नीलकंठ महादेव मंदिर

जानकारी
वैसे तो उत्तराखंड में भगवान शिव के कई मंदिर स्थापित है जिनकी विशेष मान्यता है लेकिन उन सबसे भिन्न है पौड़ी गढ़वाल स्थित 'नीलकंठ महादेव मंदिर'। ऋषिकेश के समीप यह मंदिर सर्पित है भगवान शिव के रूप जिसे 'नीलकंठ' कहा जाता है। ऊँची पहाड़ी में प्रकृति की गोद में स्थित यह मंदिर तीन घाटी मणिकूट, ब्रह्मकूट, और विष्णुकूट से घिरा हुआ है, जो की दो प्रमुख नदियां 'मधुमती' और 'पंकजा' के मध्य स्थित है। करीब 4,000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर से चारो तरफ का बेहद ही सुन्दर नजारा दिखता है। कहते है की सच्चे मन से मांगी गई सभी मनोकामना नीलकंठ महादेव द्वारा पूर्ण की जाती है। इसी आस में हजारो की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दूर-दूर से भोलेनाथ के दर्शन करने आते है, विशेषकर शिवरात्रि के समय।
पवित्र श्रावण मास के दौरान सम्पूर्ण मार्ग शिव के जयकारो से गुंजायमान हो उठता है। इस दौरान मंदिर में जल चढाने के लिए भक्तो की लम्बी कतार भगवान शिव के प्रति आस्था और विश्वास को दर्शाती है। अभिषेक पश्चात अक्सर श्रद्धालु मंदिर प्रांगढ़ में स्थित पीपल के पेड़ पर धागा बांधकर भोलेनाथ से मनोकामना मांगते हुए दिख जाते है। मंदिर का निर्माण द्रविड़ियन हस्तकला में हुआ है जो बेहद ही खूबसूरत दिखाई पड़ता है। नीलकंड मंदिर के द्वार सुबह 5 बजे खोल दिए जाते है तो दर्शन हेतु शाम के 7 बजे तक खुले रहते है। लेकिन कांवड़ यात्रा के दौरान मंदिर सुबह 3 बजे जल चढाने हेतु खोल दिए जाते है।
काँवड़ यात्रा
ऋषिकेश स्थित नीलकंठ महादेव का यह मंदिर प्रत्येक वर्ष जून से जुलाई माह में आयोजित होने वाली धार्मिक काँवड़ यात्रा का विशेष केंद्र माना जाता है। विभिन्न स्थानों से कांवड़िये हरिद्वार से जल लाकर मंदिर में भोले को अर्पित करने आते है। जल के साथ शिवलिंग पर बेल पत्री, दूध, दही और शहद भी चढ़या जाता है। इस पवित्र माह के दौरान मंदिर और मंदिर आने वाला कांवड़िये से भरा रहता है।
नीलकंठ ट्रेक
नीलकंठ मंदिर आप सड़क मार्ग के साथ पैदल मार्ग के द्वारा भी जा सकते है। पूरे 12 किमी लम्बा नीलकंठ का यह पैदल मार्ग राम झूला से शुरू होता है। इस मार्ग को तय करने में श्रद्धालुओं को 4 से 5 घंटे का समय लग जाता है। अक्सर श्रावण मास के दौरान कांवड़िये इसी मार्ग का उपयोग करते है। इस मार्ग पर आपको कई ट्रेक प्रेमी एवं अन्य भी दिखाई दे जाएंगे। इसके पैदल मार्ग से चारो तरफ का नजारा बेहद ही आकर्षक और खूबसूरत नजर आता है।
प्रसाद शॉप
मंदिर में प्रसाद और चढाने हेतु जल की सुविधा आपको मंदिर के बाहर उपलब्ध दुकानों पर मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त मंदिर में चढाने हेतु श्रद्धालु के लिए अन्य सामान भी इन दुकानों पर उपलब्ध रहता है। इन दुकानों से श्रद्धालु अपने घर के लिए विभिन्न प्रकार की धातु और अन्य प्रकार की वस्तुए भी खरीद सकते है। इन दुकानों से प्रसाद लेने पर श्रद्धालु अपने जूते और अन्य सामान निशुल्क में रख सकते है।
इतिहास
