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हरिद्वार अर्द्ध कुम्भ 2027

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जानकारी

विश्व की सबसे बड़े धार्मिक समारोह में से एक "कुम्भ मेला" का आयोजन उत्तराखंड के हरिद्वार में वर्ष 2027 में किया जाएगा। यह कुम्भ छह वर्षो में एक बार मनाए जाने वाला अर्द्ध कुम्भ होगा, जिसका इंतजार दुनियाभर के लाखो श्रद्धालु कर रहे है। ऐसा माना जाता है की कुम्भ के दौरान गंगा नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति को उसके समस्त पापो से मुक्ति मिल जाती है।
 

देश विदेश से लाखो की संख्या में श्रद्धालु इस अर्ध कुम्भ में शामिल होने आते है, जिसके चलते इसे विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक समारोह में गिना जाता है। वर्ष 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हुए महाकुम्भ में 60 करोड़ से अधिक की संख्या में लोग शामिल होने आए थे।
 

अंतिम बार अर्ध कुम्भ का मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हुआ था तो वहीं हरिद्वार में अंतिम अर्ध कुम्भ वर्ष 2016 में आयोजित हुआ था। इस अर्ध कुम्भ के लिए राज्य सरकार ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है, जिसके चलते आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। श्रद्धालुओं के साथ साथ देश विदेश के धार्मिक गुरु, संत और अन्य इस अर्ध कुम्भ का बेसब्री से इंतजार कर रहे है।

हरिद्वार अर्ध कुम्भ मेला 2027 यात्रा गाइड

हरिद्वार में वर्ष 2027 में अर्ध कुम्भ का आयोजन किया जाना है, जो की पूरे 11 साल बाद आयोजित किया जा रहा है। अंतिम बार हरिद्वार में अर्ध कुम्भ का आयोजन वर्ष 2016 में हुआ था। वर्ष 2027 के अर्द्ध कुम्भ में लाखो श्रद्धालुओं का आना तय है, जिसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए श्रद्धालुओं के लिए स्पेशल कुम्भ ट्रैन और बस का संचालन भी किया जाता है, जिससे श्रद्धालुओं को हरिद्वार आने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
 

उत्तराखंड का हरिद्वार जिला दिल्ली से ट्रैन और सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है तो वहीं दिल्ली देश के अन्य स्थानों से हवाई, सड़क और रेल मार्ग से। इस हरिद्वार अर्द्ध कुम्भ 2027 ट्रेवल गाइड में हम आपसे साझा करेंगे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जैसे की अर्ध कुम्भ के शाही स्नान की तिथि, हरिद्वार कैसे पहुंचे, हरिद्वार के मशहूर स्नान घाट, रहने की व्यवस्था, ट्रैन और बस की जानकारी के साथ और भी बहुत कुछ।

कुम्भ मेला क्या है?

कुंभ मेला हिंदुओं का एक पवित्र धार्मिक समारोह है, जहाँ श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करके अपने पापो से विमुक्त होने आते है। विश्व भर से लाखो श्रद्धालुओं द्वारा इसमें शामिल होने के चलते इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन भी कहा जाता है।
 

कुम्भ मेले के दौरान विभिन्न तरह के समारोह आयोजित किए जाते है जिनमे शिव, वैष्णव और उदासीन अखाड़ों का भव्य जुलुस के साथ नागा साधुओ की यात्रा भी शामिल है, जो मेले में आए श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती है।
 

कुम्भ मेला 12 वर्षो में एक बार आयोजित किया जाता है तो वहीं अर्ध कुम्भ मेला छह वर्षो में एक बार। कुम्भ का आयोजन कहाँ और कब होगा यह सब ग्रहो की चाल के ऊपर निर्भर होता है जो की मुख्य्तः चार शहरो में होता है: -

  • उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर।
  • उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा और यमुना नदी पर।
  • मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी पर।
  • महाराष्ट्र के नाशिक में गोदावरी नदी पर।

वेदो और पुराणों के अनुसार देवता और असुरो के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान अंत में जब अमृत कलश उत्पन्न हुआ था तो उसे स्वर्ग लोक ले जाते वक्त उसमे से कुछ बूंदे इन चारो स्थानों पर गिर गई थी, जिसके चलते इन्ही चार स्थानों पर कुम्भ मेले का आयोजना किया जाता है। ऐसा बताया जाता है की हरिद्वार में यह बूंदे हर की पौड़ी पर गिरी थी, जिसके चलते इस घाट को पूरे हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र घाट माना जाता है।

