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बद्रीनाथ

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जानकारी

उत्तराखण्ड के साथ भारत के चार धामों में प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम का मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। अलकनंदा नदी के तट पर स्थित इस तीर्थ स्थल की काफी मान्यता है, जहाँ हर साल लाखो की संख्या में भक्त दर्शन करने हेतु पधारते है। भारत के 108 दिव्य देशम में से एक और नर और नारायण पर्वत के मध्य स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिसे हिन्दू धर्म के लोगो का मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है। बद्रीनाथ धाम के अतिरिक्त गुजरात स्थित द्वारिका धाम, तमिलनाडु स्थित रामेश्वर धाम, और ओडिशा स्थित जगन्नाथ धाम भी है जो भारत के चार धामों के नाम से विख्यात है, मोक्ष द्वार के नाम से प्रसिद्ध है।
 

समुद्र तल से लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ धाम का तापमान पूरे वर्ष ठंडा रहता है। बर्फ से ढकी पहाड़ की चोंटी और सुन्दर प्राकृतिक नज़ारे बद्रीनाथ धाम के वातावरण को बेहद ही अलौकिक बना देते है। इस स्थान की हवा में मानो भक्तिमय उमड़ रही होती है, जो आपको बद्री विशाल की भक्ति में लीन कर देती है। अत्यधिक बर्फ़बारी के चलते बद्रीनाथ धाम के कपाट अक्टूबर/नवंबर माह में बंद कर दिए जाते है, जिसे मार्च/अप्रैल माह में अक्षय तृत्य के शुभ दिवस पर खोले जाते है। कपाट बंद करते समय मंदिर में घी की अखंड ज्योत जलाई जाती है, जो कपाट खुलने तक जलती रहती है। इस अखंड ज्योत के दर्शन करने हेतु कपाट खुलने पर काफी संख्या में श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते है।
 

मोक्ष धाम

मोक्ष धाम के नाम से विख्यात बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक है, जिसकी यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है। यमुनोत्री से शुरू हुई यह यात्रा गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ धाम में समाप्त होती है। जिसके चलते बद्रीनाथ धाम को उत्तराखंड की छोटा चार धाम यात्रा का अंतिम धाम भी कहा जाता है। आदि शंकराचार्य द्वारा निर्मित बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण 9वी शताब्दी का बताया जाता है। तीन भागो में निर्मित मंदिर में गर्भग्रह, दर्शन मंडप, और सभा मंडप है। रावल कहे जाने वाले धाम के मुख्य पुजारी केरला के नम्बूदिरी ब्रह्मिन समाज से सम्बन्ध रखते है। कहा जाता है की मंदिर के मुख्य पुजारी के चुनाव की प्रक्रिया महान विद्वान् आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा शुरू की गई थी, जिसे आज के समय भी अपनाया जाता है।
 

बद्री विशाल

भगवान विष्णु की प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में शालिग्राम के रूप में स्थापित है, जिनके एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ में सुदर्शन चक्र है एवं उनके अन्य दो हाथ योगध्यान की मुद्रा में है। बद्री वृक्ष के निचे स्थापित इस शालिग्राम की ऊंचाई लगभग एक फ़ीट की है, जिसके ऊपर सोने का छत्र चढ़ाया हुआ है।
 

पारौणिक कथा अनुसार जब भगवान विष्णु गहरी तपस्या में लीन थे तो उनको धुप, बारिश और सर्दी से बचाने के लिए माता लक्ष्मी ने अपने आप को एक वृक्ष (जिसे बद्री वृक्ष से जाना जाता है) के रूप में परिवर्तित कर लिया, जिसके फलस्वरूप मंदिर को बद्री विशाल के नाम से जाना जाता है। मंदिर प्रांगढ़ में भक्त अन्य देवी देवता के दर्शन भी कर सकते है, जहाँ मुख्य रूप से कुबेर, नारद ऋषि, नर और नारायण के साथ अन्य 15 देवी देवताओ की मुर्तिया शामिल है।
 

कपाट खुलने और बंद होने का समय

बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर बद्रीनाथ केदारनाथ समिति द्वारा बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की घोषणा की है। वर्ष 2025 को बद्रीनाथ धाम के कपाट धूम धाम के साथ मई 4, 2025 को खोले गए थे। पूरे रीती रिवाज के साथ भगवान बद्री विशाल की डोली उनके शीतकालीन गद्दी से यहाँ लायी गई। वर्ष 2025 में बद्रीनाथ धाम के कपाट अक्टूबर या नवंबर माह में बंद किये जाएंगे जिसकी तारीख की घोषणा किया जाना बाकी है।
 