पारौणिक कथा के अनुसार देव और दानवो के बीच अमृत की उत्पत्ति के लिए समुद्रमंथन को लेकर सहमति बनी। कहा जाता है की समुद्रमंथन के दौरान 14 रतन की उत्पत्ति के साथ कलकूट नामक विष की भी उत्पत्ति हुई। कहते है इस कलकूट नामक विष से सम्पूर्ण विश्व का खात्मा हो सकता था। समुद्रमंथन के नियमो के अनुसार किसी भी वस्तु के उत्पन्न होने पर उसे देव या फिर दानव द्वारा बारी बारी पर रखा जाना तय था, लेकिन इस विष के उत्पन्न होने पर दोनों देव और दानवो ने इसे स्वीकारने से मना कर दिया।
विश्व को इस विष के प्रभाव से बचाने के लिए शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे शिव का कंठ नीला प्रतीति पड़ गया और इसके पश्चात से उन्हें नीलकंठ के नाम से पहचाने जाने लगा। इस विष के दुष प्रभावों को खत्म करने हेतु शिव ने पंचपनी वृक्ष (जो की आग के समय में मंदिर का गर्भ ग्रह वाला स्थान है) के नीचे कई हजार वर्षो तक कठोर तपस्या की। तपस्या पूर्ण होने के पश्चात शिव द्वारा वृक्ष के नीचे गले की आकृति वाले शिवलिंग को स्थापित किया गया।
यात्रा मार्ग
नीलकंठ मंदिर आप विभिन्न स्थान जैसे की दिल्ली, हरिद्वार मेरठ, गाज़ियाबाद, रुड़की, देहरादून इत्यादि से आ सकते है। ऋषिकेश इसके निकटतम शहर में से है, जहाँ आप बस, ट्रैन या टैक्सी के माधयम से आ सकते है। ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर केवल 90 मिनट की यात्रा दूर है, जिसके लिए आप सड़क मार्ग से टैक्सी, कैब, या दु पहिया वाहन के द्वारा आ सकते है। श्रद्धालु मंदिर में निम्नलिखित मार्ग के द्वारा पहुँच सकते है : -
दिल्ली से (284 किमी) → मेरठ → मुजफ्फरनगर → रूड़की → हरिद्वार → ऋषिकेश → नीलकंठ मंदिर।
देहरादून से (65 किमी) → डोईवाला → जॉली ग्रांट → ऋषिकेश → नीलकंठ मंदिर।
निकटतम प्रमुख मार्गो से मंदिर की दूरी
ऋषिकेश बस स्टैंड से नीलकंठ मंदिर | 25 किमी |
ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से नीलकंठ मंदिर | 28 किमी |
हरिद्वार रेलवे स्टेशन से नीलकंठ मंदिर | 50 किमी |
सहारनपुर से नीलकंठ मंदिर | 111 किमी |
ठहरने हेतु व्यवस्था
श्रद्धालुओं को मंदिर के निकट ठहरने हेतु गेस्टहॉउस, रिसोर्ट, कॉटेज और टेंट जैसे विकल्प मिल जाएंगे। अन्य विकल्प के लिए यात्री ऋषिकेश या उसके निकट के क्षेत्र में जा सकते है। मंदिर के निकट मिलने वाले आवास की सूची कुछ इस प्रकार से है : -
- हॉस्टलर बाम।
- शिवया गेस्टहाउस।
- यक्ष नीलकंठ।
- आनंदवन जंगल रिज़ॉर्ट।
- यमकेश्वर महादेव रिज़ॉर्ट।
- हाई गार्डन स्टे।
- पंचवटी लक्जरी रिसॉर्ट्स।
- पक्षियों का घोंसला और प्रकृति का निवास।
- स्पर्श गंगा कॉटेज और रिज़ॉर्ट।
- मंगलम वैली रिज़ॉर्ट।
- श्री मंगलम पाम रिसॉर्ट्स।
यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- शिवरात्रि और सावन के दौरान मंदिर में होने वाली अत्यधिक भीड़ से कुछ परेशानी हो सकती है। अतः अपनी यात्रा की पहले से योजना बना ले।
- शिवरात्रि और सावन माह के पावन दिनों में भक्तो की लम्बी कतारो के चलते मंदिर में जल चढाने के लिए कुछ सेकण्ड्स का ही समय मिल पाता है।