कुम्भ मेले के प्रकार

कुम्भ मेला मुख्य रूप से तीन प्रकार के है, जिनका विश्लेषण कुछ इस प्रकार से है: -

अर्द्ध कुम्भ मेला

  • अर्ध का अर्थ है "आधा" जो पूर्ण कुम्भ के मध्य में स्थित है।
  • इसका आयोजन छह वर्ष में एक बार किया जाता है।
  • हरिद्वार और प्रयागराज शहर में ही इसका आयोजन किया जाता है।

पूर्ण कुम्भ मेला

  • इसका आयोजन 12 वर्षो में एक बार किया जाता है।
  • इसकी तिथि बृहस्पति के सूर्य और चंद्र में स्थिति के आधार पर तय की जाती है।
  • इसका आयोजन हरिद्वार, उज्जैन, नाशिक, और प्रयागराज में से एक में होता है।

महाकुम्भ मेला

  • इसे सभी कुम्भ मेलो में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  • यह 12 पूर्ण कुम्भ होने पर पूरे 144 वर्षो के बाद मनाया जाता है।

अर्ध कुम्भ मेला हरिद्वार 2027: शाही स्नान की महत्वपूर्ण तिथि

हरिद्वार में वर्ष 2027 में आयोजित होने वाले अर्द्ध कुम्भ की तिथियों की जानकारी अभी साझा नहीं की गई है। हालाँकि आशा है की इसका आयोजन जनवरी माह से अप्रैल माह के दौरान किया जाएगा। इस अर्ध कुम्भ की शुरुआत बृहस्पति के कुंभ राशि में और सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने पर होती है और इस घटना के बने रहने तक इस अर्ध कुम्भ का संचालन किया जाता है। इस अवधि के दौरान कई त्यौहार और महत्वपूर्ण दिवस पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है जो इस अर्ध कुम्भ के विशेष दिनों में जाना जाता है।

विशेषतादिनतिथि (अनुमानित )
पहला स्नानमकर संक्रांति।15 जनवरी 2027
दूसरा स्नानमौनी अमावस्या।06 फरवरी 2027
तीसरा स्नानवसंत पंचमी।11 फरवरी 2027
चौथा स्नानमाघ पूर्णिमा।20 फरवरी 2027
पहला शाही स्नान दिवसमहाशिवरात्रि।06 मार्च 2027
दूसरा शाही स्नान दिवससोमवती अमावस्या। 
अन्य महत्वपूर्ण स्नान दिवसचैत्र शुक्ल प्रतिपदा।22 मार्च 2027
अन्य महत्वपूर्ण स्नान दिवसमेष सक्रांति।15 जनवरी 2027
अन्य महत्वपूर्ण स्नान दिवसरामनवमी।15 अप्रैल 2027
अन्य महत्वपूर्ण स्नान दिवसचैत्र पूर्णिमा।20 अप्रैल 2027

हरिद्वार कुम्भ मेला 2027: स्नान घाट की सूची

हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालुओं के स्नान हेतु कुल 104 घाटों का नवीनीकरण किया जाना है। इनमे से कुछ प्रमुख घाट की सूची इस प्रकार से है: -

कुम्भ मेला की सूची

कुम्भ मेले की जानकारी 8वीं सदी के महान गुरु आदि शंकराचार्य जी द्वारा बताई गई है। वैसे तो कुम्भ मेले की परम्परा काफी पुरानी है लेकिन सन 1870 के बाद से इसे विशेष पहचान मिली। अंग्रेजो के राज के समय इस कुम्भ मेले का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (अलाहाबाद) में हुआ था। प्रयागराज में होने वाला कुम्भ मेला हरिद्वार में हुए कुम्भ मेले के तीन वर्षो बाद और नाशिक और उज्जैन कुम्भ मेले से तीन वर्ष पहले आयोजित किया जाता है। नाशिक और उज्जैन में होने वाला कुम्भ एक वर्ष या एक वर्ष के अंतराल पर मनाया जाता है, जिसमे उज्जैन में होने वाला मेला नाशिक के बाद में होता है।
 

जहाँ 2027 में अर्ध कुम्भ का आयोजन हरिद्वार में किया जा रहा है तो वहीं नाशिक में वर्ष 2027 में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाएगा। इसके अगले वर्ष यानी 2028 में उज्जैन में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाएगा। हरिद्वार में होने वाले अर्ध कुम्भ के पश्चात अगला अर्ध कुम्भ मेला 2031 में प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा। पिछले कुछ सदी में आयोजित हुए कुम्भ मेले की जानकारी इस प्रकार से है: -

अर्द्ध कुम्भ मेले की वर्ष वार सूची

वर्षशहर
1980हरिद्वार
1984प्रयागराज
1992हरिद्वार
1995प्रयागराज
2004हरिद्वार
2007प्रयागराज
2016हरिद्वार
2019प्रयागराज
2027हरिद्वार
2031प्रयागराज

