चंडी देवी मंदिर

जानकारी
हरिद्वार के नील पर्वत पर स्थित माँ चंडी देवी का प्राचीन मंदिर उतर भारत में सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से है। हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे पर स्थित यह मंदिर हर की पौड़ी से मात्र 3 किमी की दूरी पर स्थित है। चंडी मंदिर हरिद्वार के पंच तीर्थ में से एक है जो हमेशा श्रद्धालुओं से भरा रहता है। बताया जाता है की मंदिर का निर्माण कश्मीर के राजा सूचत सिंह सन 1929 में करवाया गया था। मंदिर में माता चंडी की मूर्ति की स्थापना प्रसिद्ध गुरु श्री आदी शंकराचार्य जी द्वारा 8वीं शताब्दी की बताई जाती है। मंदिर की मुख्य देवी माँ चंडी माता दुर्गा का ही एक स्वरुप है जिन्हे मुख्यतः महागौरी, चंडिका और अपराजिता के रूप में पूजा जाता है। वहीं चंडिका देवी को माँ चंडी और माँ चामुंडा के अवतार में भी पूजा जाता है जिनको माता कौशिकी ने चण्ड और मुंड दैत्य का संहार करने के लिए अवतरित किया था।
इच्छा पूरी करने वाली
मनसा देवी के समान चंडी देवी को भी इच्छा पूरी करने वाली देवी कहा जाता है। कई श्रद्धालु अपनी मनोकामना लिए माता के दरबार में हाजिरी लगाने आते है। तो कई अपनी मनोकामना पूरी होने पर माँ का धन्यवाद करने आते है। इसी श्रद्धा और विश्वास के चलते आपको मंदिर में हमेशा कई संख्या में श्रद्धालु देखने को मिलते है विशेषकर नवरात्रो और चंडी चौदस दिवस पर।
मंदिर के गर्भ गृह में
मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने पर आपको माँ चंडी की एक बड़ी ही भव्य और दिव्य मूर्ति देखने को मिलती है। श्रद्धालु प्रसाद और चुनरी चढ़ा कर माता से प्राथना करके आशीर्वाद प्राप्त करते है। मुख्य मूर्ति के अतिरिक्त मंदिर प्रांगढ़ में आपको अन्य देवी देवताओ की मूर्ति भी देखने को मिलता है, जिनमे माता अन्नपूर्णा, माँ भद्रकाली, हनुमान जी और रक्षक कहे जाने वाले काल भैरव नाथ शामिल है। मंदिर के चारो और भक्तो की भीड़ में आपको कई बन्दर भी देखने को मिलते है जो आपका प्रसाद और सामान छीनने को हमेशा तैयार रहते है।
माता अंजनी मंदिर
चंडी देवी मंदिर के अतिरिक्त आपको यहाँ हनुमना जी की माता को समर्पित माता अंजनी का मंदिर भी देखने को मिलता है। यह मंदिर मुख्य प्रवेश द्वार से केवल 100 मीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ आप चंडी देवी मंदिर में दर्शन करने के पश्चात जा सकते है। मंदिर की निकट ही आपको भगवान हनुमान की एक और मूर्ति देखने को मिलती है जो बेहद ही सुन्दर और आकर्षक लगती है।
सुविधाए
मंदिर के निकट आपको निम्नलिखित सुविधाए उपलब्ध होती है, जैसे की: -
- प्रसाद।
- जूता स्टैंड।
- शौचालय।
- पीने का पानी।
- चाय।
मंदिर कैसे पहुंचे
शहर के मुख्य भाग से कुछ ही किमी की दूरी पर स्थित माँ चंडी देवी के प्रारंभिक मार्ग तक आप ऑटो एवं रिक्शा के सहायता से पहुंच सकते है। मुख्य मार्ग से मंदिर की दूरी आप चंडी घाट पुल से पैदल चलकर या रोपवे की सहायता से जा सकते है। पैदल मार्ग से मंदिर की दूरी तय करने में जहाँ एक घंटे का समय लग जाता है तो वहीं रोपवे से यह दूरी केवल 5 मिंट में तय की जा सकती है। रोपवे न केवल आपकी यात्रा का सरल बनाता है बल्कि इसकी यात्रा के दौरान आपको हरिद्वार शहर के बेहद ही अद्भुत नज़ारे भी देखने को मिलते है।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय
चंडी देवी का यह मंदिर भक्तो के लिए रोजाना सुबह 05:30 बजे खोल दिया जाता है और रात में करीब 8 बजे बंद कर दिया जाता है।
रोपवे सेवा
चंडी मंदिर मुख्य मार्ग से तीन किमी ऊपर पहाड़ की चोटी पर स्थित है, जहाँ पहुंचने के लिए आप पैदल मार्ग और रोपवे का उपयोग कर सकते है। रोपवे सेवा का लाभ आप यहाँ मौजूद टिकट काउंटर से टिकट लेकर कर सकते है तो वहीं पैदल मार्ग के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है वह पूर्णतः निशुल्क है।
रोपवे टिकट की जांच प्रवेश द्वार के और मंदिर से निकासी द्वार पर होती है। अतः श्रद्धालु यात्रा समाप्त होने तक अपने रोपवे टिकट को संभाल कर रखे। वापसी के दौरान रोपवे कर्मचारी द्वारा आपकी एक फोटो भी खींची जाएगी जिसे आप नीचे आकर कुछ शुल्क देकर प्राप्त कर सकते है।
चंडी मंदिर रोपवे समय
चंडी मंदिर रोपवे और टिकट काउंटर की खुलने और बंद होने का समय कुछ इस प्रकार से है: -
खुलने का समय | बंद होने का समय | |
रोपवे टिकट काउंटर का समय | सुबह 7:00 | शाम 6:00 |
रोपवे खुलने और बंद होने का समय | सुबह 7:00 | शाम 6:30 |
रोपवे किराया
आने-जाने का | वयस्क (प्रति व्यक्ति) | बच्चे (यदि ऊँचाई 90 सेमी से 110 सेमी के बीच है) |
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चंडी देवी मंदिर सामान्य टिकट | 240/- रूपए | 125/- रूपए |
मनसा देवी और चंडी देवी (संयुक्त टिकट) | 439/- रूपए | 225/- रूपए |
बस टिकट (मनसा देवी से चंडी देवी) | 95/- रूपए | 95/- रूपए |
नोट:
- चंडी देवी और मनसा देवी के संयुक्त टिकट की वैधता दो दिन की होगी।
- निर्धारित ऊंचाई से अधिक वाले बच्चो का पूरा शुल्क लगेगा।
- एक केबिन में केवल चार ही व्यक्ति बैठ सकेंगे।
- ऑनलाइन टिकट लेने वालो को पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य है।
इतिहास
लोककथा के अनुसार एक बार शुम्भा और निशुम्भ नामक दो देत्यो ने स्वर्ग लोक पर कब्ज़ा कर सभी देवताओ को स्वर्ग से बाहर निकाल दिया था। स्वर्ग लोक की रक्षा हेतु सभी देवो ने माता पार्वती से प्राथना करी। उनकी कठोर प्राथना के बाद माता पार्वती से एक देवी की उत्पत्ति हुई। दोनों ही राक्षसों की नजर जब देवी पर पड़ी तो वे दोनों उनके सौंदर्य को देखकर मोहित हो गए और शुम्भा ने देवी से शादी करने की इच्छा जाहिर की। प्रस्ताव ठुकरा देने के बाद क्रोधित शुम्भा ने अपने प्रमुख चण्ड और मुण्ड को देवी को मरने भेजा। लेकिन उन दोनों को ही देवी के उग्र स्वरुप चन्द्रिका ने वध कर दिया। यह सुनकर शुम्भा और निशुंभ दोनों ही चंडी को मारने पहुंचे लेकिन देवी ने उन दोनों का वध करके स्वर्ग लोग इन देत्यो की क्रूरता से मुक्ति दिलाई। ऐसा कहा जाता है की देत्यो का अंत करने के पश्चात देवी चंडी ने नील पर्वत पर आराम किया जबकि मंदिर के निकट स्थित पहाड़ियों को शुम्भ और निशुम्भ के नाम से जाना जाता है।
स्थान और कैसे पहुंचे
माँ चंडी देवी का मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित है। मंदिर हरिद्वार के हर की पौड़ी और बस स्टैंड से मात्र 3 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर तक आप हरिद्वार के प्रमुख मार्ग जैसे की बस और रेलवे स्टैंड से विक्रम, ऑटो, रिक्शा की सहायता से आ सकते है।
निवास की सुविधा
