हरिद्वार स्थित भैरव घाट की गिनती यहाँ के सबसे प्राचीन गंगा घाटों में से होती है। यह घाट हरिद्वार के प्रमुख हर की पौड़ी से मात्र 1.4 किमी की दूरी पर स्थित है। इस घाट को भगवान शिव के पांचवे और सबसे उग्र स्वरुप में से एक भगवान भैरव के नाम पर रखा गया है। भगवान शिव से जुड़ा होने के चलते इस घाट पर आपको अक्सर कई अघोरी ध्यान लगाते हुए भी दिख जाएंगे। इन अघोरी की उपस्थिति मात्र से ही इस घाट के माहौल और शोभा अत्यधिक बढ़ा
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हरिद्वार स्थित भैरव घाट की गिनती यहाँ के सबसे प्राचीन गंगा घाटों में से होती है। यह घाट हरिद्वार के प्रमुख हर की पौड़ी से मात्र 1.4 किमी की दूरी पर स्थित है। इस घाट को भगवान शिव के पांचवे और सबसे उग्र स्वरुप में से एक भगवान भैरव के नाम पर रखा गया है। भगवान शिव से जुड़ा होने के चलते इस घाट पर आपको अक्सर कई अघोरी ध्यान लगाते हुए भी दिख जाएंगे। इन अघोरी की उपस्थिति मात्र से ही इस घाट के माहौल और शोभा अत्यधिक बढ़ा जाती है। इस घाट के निकट ही अघोरी साधुओ का एक छोटा सा अखाडा भी है, जहाँ पर उनकी उपस्थित आसानी से देखी जा सकती है। भक्तों भैरव घाट पर अघोरियों की पूजा करने, गंगा के पवित्र जल में स्नान करने और अन्य अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए यहाँ अक्सर पधारते है।
भैरव घाट
धर्मनगरी हरिद्वार अपने कई विशिष्ट घाटों के लिए पहचाना जाता है, जहाँ काफी संख्या में लोग धार्मिक अनुष्ठान के लिए पधारते है और माँ गंगा की पावन नदी में स्नान करते है। उनमे से कुछ घाट श्रद्धालु के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध है, जिसके चलते प्रत्येक दिन काफी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते है, जैसे की हर की पौड़ी और कुशा घाट। हरिद्वार शहर के बीच में स्थित भैरव घाट, हरिद्वार के बस स्टैंड से केवल 1.3 किमी दूर है। हरिद्वार की यात्रा पर आये श्रद्धालु अक्सर इस घाट पर आकर स्नान करने के बाद अघोरी साधुओ का आशीर्वाद प्राप्त करते है। अन्य दिवस की तुलना में विशेष दिनों में भैरव घाट पर अत्यधिक भीड़ देखने को मिलती है, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है। यहाँ से दिखने वाले माँ गंगा नदी के विहंगम नज़ारे लोगो को अत्यंत लुभाते है।
आनंद भैरव मंदिर
भैरव घाट के निकट ही भक्तो भगवान भैरव बाबा का एक प्राचीन मंदिर देखने को मिलेगा। मंदिर में विराजमान भगवान भैरव को हरिद्वार क्षेत्र का कोतवाल भी कहा जाता है, जो धर्म की रक्षा और हरिद्वार की माया देवी की सुरक्षा के लिए जाने जाते है। इस मंदिर की गिनती हरिद्वार के सबसे प्राचीन मंदिरो में की जाती है, जिससे इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। प्रत्येक वर्ष हजारो की संख्या में श्रद्धालु भगवान भैरव के दर्शन और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते है। कहते है भैरव बाबा सच्चे मन से मांगी गई सभी भक्तो की मनोकामना को पूर्ण करते है।
भैरव बाबा को उनके उग्र स्वरुप और उनके दंड के लिए जाने जाते है। लेकिन हरिद्वार स्थित भैरव भगवान का यह मंदिर विशेष है। मंदिर में विराजमान भैरव बाबा की मूर्ति हसमुख है जो उनके आनंद स्वभाव को दर्शाता है, इसके चलते ही इस मंदिर का नाम आनंद भैरव मंदिर रखा गया है।
स्थान और कनेक्टिविटी
भैरव घाट उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले में स्थित है। हरिद्वार अपने निकटतम स्थानों से सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है, जिनमे देहरादून, रूडकी, दिल्ली, लखनऊ, आगरा, चंडीगढ़, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश प्रमुख है। हरिद्वार के लिए दिल्ली, आगरा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं हिमचाल प्रदेश से रोजाना बस सेवा उपलब्ध रहती है। इसके साथ ही इन स्थानों से कई निजी बस सेवा प्रदाता भी अपनी सेवा प्रदान देते है।
घाट के निकट रहने की व्यवस्था
घाट के निकट श्रद्धालुओं के ठहरने की विशेष इंतजाम उपलब्ध है। यहाँ पर श्रद्धालुओं को होम स्टे, होटल्स, गेस्ट हाउस, एवं धर्मशाला जैसी कई सुविधा आसानी से प्राप्त हो जाएगी। अन्य दिवस पर ठहरने की सुविधा आसानी से प्राप्त हो जाएगी, लेकिन विशेष दिनों पर भारी भीड़ के चलते इसमें कुछ समस्या देखी जा सकती है।
घाट के निकट की जाने वाली अन्य गतिविधि
- अमूमन भैरव घाट पर आने वाले व्यक्ति विशेष प्रक्रिया के लिए ही आते है। लेकिन इसके अलावा भी वह अन्य गई गतिविधियों में भाग ले सकते है, जिससे उनकी यात्रा और अधिक सफल हो जाएगी। इसके लिए यात्री घाट के निकट मौजूद कुछ प्रमुख धार्मिक स्थानों पर जा सकते है, जहाँ काफी संख्या में लोग दूर दूर से आते है जैसे की : -
- मनसा देवी और चंडी देवी जाने वाले व्यक्ति उड़नखटोला का उपयोग अवश्य से करे, जिससे उन्हें हरिद्वार शहर का एक मनमोहक दृश्य देखने को मिलेगा, विशेषकर संध्या के दौरान।
- श्रद्धालु श्याम को होने वाली भव्य गंगा आरती में भी सहभाग कर सकते है।
यात्रा पूर्व महत्वपूर्ण सुझाव
- भैरव घाट में श्रद्धालु वर्ष भर में कभी भी आ सकते है, हालाँकि बरसात और गर्मी के मौसम में उन्हें अनेक परेशानियों को सामना करना पड़ सकता है।
- गर्मी के दौरान यहाँ का वातावरण अत्यधिक गर्म रहता है, जिसके चलते यात्री हरिद्वार की खूबसूरती को अच्छे से देख नहीं पाएंगे
- वहीं बरसात के समय अत्यधिक बारिश के कारण होने वाली उमस भी यात्रा में प्रभाव डाल सकती है।
- सुबह और श्याम के समय घाट पर घूमना काफी खुशनुमा रहेगा हालाँकि उस दौरान घाट पर काफी भीड़ भी देखी जा सकती है।
- घाट पर अपने अमूल्य सामान और बच्चो का ध्यान अवश्य रखे।
- नदी में डुबकी लगते समय विशेष ध्यान रखे, जिससे आप किसी भी अप्रिय घटना का शिकार ना हो।
- डुबकी लगाते समय लोहे की चैन को अच्छे से पकड़ कर रखे।
- बरसात के दौरान नदी का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ रहता है और वेग भी अत्यधिक रहता है, इसके चलते उस दौरान नहाने की सलाह नहीं दी जाती है।
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