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भद्राज मंदिर

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जानकारी

मसूरी से 13 किमी दूर पहाड़ी की चोटी पर स्थित भद्रराज मंदिर बेहद ही खूबसूरत और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित इस मंदिर की बनावट और इसमें प्रयोग हुआ सफ़ेद मार्बल इस मंदिर की भव्यता में चार चाँद लगा देता है। कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण द्वापर युग में हुआ है, जिसकी अपनी एक विशेषता है और इसी विशेषता के चलते आस पास के क्षेत्रवासियो की बल भद्रा (भगवान बलराम) में अनूठी आस्था है। प्रत्येक वर्ष अगस्त माह में ग्राम वासी और मंदिर समिति द्वारा तीन दिन के वार्षिकोत्सव मेले का एक भव्य आयोजना किया जाता है, जिसमे काफी संख्या में लोग यहाँ एकत्रित होते है।

सुंदरता से घिरा धार्मिक स्थल

पहाड़ो की रानी कहे जाने वाली मसूरी और उसके निकट घूमने हेतु कई पर्यटक स्थल है। उन्ही में से एक भद्रराज मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी है जो अपनी सुंदरता, शांति और यहाँ से नजर आने वाला सुन्दर प्राकृतिक दृश्य के लिए जाना जाता है। जितना सुन्दर भद्रराज मंदिर है उतना ही सुन्दर यहाँ तक पहुंचने का इसका मार्ग है। इसके मार्ग से आपको बेहद ही प्राकृतिक ख़ूबसूरती, ऊँचे ऊँचे पेड़, घास के मैदान देखने को मिलते है। साफ मौसम के दिन यहाँ से आपको दून घाटी, चकराता, और हिमालय की पहाड़ियों का बेहद ही मनोरम दृश्य देखने को मिलता है।
 

सर्दियों के दौरान पड़ने वाली बर्फ से पूरा क्षेत्र सफ़ेद बर्फ की चादर ओढ़ लेता है, जिससे इसका दृश्य अत्यधिक सुन्दर दिखाई पड़ता है। पहाड़ की चोटी पर स्थित मंदिर के चारो तरफ की घाटी बेहद ही आकर्षक लगती है जो अक्सर सर्दियों के दौरान बादलो से घिरी रहती है। देहरादून से 49 किमी दूर मंदिर में आप मसूरी या किमाड़ी मार्ग से पहुँच सकते है। अक्सर यात्री किमाड़ी मार्ग में कम व्यस्तता के चलते इस मार्ग का प्रयोग करते है।

वार्षिक मेला

भद्रराज मंदिर में प्रत्येक वर्ष 15 से 17 अगस्त तक एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में आस पास के गांव वाले के साथ अन्य क्षेत्रों से हजारो की संख्या में श्रद्धालु आते है। मेले के दौरान श्रद्धालु मंदिर में घी, दूध, और अनाज को प्रसाद के रूप में चढ़ाते है और क्षेत्र की शांति और खुशहाली के लिए कामना करते है। मेले के दौरान मंदिर और इसके मार्ग में अत्यधिक भीड़ और जाम का सामना करना पड़ता है।

भद्रराज मंदिर ट्रेक

भद्रराज मंदिर अपनी खूबसूरती और धार्मिक महत्ता के अतिरिक्त अपने ट्रेक के लिए भी प्रसिद्ध है। भद्रराज मंदिर ट्रेक अपने रोमांचकारी सफर और खूबसूरत नजारो के लिए जाना जाता है। यह ट्रेक मुख्यतः दो स्थानों से संचालित होता है, पहला मसूरी के लाइब्रेरी चौक या फिर क्लाउड एन्ड से और दूसरा माटोगी गांव से। लाइब्रेरी चौक या क्लाउड एन्ड से किये जाने वाला भद्रराज ट्रेक थोड़ा लम्बा है जिसकी दूरी 14 किमी की है लेकिन इस मार्ग में आपको खाने और पीने की उचित व्यवस्था मिल जाती है।
 

वहीं माटोगी गांव से शुरू होने वाले ट्रेक की दूरी लगभग 8 किमी की है लेकिन इस मार्ग में आपको किसी भी प्रकार की पानी और खाने की व्यवस्था नहीं मिलती है। लाइब्रेरी चौक वाले मार्ग की तुलना में माटोगी ट्रेक मार्ग का उपयोग लोग कम ही करते है। इस ट्रेक को कई यात्री एक ही दिन में पूरा करके वापस चले जाते है तो कई व्यक्ति मंदिर के निकट ही टेंट लगाकर रात्रि विश्राम करके अगली सुबह यहाँ से निकलते है जो इस ट्रेक को और भी यादगार बना देता है। यह ट्रेक आसान की श्रेणी में आता है जिसे अनुभवी व्यक्ति द्वारा भी पूर्ण किया जा सकता है।