ठहरने हेतु हरिद्वार में मंदिर के निकट आपको विभिन्न तरह के विकल्प मिल जाएंगे जैसे की होटल, धर्मशाला, होमस्टे और एयर बीएनबी। चंडी देवी की निकट उपलब्ध कुछ होटल इस प्रकार से है: -
होटल गंगा गौरव
- होटल ला कासा
- होटल सिटी हेरिटेज
- होटल हिमालय
- होटल गंगा धारा
- अंतर्मन गंगा
- होटल गंगा एक्सोटिका
- होटल नामय इन
- होटल त्रिशूल
यात्रियों के लिए मत्वपूर्ण सुझाव
- श्रद्धालु मंदिर जाने के लिए पैदल या ट्रेक मार्ग का उपयोग कर सकते है।
- मंदिर के मुख्य मार्ग के निकट पार्किंग की सुविधा भी मिल जाती है।
- ट्रेक मार्ग में पानी की व्यवस्था ना होने के चलते अपने साथ पानी लेकर चले।
- रोपवे के टिकट ऑनलाइन या टिकट काउंटर से ऑफलाइन प्राप्त कर सकते है।
- ऑनलाइन टिकट लेने वालो को अपने साथ एक पहचान पत्र अवश्य से रखना होगा।
- जूते रखने के लिए मंदिर के प्रवेश द्वारा पर जूता स्टैंड की सुविधा मिलती है।
- मंदिर के प्रवेश द्वार पर कई प्रसाद की दुकान उपलध है।
- नवरात्री एवं अन्य ख़ास दिवस पर मंदिर में अक्सर अधिक मात्रा में भीड़ देखने को मिलती है।
- मंदिर के चारो तरफ बन्दर होने के चलते अपना समान और प्रसाद को संभाल के रखे।
- रोपवे के टिकट अपनी वापसी की यात्रा की समाप्ति तक संभाल के रखे।
- मंदिर के गर्भ गृह में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी प्रतिबंधित है।
- चमड़े की बानी वस्तुए जैसे की बैग और पर्स मंदिर में ले जाना सख्त मना है।
- अपने साथ उचित मात्रा में कॅश लेकर चले।
नजदीकी आकर्षण
माँ चंडी देवी के दर्शन उपरांत आप मंदिर एवं हरिद्वार के निकट अन्य प्रसिद्ध स्थलों पर भी जा सकते है, जैसे की: -
यहां कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से: - हरिद्वार बस स्टैंड से माँ चंडी देवी का मंदिर 3.3 किमी की दूरी पर स्थित है। हरिद्वार के विभिन्न स्थानों से उपलब्ध ऑटो, रिक्शा और विक्रम की सहायता से आप मंदिर आसानी से पहुँच सकते है। मुख्य मार्ग से मंदिर लगभग 3 किमी की दूरी पर है जिसे आप पैदल या रोपवे की सहायता से पूरी कर सकते है। दिल्ली से हरिद्वार बस सेवा नियमित अंतराल पर उपलब्ध रहती है इसके साथ आप अन्य शहरो से भी बस या टैक्सी के माध्यम से हरिद्वार आसानी से पहुँच सकते है।
रेल मार्ग से: - मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है जो की दिल्ली के साथ अन्य प्रमुख शहरो से ट्रैन सेवा प्रदान करता है। स्टेशन से मंदिर की तीन किमी की दूरी आप रिक्शा, ऑटो, या विक्रम के द्वारा पूरी कर सकते है।
हवाई मार्ग से: - मंदिर के निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो की लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित है। देश के प्रमुख शहरो से यह एयरपोर्ट सीधी हवाई सेवा से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से मंदिर की यात्रा आप यहाँ उपलब्ध टैक्सी के द्वय तय कर सकते है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
चंडी देवी का मंदिर भक्तो के लिए वर्ष भर खुला रहता है लकिन यहाँ आने का सबसे उत्तम समय सितम्बर से अप्रैल माह के दौरान माना जाता है क्यूंकि इस अवधि के दौरान यहाँ का तापमान सबसे घूमने के लिए सबसे आदर्श माना जाता है।
समुद्र तल से ऊँचाई
हरिद्वार स्थित चंडी देवी का मंदिर समुद्र तल से लगभग 2,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो की लगभग 9,500 फ़ीट है।