कुम्भ मेला वर्ष वार सूची

वर्षशहर
1980नाशिक और उज्जैन
1986हरिद्वार
1989प्रयागराज
1992नाशिक और उज्जैन
1998हरिद्वार
2001प्रयागराज
2003नाशिक
2004उज्जैन
2010हरिद्वार
2013प्रयागराज
2015नाशिक
2016उज्जैन
2021हरिद्वार
2027नाशिक
2028उज्जैन

महाकुम्भ मेला

वर्षशहर
1881प्रयागराज
2025प्रयागराज
2037प्रयागराज

हरिद्वार अर्ध कुम्भ मेले में रहने की व्यवस्था

  • कुम्भ मेले के दौरान आने वाले लाखो श्रद्धालुओं के लिए रहने की व्यवस्था बहुत मुश्किल कार्य है। इसको पूर्ण करने हेतु हरिद्वार में में विभिन्न तरह के विकल्प मौजूद है, जैसे की : -
    • होटल्स।
    • होम स्टे।
    • गेस्टहॉउस।
    • लॉज।
    • ओयो रूम्स।
    • धर्मशाला।
    • आश्रम।
  • इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा
    • अस्थायी टेंट सिटी भी बनाई जाएगी, जिसमे श्रद्धालुओं के निशुल्क रहने की व्यवस्था के साथ अन्य सुविधा भी दी जाएगी।
    • सरकारी कैंप और टेंट।

नोट: कुम्भ मेले में आने वाले सभी श्रद्धालु अपने रहने की व्यवस्था पहले से अवश्य से बुक कर ले। बढ़ती मांग के चलते अंतिम समय में निवास मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

अर्ध कुम्भ के लिए हरिद्वार कैसे पहुंचे?

हरिद्वार आप देश के किसी भी क्षेत्र से सड़क, रेल या हवाई सेवा का लाभ लेकर आ सकते है। अपने स्थान से हरिद्वार की सीधी सेवा उपलब्ध ना होने पर सबसे पहले आप देश की राजधानी दिल्ली पहुंचे, जिसके लिए आप रेल, हवाई या सड़क मार्ग का प्रयपग कर सकते है। दिल्ली से हरिद्वार की दूरी सड़क, रेल और हवाई तीनो ही मार्ग से की जा सकती है, जिसकी विस्तृत जानकारी कुछ इस प्रकार से है। 
 

सड़क मार्ग से: - हरिद्वार राष्ट्रिय राजमार्ग 334 पर स्थित है, जो अपने निकटतम शहरो से सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन सेवा के साथ अन्य निजी संचालक भी हरिद्वार के लिए बस सेवा प्रदान करते है। बस सेवा का लाभ आप दिल्ली, लखनऊ, आगरा, चंडीगढ़ और अन्य प्रमुख बस अड्डों से ले सकते है। इसके अतिरिक्त आप हरिद्वार टैक्सी सेवा के द्वारा भी आ सकते है, जिसकी सेवा आपके स्थानीय क्षेत्र में आसानी से मिल जाएगी। दिल्ली से हरिद्वार की बस सूची आप ऑनलाइन माधयम या दिल्ली कश्मीरी बस स्टैंड से प्राप्त कर सकते है। यह बस सेवा आपको हरिद्वार बस स्टैंड पर छोड़ देती है, जहाँ से हर की पौड़ी मात्र 6 किमी की दूरी पर है।
 

रेल मार्ग से:- देश के विभिन्न भागो से हरिद्वार रेल माध्यम से भी जुड़ा हुआ है, जहाँ आपको रोजाना या सप्ताह में चलने वाली ट्रैन की सुविधा मिल जाएगी। दिल्ली से हरिद्वार के लिए ट्रैन सेवा नियमित रूप से मिल जाती है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से हर की पौड़ी मात्र छह किमी की दूरी पर स्थित है।
 

हवाई मार्ग से : हवाई मार्ग का प्रयोग करने वाले यात्री हरिद्वार के निकटतम हवाई अड्डा देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर आ सकते है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से हरिद्वार 57 किमी की दूरी पर स्थित है जिसे आप सड़क मार्ग से टैक्सी के द्वारा पूर्ण कर सकते है। देहरादून जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहर जैसे की दिल्ली, बैंगलोर, लखनऊ, जयपुर, मुंबई एवं अन्य से रोजाना सीधी सेवा से जुड़ा हुआ है।

हरिद्वार कुम्भ स्पेशल ट्रैन

कुम्भ मेले के दौरान रेलवे के आईआरसीटीसी द्वारा कुम्भ के लिए स्पेशल ट्रैन सेवा भी संचालित की जाती है, जो आपके शहर से सीधा हरिद्वार तक की सेवा प्रदान करती है। हरिद्वार कुम्भ स्पेशल ट्रैन सेवा से श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम बन जाती है जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं उठानी पड़ती। कुम्भ स्पेशल ट्रैन सेवा की जानकारी रेलवे द्वारा कुम्भ शुरू होने से कुछ समय पहले ही दी जाएगी, जिसके लिए आप रेलवे के हेल्पलाइन सेवा 139 पर भी सम्पर्क कर सकते है।