मंदिर का इतिहास

बताया जाता है की महाभारत के युद्ध पश्चात सभी जीवित लोग शांति और प्राश्यचित हेतु अपने अपने स्थानों पर लौट चले थे। भगवान बलराम भी अपने गायो के साथ किसी ऐसे स्थान की तलाश में निकल पड़े, जहाँ वह कुछ समय तक तपस्या कर सके। इसकी खोज करते हुए वह बिनहार पहुंचे जहाँ ग्राम वासियो ने उनका बेहद ही गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कुछ समय तक इस स्थान पर तपस्या करी और इस दौरान गांव वालो ने उनकी गायो का विशेष ध्यान रखा। तपस्या पूर्ण होने के पश्चात वह बद्रीनाथ की ओर चल दिए और जाने से पूर्व ग्राम वासियो से वायदा किया की वह पुनः एक शिला के रूप में लौटकर आएंगे उनकी और उनके पशुओ की रक्षा करने। कई वर्ष बीत जाने के बाद ग्रामवासी उनके लौटने की उम्मीद खो चुके थे।
 

इसी दौरान एक दिन यमुना नदी किनारे उपचार हेतु जड़ी बूटी की तलाश कर रहे एक युवक को एक आवाज सुनाई दी "मुझे यहाँ से बाहर निकालो"। यह सुनकर वह व्यक्ति डर गया और अपने दोस्तों को इसकी जानकारी दी। वह सभी उसी स्थान पर वापस आए तो उन सभी ने उस ध्वनि को सुना। व्यक्ति ने हिम्मत करके जमीन से पत्थर और मिटटी को हटाया तो वह भगवान बलराम की शिला रूप में मूर्ति थी। मूर्ति को उठाने पर उसमे से पुनः आवाज आयी की मुझे किस ऊँचे स्थान पर ले चलो। यह सुनकर वह व्यक्ति सोचने लगा की उसे कैसे पता चलेगा की किस ऊँचे स्थान पर मूर्ति को ले जाना है तो मूर्ति से आवाज आयी की जिस भी स्थान पर मेरा वजन अत्यधिक बढ़ जाए और उठाया न जा सके उसी स्थान पर मुझे रख देना।
 

ऊंचाई वाले क्षेत्र की खोज में वह व्यक्ति मूर्ति को लेकर भद्रराज की पहाड़ी पर पहुंचा। पहाड़ी पर पहुंचने पर मूर्ति की वजन अत्यधिक पाकर उसने उसी स्थान पर मूर्ति को रख दिया, जिस स्थान पर आज मंदिर निर्मित है। इतना लम्बा सफर तय करने के पश्चात प्यास से व्याकुल वह व्यक्ति पानी की खोज में इधर उधर भटकने लगा की तभी मूर्ति से आवाज आयी की इसी स्थान से आगे जाने पर कुछ दूरी पर पड़े पत्थरो को हटाकर तुम्हे पानी प्राप्त होगा। ऐसा करने पर उस बालक को पानी की प्राप्त हुई। यह पानी का श्रोत अभी माटोगी गांव में स्थित जहाँ वर्ष भर पानी एक सामान रहता है।
 

इसके अतिरिक्त ऐसा भी कहा जाता है गांव स्थित एक राक्षस गांव वालो के पशुओ को मार रहा था तो उनकी रक्षा हेतु गांव के लोगो ने भगवान बलराम का आह्वान किया। भगवान बलराम ने उस राक्षस का अंत करके गांव वालो की प्राथना पूर्ण की, जिसके फलस्वरूप गांव के लोगो ने उनकी पूजा अर्चना हेतु इस मंदिर का निर्माण किया।

मंदिर खुलने और बंद होने का समय

भद्रराज मंदिर भक्तो के लिए दर्शन हेतु रोजाना सुबह 8 बजे खोल दिया जाता है। वहीं पहाड़ी और दुर्गम इलाके में स्थित होने के चलते मंदिर शाम को 6 बजे बंद कर दिया जाता है।

पार्किंग शुल्क

मंदिर के निकट यात्रियों के लिए निशुल्क निशुल्क पार्किंग की व्यवस्था उपलब्ध है, जहाँ वे अपने वाहन खड़े कर सकते है।

