लोकपाल लक्ष्मण मंदिर
जानकारी
भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को समर्पित यह मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। चार हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर श्री हेमकुंट साहिब गुरूद्वारे के परिसर में स्थित है, जिसे लोग लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के नाम से भी पहचानते है। इस मंदिर के बारे में कई लोक कथाये है, जिसके बारे में यहाँ के लोग अक्सर बताया करते है। कहा जाता है की लक्ष्मण ने पास स्थित हेमकुंड झील में तपस्या की थी, जिसके उपरांत उनकी तपस्थली पर इस मंदिर का निर्माण किया गया।
वही कुछ लोग बताते है की इस मंदिर में शेषनाग ने तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप वह शेषनाग द्वापर युग में राजा दशरथ के यहाँ लक्ष्मण के रूप में जन्मे थे। वही एक और कथा के अनुसार मेघनाद का वध करने के पश्चात लक्ष्मण ने अपनी शक्तियां वापस पाने के लिए इस स्थान पर तप किया था। लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के दरवाजे हेमकुंड की यात्रा के शुरू होने पर खोले और यात्रा समाप्त होने पर बंद कर दिए जाते है। वही इस मंदिर में पूजा अर्चना का जिम्मा पास ही स्थित भ्यूंडार गांव के पुजारी सँभालते है। अपनी यात्रा के दौरान सिख समुदाय के लोग इस मंदिर में मत्था टेकने जरूर पधारते है।
यहां कैसे पहुंचे
उत्तराखण्ड के चमोली में स्थित इस मंदिर की दूरी देहरादून से लगभग 310 किमी की है। इस मंदिर में आप सड़क मार्ग का उपयोग करके आ सकते है, जिसकी सेवा आपको देहरादून और ऋषिकेश से आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। सड़क मार्ग से यात्री केवल गोविंदघाट तक ही पहुँच सकते, उसके आगे का 20 किमी का मार्ग श्रद्धालु को पैदल चलकर पुराण करना होगा, जो की घांघरिया से होकर जाता है। इसके निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार में और हवाई अड्डा देहरादून में क्रमशः लगभग 295 किमी और 290 दूर स्थित है।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय
मंदिर में आप हेमकुंड साहिब की यात्रा के दौरान ही आ सकते है क्यूंकि मंदिर के कपाट हेमकुंट यात्रा के साथ ही खोले और बंद किये जाते है। लेकिन मंदिर आने का सबसे उपयुक्त समय मई से जून तथा सितम्बर से अक्टूबर का ही माना जाता है। बरसात के दौरान यहाँ होने वाली अत्यधिक वर्षे से मार्ग अवरुद्ध होने पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
समुद्र तल से ऊँचाई
समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 4,329 मीटर (14,202 फ़ीट) है।