तप्त कुंड

बद्रीनाथ धाम के प्रवेश द्वार के निकट स्थित तप्त कुंड अलौकिक शक्तियों का एक अद्भुत उदाहरणों में से एक है। इतने ठन्डे मौसम के चलते इस कुंड से वर्ष भर गर्म पानी की धारा बहती रहती है जो अपने आप में एक विचित्र बात है। कहते है की इस कुंड के भीतर भगण सूर्य देव का वास है जिसके चलते इसकी धारा से हमेशा गर्म पानी बेहटा है। इस कुंड के पानी का तापमान इतना अधिक रहता है, जिसे छूने पर शरीर जलने का भय होता है, लेकिन इसमें उतरते ही इसका तापमान एक दम सामान्य लगने लगता है। इस कुंड में नहाने के बाद ही व्यक्ति मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश करते है। तप्त कुंड के ठीक नीचे नारद मुनी को समर्पित एक कुंड है, जिसे नारद कुंड कहा जाता है। इस कुंड का पानी भी तप्त कुंड के सामान ही गर्म रहता है। कहते है नारद मुनी ने इस स्थान पर तप किया था।
 

पंच बद्री

विष्णु पुराण के तहत नर और नारायण यम के जुड़वाँ पुत्र धर्म के विस्तार और प्रचार हेतु आश्रम के लिए स्थान की तलाश में थे। इस खोज के दौरान उन्हें भगवान विष्णु को समर्पित बद्री विशाल के कुछ स्थान मिले जिनमे योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्धा बद्री और आदि बद्री शामिल है। इस खोज के अंत में उन्हें अलकनंदा नदी के तट पर गर्म और ठन्डे पानी स्रोत मिला, जहाँ उन्होंने बद्री विशाल की खोज की। आगे चलकर इन सभी स्थानों को पंच बद्री के नाम से पहचाने जाने लगा। मंदिर के निकट ही समिति द्वारा माता मूर्ति के मंदिर में एक मेले का भव्य आयोजन किया जाता है, जो की नर और नारायण की माता को समर्पित है।
 

शीतकालीन गद्दी

समुद्र तल से 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ धाम में सर्दियों के दौरान अत्यधिक बर्फ़बारी के चलते धाम के कपाट छह माह के लिए बंद रहते है। इस दौरान भगवान विष्णु की डोली और उनकी पूजा पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बद्री में की जाती है। अतिरिक्त उनकी मूर्ति को जोशीमठ के नरसिंघ मंदिर में लाया जाता है। छह माह कपाट बंद रहने के दौरान धाम में अखंड ज्योत जलती रहती है जो कपाट खुले के समय भी जलती रहती है।
 

ठहरने हेतु सुविधा

बद्रीनाथ में ठहरने हेतु कई विकल्प मौजूद है जिनमे होटल, आश्रम, गेस्ट हाउस प्रमुख है। यात्रा के शुरुआती चरण में आपको रहने की स्वइदा ढूंढ़ने में थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मंदिर के निकट ठहरने हेतु कुछ विकल्प इस प्रकार से है : -

ऑनलाइन पूजा बुकिंग

धाम में पूजा करवाने हेतु श्रद्धालु इसकी बुकिंग ऑनलाइन माध्यम से कर सकते है। इसके लिए बद्रीनाथ केदारनाथ समिति द्वारा पोर्टल पर अलग से सुविधा दी है। धाम में होने वाली विभिन्न तरह की पूजा में श्रद्धालु मंदिर में आकर या बिना पधारे भी पूजा में भाग ले सकते है। बद्रीनाथ धाम ऑनलाइन पूजा बुकिंग की जानकारी आप इसकी आधिकारिक वेबसाइट से जाकर भी देख सकते है।
 

यात्रा मार्ग

चमोली स्थित बद्रीनाथ धाम देहरादून से आईएसबीटी से लगभग 330 किमी दूर है और सड़क मार्ग से और अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस स्थान पर आप अनेक माध्यम से आ सकते है जिसके लिए वह निम्नलिखित मार्ग के द्वारा पहुँच सकते है : -
 

देहरादून/हरिद्वार → ऋषिकेश → देवप्रयाग → श्रीनगर → रुद्रप्रयाग → कर्णप्रयाग → चमोली → पीपलकोटी → हेलंग → जोशीमठ → गोविंदघाट → पांडुकेश्वर → हनुमान चट्टी → श्री बद्रीनाथ।
 

यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

  • यात्रा हेतु चार धाम यात्रा पंजीकरण जरूरी है, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन किये जा सकते है।
  • यात्रा पंजीकरण काउंटर ऋषिकेश और हरिद्वार में खोले गए है जो दिन भर खुले रहते है।
  • रहने की सुविधा पहले से बुक करके आए, अंतिम समय में थोड़ी परेशानी हो सकती है।
  • यात्रा मार्ग में ट्रैफिक की समस्या काफी देखने को मिल सकती है।
  • मानसून के दौरान भूस्खलन और मार्ग अवरुद्ध जैसी समस्या हो सकती है। अतः इस दौरान यात्रा ना करने की सलाह दी जाती है।
  • यात्रा मार्ग में कई स्थानों पर सड़क निर्माण कार्य के चलते परेशानी हो सकती है।
  • अपने साथ आवश्यक कॅश लेकर यात्रा करे क्यूंकि क्षेत्र में आपको मोबाइल नेटवर्क सम्बन्धी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
  • धाम में आपको एचडीएफसी और एसबीआई बैंक के एटीएम की सुविधा मिल जाएगी।
  • पहाड़ी मार्ग में गाडी चलाने का अनुभव होने पर ही अपनी गाड़ी से यात्रा करे।
  • अपने साथ जरूरी वस्तुए जैसे की मेडिकल किट, रेनकोट, टूल किट, गर्म कपडे, इत्यादि जरूर साथ रखे।
  • बद्रीनाथ धाम जाने से पहले जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर और हनुमान चट्टी में हनुमान जी के मंदिर में जरूर जाए।
  • मंदिर के गर्भगृह में किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर पाबन्दी है।
  • दर्शन हेतु टोकन काउंटर से दर्शन टोकन अवश्य से ले।
  • अपने साथ सभी दस्तावेज अवश्य से रखे जिसकी जांच रास्ते में पुलिस द्वारा की जाती है।
  • धाम के निकट ही पेड पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।
  • मौसम के अनुसार अपने शरीर को अनुकूल बनाने हेतु जोशीमठ में विश्राम करके आगे की यात्रा पर जाए।

नजदीकी आकर्षण

धाम में दर्शन करने के पश्चात आप यहाँ के अन्य प्रसिद्ध स्थलों में भी जा सकते है, जैसे की : -

यहां कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से : - बद्रीनाथ धाम ऋषिकेश से 286 किमी और देहरादून आईएसबीटी से 330 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर आप सड़क मार्ग से बस, टैक्सी और बाइक द्वारा पहुँच सकते है। बस की सुविधा आपको देहरादून पर्वतीय बस अड्डा, ऋषिकेश बस अड्डा, और हरिद्वार बस अड्डे से प्राप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त ऋषिकेश और हरिद्वार बस टैक्सी स्टैंड से शेयर्ड टैक्सी (टाटा सूमो, मैक्स, बोलेरो) की सेवा भी ले सकते है। हरिद्वार और ऋषिकेश से आपको गढ़वाल मंडल की बस द्वारा भी आप बद्रीनाथ पहुँच सकते है।
 

रेल मार्ग से : - इसके निकटतम रेलवे स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो यहाँ से 288 किमी की दूरी पर स्थति है। हालाँकि हरिद्वार स्टेशन मुख्य स्टेशन में से है जो यहाँ से 311 किमी की दूरी पर है। स्टेशन से यात्रियों के लिए टैक्सी की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।
 

हवाई मार्ग से : - निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट में स्थित है जो बद्रीनाथ से लगभग 303 किमी की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से आपको टैक्सी की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। इसके निकटतम मुख्य स्थान ऋषिकेश है जो यहाँ से लगभग 17 किमी दूर है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

  • मई से जून : यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त जिसमे यात्रा सम्बंधित कोई विशेष परेशानी नहीं होती।
  • जुलाई से अगस्त : बरसात के चलते मार्ग अवरुद्ध और भूस्खलन जैसी समस्या से अत्यधिक परेशानी का सामना कर पड़ता है।
  • सितम्बर से कपाट बंद होने तक : यात्रा के लिए उत्तम समय है, हालाँकि इस दौरान अत्यधिक ठण्ड का सामना करना पड़ सकता है।

समुद्र तल से ऊँचाई

बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से 3,300 मीटर (10,000 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

निकट के घूमने के स्थान

KM

जानिए यात्रियों का अनुभव