- गाडी खड़ी करने हेतु मंदिर के निकट उचित व्यवस्था उपलब्ध है।
- शिवरात्रि और सावन माह के दौरान मार्ग में अत्यधिक जाम का सामना करना पड़ सकता है। इसके चलते दू पहिया वाहन से यात्रा करने की सलाह दी जाती है।
- लाइन में खड़े होने के चलते गर्मी, धक्का लगना और थकान जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
- मंदिर के बाहर प्रसाद की उचित व्यवस्था है, जहाँ आप अपने जूते एवं अन्य समान भी रख सकते है।
- मंदिर मार्ग की सड़क कच्ची और संकरी है, जिससे गाडी चलने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- जूते रखने हेतु मंदिर में निशुल्क स्टैंड उपलब्ध है।
- नजदीक में फ्यूल स्टेशन की उपलब्धता ना होने के चलते गाडी में उचित मात्रा में फ्यूल रखें।
- मंदिर में मोबाइल नेटवर्क सिग्नल सीमित होने के चलते अपने पास कैश अवश्य से रखे।
- मंदिर में झरने के निकट नाहने हेतु अपने साथ तौलिया एवं अन्य सामान ले जाना न भूले।
- महिलाओ के लिए कपडे बदलने की व्यवस्था मंदिर प्रांगढ़ में उपलब्ध दुकानों के पास मिल जाएगी।
- मंदिर में मौजूद बन्दर से अपने सामान की सुरक्षा अवश्य करे।
नजदीकी आकर्षण
मंदिर के निकट आप ऋषिकेश की अन्य लोकप्रिय स्थानों पर भी जा सकते है, जैसे की: -
- राम झूला और लक्ष्मण झूला।
- गंगा आरती।
- बीटल्स आश्रम।
- नीर झरना।
- पटना वाटरफॉल्स।
- परमार्थ निकेतन।
- गीता भवन।
- त्रयंबकेश्वर मंदिर (13 मंजिल मंदिर)
- मुनि की रेती।
- शिवपुरी।
- गोवा बीच।
यहां कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से: नीलकंड महादेव मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित है, जिसकी दूरी ऋषिकेश से लगभग 26 किमी की है। मंदिर आप टैक्सी, कैब या बाइक के माध्यम से आ सकते है।, जिसकी सुविधा आपको ऋषिकेश से प्राप्त हो जाएगी। ऋषिकेश में आप अन्य स्थानों से बस, टैक्सी या ट्रैन की सहायता से आ सकते है।
रेल मार्ग से : इसके निकटतम रेल मार्ग योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 27 किमी की दूरी पर है। स्टेशन से उतरकर यात्री कैब बुक करके या नजदीकी टैक्सी स्टैंड से टैक्सी की सहायता से मंदिर पहुँच सकते है।
हवाई मार्ग से : इसके निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो यहाँ से 42 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर जाने के लिए यात्री एयरपोर्ट से टैक्सी सेवा का लाभ ले सकते है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
मंदिर श्रद्धालुओं के लिए वर्ष भर खुला रहता है लेकिन सबसे उत्तम समय सितम्बर से मार्च का माना जाता है। इस दौरान यात्रियों को गर्मी और बारिश जैसे परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त यात्री यहाँ शिवरात्रि और सावन माह के दौरान भी आ सकते है, हालाँकि उस दौरान उन्हें अत्यधिक भीड़ और ट्रैफिक का सामना करना पड़ सकता है।
समुद्र तल से ऊँचाई
नीलकंठ महादेव मंदिर समुद्र तल से 1,330 मीटर (4,363 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।