मुख्य आकर्षण

हरिद्वार अर्ध कुम्भ में मिलने वाली सेवाए

  • श्रद्धालुओं के रहने हेतु टेंट सेवा जिसमे सभी मूल बहुत सुविधा का लाभ।
  • मार्ग के साथ टेंट में टॉयलेट की सुविधा।
  • मार्ग में पीने का पानी।
  • कुम्भ के लिए स्पेशल ट्रैन और बस सेवा।
  • क्षेत्र के नजदीक पार्किंग की सुविधा।
  • मार्ग में खाने की व्यवस्था।

कुम्भ मेला

देवो और दानवो के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला तो मोहिनी रूप धारण किये भगवान विष्णु ने उसे अपने वाहन गरुड़ पर रखकर स्वर्ग लोक की और जाने लगे। इस दौरान उस कलश से अमृत की कुछ बूंदे धरती के चार स्थानों पर गिरी जो की हरिद्वार, उज्जैन, नाशिक और प्रयागराज है। इसी के चलते इन्ही स्थानों पर कुम्भ मेले का आयोजना किया जाता है, जिसमे कुम्भ का अर्थ है घड़ा। कुम्भ मेला 12 वर्ष के अंतराल पर इसलिए मनाया जाता है की क्यूंकि देवो और दानवो में समुद्र मंथन 12 दिनों तक चला था और ऐसा कहा जाता है की देवो का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर है।

कुम्भ से जुड़े कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न: कुम्भ मेला और अर्द्ध कुम्भ मेले में क्या अंतर है?
उत्तर: कुम्भ मेला 12 वर्षो में एक बार मनाया जाता है जबकि अर्ध कुम्भ मेला छह वर्षो में एक बार ही मनाया जाता है।
 

प्रश्न: महाकुम्भ मेला क्या है?
उत्तर: 12 वर्षो में आयोजित होने वाले कुम्भ को पूर्ण कुम्भ मेला कहा जाता है और जब 12 पूर्ण कुम्भ होते है तो उसे महाकुम्भ मेला कहा जाता है जो 144 वर्षो में एक बार मनाया जाता है।
 

प्रश्न: कुम्भ मेले का आयोजन केवल चार स्थानों में ही क्यों किया जाता है?
उत्तर: कुम्भ मेले का आयोजन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नाशिक में इसलिए आयोजित किया जाता है क्यूंकि इन्ही चार स्थानों पर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की बूंदे गिरी थी।
 

प्रश्न: कुम्भ में दिखने वाले नागा साधु कौन है और वह कहाँ रहते है?
उत्तर: केवल कुम्भ के दौरान दिखने वाले नागा साधु एक वैरागी है और भगवान शिव के अनुयायी है। संसार का मोह चुके नागा साधु वस्त्र धारण करने के बजाए शरीर पर श्मशान की भस्म लगाते है। नागा साधु को हमेशा कुम्भ मेले के दौरान ही देखा जाता है जो मुख्य रूप से हिमालय में रहकर ध्यान साधना में लिप्त रहते है। श्रद्धालु कुम्भ मेले के दौरान नागा साधु से इनके अखाड़े में जाकर भेंट कर सकते है।
 

प्रश्न: क्या हरिद्वार अर्ध कुम्भ के लिए पंजीकरण आवश्यक है?
उत्तर: ऐसी आशा की जा सकती है भीड़ को नियंत्रित करने हेतु राज्य सरकार कुम्भ मेले में शामिल होने आए सभी श्रद्धालुओं का ऑनलाइन पजीकरण की प्रक्रिया को अमल में लाए।
 

प्रश्न: अगला कुम्भ मेला किस वर्ष और किस शहर में आयोजित किया जाएगा?
उत्तर: अगला कुम्भ मेला जिसे सिंहस्त कुम्भ भी कहा जाता है महाराष्ट्र के नाशिक में वर्ष 2027 के अंत में आयोजित किया जाएगा।
 

प्रश्न: नाशिक 2027 कुम्भ मेले के बाद किस वर्ष में कुम्भ मेले का आयोजन होगा और किस वर्ष में?
उत्तर: नाशिक के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन में वर्ष 2028 में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाएगा।
 

प्रश्न: हरिद्वार 2027 अर्ध कुम्भ के बाद अगला अर्ध कुम्भ मेला किस वर्ष और किस शहर में आयोजित होगा?
उत्तर: हरिद्वार के बाद अगला अर्ध कुम्भ मेला 2031 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा।

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