हरिद्वार भारत के उत्तरखंड राज्य में स्थित एक हिन्दू धर्म की आस्था और पूजनीय स्थल है। हरद्वार या आमतौर पर हरिद्वार को शिव और विष्णु के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह उत्तराखंड का एक प्रतिष्ठित शहर है, जो अपने आध्यात्मिक महत्व, घाटों, मंदिरों और पवित्र गंगा नदी के लिए प्रसिद्ध है। यह उत्तराखंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और हिंदू पौराणिक कथाओं और परंपरा में एक विशेष स्थान रखता है। पौराणकि कथाओ के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत की चार बुँदे धरती पर गिरी थी, उनमे से हरिद्वार एक है (अन्य स्थल प्रयागराज, नासिक एवं उज्जैन है)। इसी के उपलक्ष्य में ऋषियों मुनियो द्वारा आज भी महाकुम्भ किया जाता है, जो की 12 सालो में एक बार होता है। और दूसरा अर्ध कुम्भ मेला हर 6 साल बाद आयोजित किआ जाता
है कोरोना महामारी में यह यह 1 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल 2021 तक किया गया था और अगला कुम्भ मेला 2033 में किया जायेगा और दूसरा हर 6 सालो में एक बार अर्ध कुम्भ का मेला आयोजित किया जाता है पिछला अर्ध कुम्भ 12 जनवरी 2016 को हुआ था अगला अर्ध कुम्भ मेला 14 जनवरी 2025 में किया जायेगा अर्ध कुम्भ मेला लगभग 12 दिनों तक चलता है इन कुम्भ मेलेऔर अर्ध कुम्भ मेलो में आपको श्रद्धालुओ की अधिक मात्रा में भीड़ देखने को मिलेगी
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं से मुक्त होकर हरिद्वार में अवतरित हुईं। लाखों श्रद्धालु हर साल अपने पापों से मुक्ति के लिए गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। इतना ही नहीं, दुनिया भर से लोग हरिद्वार मे अपने पूर्वजों के लिए पिंड दान करने आते हैं। यहाँ सुबह और शाम के समय की जाने वाली गंगा आरती और उसके विहंगम दृश्य को देखने तीर्थयात्रियों दूर दूर से आते है। इसके अलावा यहाँ आपको प्रसिद्ध शक्ति पीठ माया देवी मंदिर देखने को मिल जाएँगे,जिनके दर्शन करने लोग दूर दूर से यहाँ आते है। पहले के समय मे हरिद्वार को मायापुरी के नाम से जाना जाता था जिसे माँ माया देवी के नाम पे रखा था। माया देवी मंदिर 51 शक्ति पीठो में से एक माना जाता है और यह मंदिर हर की पौढ़ी से मात्र 1.5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है
और इस मंदिर के अलावा आपको दो और प्रशिद्ध मंदिर देखने को मिल जायेंगे पहले मंसा देवी मंदिर यह मंदिर हर की पौढ़ी से 2.6 किलोमीटर की दुरी पर बिल्वा पर्वत पर्वत पर स्थित है दूसरा निल पर्वत पर स्थित चंडी देवी मंदिर यह मंदिर हर की पौढ़ी से लगभग 4 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है इन दोनों मंदिर में आपको जाने के लिए ट्रॉली की सुविधा उपलब्ध है जिसका शुक्ल देना अनिवार्ये होता है या आप ट्रेकिंग करके भी जा सकते हो दोनों मंदिर में और जिस कारण इन तीनो देवियों के दर्शन करने के लिए लोग दूर दूर से आते है हरिद्वार में आपको सबसे प्रशिद्ध घाटों के दर्शन करने को मिलेंगे जिनमे सबसे प्रशिद्ध घाट हर की पौढ़ी है
यह एक यहाँ घाट अगर आप हरिद्वार आये हो और हर की पौढ़ी के दर्शन ना किये हो तो आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है इस घाट पर आपको हर दिन हज़ारों की तागाद में श्रद्धालुं देखने को मिलते है बताया जाता है समुद्र मंथन के दौरान कुछ बुँदे हर की पौढ़ी के ब्रह्म कुण्ड पर गिरी थी जिस कारण इस घाट को सबसे पवित्र घाट माना जाता है और आपको हरिद्वार में और भी प्रशिद्ध घाट देखने को मिल जायेंगे जैसे - विष्णु घाट ,हनुमान घाट ,राम घाट ,बिरला घाट आदि बिरला घाट की बात करें तो इस घाट का भी बहुत महत्व माना जाता है बताया जाता है
जब पाण्डव यहाँ पर आये थे तो बिरला घाट पे स्नान करके आगे की निकल पड़े बताया जाता जो भी श्रद्धालु इस घाट पर स्नान करता है उसके घर में धन,सुख और मन की शांति इन सब लाभ की प्राप्ति होती है श्रावण के दिनों आपको हरिद्वार में श्रद्धालुंओ का काफी रस देखने को मिलता है इन दिनों कांवड़िये हरिद्वार से गंगा जल भरकर भगवान शिव यानि ऋषिकेश नीलकंठ लेकर जाते है यह यात्रा हर साल जुलाई और अगस्त में देखने को मिलती है हरिद्वार को हरी का द्वार भी कहा जाता है ऊँचे ऊँचे पहाड़ो से होते हुए गंगा जी हरिद्वार के खुले और मैदानी क्षेत्रों में आगमन होता है इस कारण इस पवित्र स्थल को गंगा का द्वार भी कहा जाता है
चारधाम यात्रा करने का सही तरीका -पौराणिक व् ऋषिमुनियों की मान्यताओं के अनुसार बताया जाता जो श्रद्धालु भी चारधाम की यात्रा को शुरू करता है उसको सबसे पहली हरिद्वार के प्रशिद्ध घाट हर की पौढ़ी में स्नान करके फिर चार धाम की यात्रा कोपूर्ण रूप से करनी चाहिए जो भी श्रद्धालु ऐसे यात्रा करता है उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है जिससे अधिकांश लोग ऐसे ही यात्रा को करते है
और हरिद्वार के साथ आप यहाँ के आस पास की जगहों पर घूम आप भी सकते हो जैसे शांति कुंज गायत्री परिवार आश्रम बहुत ही सूंदर और शांति से भरा एक तीर्थ स्थल है इस आश्रम में दूर दूर से श्रद्धालु आते है कुछ समय के रहने के आप यहाँ पर रह भी
सकते है शांति कुंज के अंदर आपको चारो तरफ हरियाली ही हरियाली देखने को मिलेगी और साथ गायत्री माता का मंदिर भी देखने को मिलता है जिस से मन की शांति और भी बढ़ जाती है इस तीर्थ स्थल पर आपको पुस्तकालय भी देखने को मिलता है जिसमे आपको अनेक अनेक प्रकार की किताबे देखने को मिलती है
दूसरा नजदीकी देहरादून शहर में प्रकृति के विहंगम नज़ारो यानि मसूरी व चकराता में भी आप घूमने के लिए आ सकते हो इन जगहों पर आकर आपका और भी मन मोहक हो जायेगा चारो तरफ आपको ऊँचे ऊँचे हरे भरे पहड़ो की वादियां जो किसी स्वर्ग से कम नहीं इसका अनुभव आपको यहाँ आकर ही पता चलता है वैसे आप साल में हरिद्वार कभी भी आ सकते है यहाँ आने के लिए किसी हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर पहुंचना पड़ेगा या आप सीधा बस के माध्यम से भी आ सकते हो और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 249.7 मीटर (819.2 फीट) है