साथ बिता कर ध्यान भी लगा सकते है।
- सप्त ऋषि आश्रम जिसकी दूरी घाट से केवल 8 किमी की है।
- शांति कुंज।
- प्रेम नगर आश्रम।
हरिद्वार गंगा आरती
- हरिद्वार आये और हरिद्वार की गंगा आरती नहीं देखी तो आपने कुछ नहीं देखा। अन्य स्थानों पर जाना आप भले ही चूक जाए लेकिन हरिद्वार की प्रसिद्ध गंगा आरती में भाग लेना ना भूले। सुबह और श्याम के समय होने वाली यह आरती किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देती है, विशेषकर संध्या के समय होने वाली आरती।
यात्रा पूर्व महत्वपूर्ण सुझाव
- हरिद्वार स्थित कुशा घाट आंगतुकों के लिए वर्ष भर खुला रहता है लेकिन बारिश तथा अत्यधिक गर्मी के समय आपको अनेक प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- गर्मी के समय आने वाले व्यक्ति को दिन के समय घाट पर अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए सलाह दी जाती है की घाट पर सुबह जल्दी आकर श्राद्ध प्रक्रिया को पूर्ण कर ले।
- श्राद्ध कर्म के लिए विख्यात कुशा घाट पर आम दिनों में भी काफी संख्या में भीड़ देखने को मिलती है।
- सितम्बर माह में आने वाले पितृपक्ष के समय इस घाट पर अत्यधिक संख्या में लोग आते है, जिससे यह स्थान काफी भीड़ वाला प्रतीत होता है।
- श्राद्ध प्रक्रिया के लिए घाट पर पुजारी आसानी से मिल जाते है लेकिन सलाह दी जाती है की व्यक्ति अपने साथ अपने पुरोहित को लेकर आए।
- गंगा में स्नान करते हुए व्यक्ति चैन को अच्छे से थाम कर रखे क्यूंकि नदी के नीचे का स्थान फिसलन वाला हो सकता है, जिससे दुर्घटना बनी रहती है।
- खुले में कूड़ा फ़ैलाने से बचे और नदी में किसी भी प्रकार का कूड़ा न डाले स्थान की पवित्रता को बनाए रखने में प्रशासन का साथ दे।
- घाट के नजदीक आप अन्य घाटों पर भी जा सकते है और हरिद्वार की प्रसिद्ध कचौड़ी का आनंद लेना न भूले।