ठहरने हेतु व्यवस्था

मंदिर के निकट ठहरने हेतु विशेष प्रबंध नहीं है, हालाँकि यात्री मंदिर के निकट कैंप लगाकर या यहाँ उपलब्ध कैंप में रात गुजार सकते है। मंदिर के निकट कैंप की सुविधा निम्नलिखित वेंडर द्वारा प्रदान की जाती है:

यात्रियों के लिए मुख्य सुझाव

  • बरसात के दौरान मंदिर मार्ग में कई स्थानों में फिसलन पैदा हो जाती है, जिसके चलते इस दौरान यात्रा ना करने की सलाह दी जाती है।
  • मंदिर में आयोजित होने वार्षिक मेले के दौरान अत्यधिक भीड़ और मार्ग में लम्बा जाम देखने को मिलता है।
  • मंदिर से दिखने वाले सुन्दर नजारो के लिए सुबह जल्दी निकले।
  • कम भीड़ के चलते मंदिर जाने हेतु किमाड़ी मार्ग का प्रयोग करे।
  • गर्मियों के दौरान मंदिर के निकट जंगलो में आग के चलते यात्रियों को गर्मी और साँस लेने में समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • मंदिर जाने वाला कच्चा और थोड़ा छोटा है, जिसके चलते कार के स्थान पर बाइक से चलने की सलाह दी जाती है।
  • अपनी गाडी के ब्रेक की जाँच अवश्य से कर ले क्यूंकि मंदिर मार्ग में कई स्थानों पर अत्यधिक चढ़ाई और ढलान है।
  • मंदिर में चमड़े की वस्तु और मीट, दारू पीकर प्रवेश करना वर्जित है।
  • मंदिर और उसके आस पास के क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क सिमित मात्रा में ही उपलब्ध है।
  • एटीएम उपलब्ध ना होने के चलते मंदिर जाते समय अपने पास उचित मात्रा में कैश अवश्य से रखे।
  • मार्ग में किसी भी प्रकार के फ्यूल स्टेशन की सेवा उपलब्ध नहीं है। अतः अपनी गाडी में उचित मात्रा में फ्यूल रखे।
  • आपातकालीन स्थिति में पेट्रोल आप मार्ग में उपलब्ध दुकानों से भी प्राप्त कर सकते है।
  • मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व निर्धारित स्थान पर जूतों को उतार कर रख दे।
  • अपने साथ प्रसद अवश्य से लेकर जाए क्यूंकि मंदिर के निकट बहुत ही सीमित संख्या में पूजा शॉप उपलब्ध है जो मुख्यतः बंद रहती है।
  • मंदिर के गर्भ गृह के चित्र और वीडियो लेने पर सख्त मनाही है।

नजदीकी आकर्षण

यहां कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से : - भद्रराज मंदिर देहरादून आईएसबीटी से लगभग 49 किमी और मसूरी से 26 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर जाने के लिए किसी भी प्रकार के सार्वजानिक वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके चलते यात्री मंदिर टैक्सी या बाइक के द्वारा ही पहुँच सकते है। यात्री बाइक को देहरादून के विभिन्न स्थानों से रेंट पर लेकर भी मंदिर जा सकते है। मंदिर आप मसूरी होते हुए या किमाड़ी मार्ग से होते हुए पहुँच सकते है। मसूरी से जॉर्ज एवेरेस्ट मार्ग की औऱ जाते हुए हिल टॉप व्यू कैफ़े से क्लाउड वाले मार्ग से होते हुए आप मंदिर आसानी से पहुँच सकते है।
 

रेल मार्ग से : - मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से 45 किमी दूर है। स्टेशन से यात्री टैक्सी या बाइक रेंट पर लेकर मंदिर पहुँच सकते है।
 

हवाई मार्ग से : इसके निकटतम हवाई अड्डा देहरादून स्थित जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जिसकी मंदिर से दूरी मात्र 74 किमी की है। एयरपोर्ट से यात्री टैक्सी की सहायता से या देहरादून पहुंचकर अपनी यात्रा प्रारम्भ कर सकते है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

भद्रराज मंदिर जाने का सबसे उत्तम समय अक्टूबर से मई माह का माना जाता है।

समुद्र तल से ऊँचाई

भद्राज मंदिर समुद्र तल से लगभग 2,200 - 2,400 मीटर (7,200- 7,874 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

निकट के घूमने के स्थान

KM

जानिए यात्रियों का अनुभव