हर की पौढ़ी भारत के उत्तराखंड राज्ये के हरिद्वार शहर में स्थित है।हरिद्वार में वैसे तो आपको कई प्रशिद्ध घाट देखने को मिल जायेंगे उन्ही घाटों मे से एक प्रशिद्ध घाट हर की पौढ़ी है।जो सबसे पवित्र घाट माना जाता है इसे हिंदुओं की पवित्र नगरी हरिद्वार का ऐतिहासिक स्थल माना जाता है। ऐसा माना जाता है की, वैदिक काल में भगवान विष्णु ब्रह्मकुंड गए थे, जो की वही स्थान है जहाँ पर समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंद गिरी थी। इस वजह से इस स्थान को हरी के चरण के रूप मई जाना जाता है।हर 12 साल बाद होने वाले महाकुम्भ मेला और अर्ध कुम्भ बस दो जगहों पर किया जाता है हरिद्वार और प्रयागराज हर 6 सालो के उपरान्त होता रहता है
कुम्भ मेले में आपको साधु शन्त का उमड़ती भीड़ का विहंगम नज़ारा जो कई सालो में देखने को मिलता है यहाँ तक की आपको अघोरियों का तांडव भी देखने को मिलता है कुम्ब मेले की तैयारियां आपको 3 महीने पहले से ही गतिविधियां शुरू हो जाती है पौराणिक कथाओं के अनुसार, हर की पौड़ी का निर्माण, राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तिहार की याद में 1 ईसा पूर्व में कराया था। इस हर को पौढी में होने वाली सुबह -श्याम के समय होने वाली गंगा आरती और माँ गंगा का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है और इस घाट पर होने वाली आरती का समय अलग अलग रहता है सुबह के समय 5बजे से लेकर 30 तक चलती है वहीं श्याम के समय ठीक 6:30बजे शुरू होती है जिसको देखने के लिए लोगो की बड़ी संख्या मे दूर दूर से
आते है, जो किसी भी तीर्थयात्री के लिए आनंददायक होता है। इस घाट में आपको श्रावण के समय यानि (जुलाई और अगस्त )अत्यधिक भीड़ देखने को मिलेगी कांवड़ियों की हालाँकि श्रावण को छोड़ कर भी रहती है भीड़ इस घाट पर लेकिन श्रावण के कुछ खास भीड़ व् श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और हिन्दू मान्यताओ के अनुसार जब किसी का पिंड दान किया जाता है तो सबसे पहले हर की पौढ़ी पर उसको स्नान कराया जाता है फिर पित्र का पिंड दान किया जाता है हिन्दू ग्रंथो के अनुसार ऐसे करने से पितरो को मोक्ष की प्राप्ती होती है जिस कारण पितरो को शांति भी मिलती है पौराणिक व् ऋषिमुनियों की मान्यताओं के अनुसार बताया जाता जो भी श्रद्धालु भी चारधाम की यात्रा को शुरू करता है उसको सबसे पहली हरिद्वार के प्रशिद्ध घाट हर की पौढ़ी में स्नान करके
फिर चार धाम की यात्रा को पूर्ण रूप से करनी चाहिए जो भी श्रद्धालु ऐसे यात्रा करता है उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है जिससे अधिकांश लोग ऐसे ही यात्रा को करते है जिससे श्रद्धालु का शरीर शुद्ध हो जाता है इसके साथ यह भी मान्यता है की, इस घाट पर स्नान करने से लोगो के पाप और मन साफ हो जाता है। यह वही स्थान है जहाँ से माँ गंगा का प्रवेश द्वार कहा जाता है ऊँचे ऊँचे पहाड़ी इलाको से निकलने के बाद हरिद्वार के प्रमुख व् प्रशिद्ध स्थल मैदानी इलाको मे होता है।आगमन होता है इसके बाद यह गंगा जी का मिलन सीधा वेस्ट बंगाल के बंगाल की खाड़ी में होता है जिसको गंगा सागर का नाम जो हिन्दुओं का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना है जैसे की अपने सुना ही होगा सारे तीर्थ बार बार गंगा सागर एक बार इसलिए इस पवित्र तीर्थ स्थान बहुत खास है हर की पौढ़ी पर आने के लिए आपको हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर आना पड़ेगा फिर हर की पौड़ी पर पहुँचने के आपको कैब मिल जाएगी और जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से लगभग 37 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है और साल में आप इस घाट पर आप कभी आ सकते हो