भविष्य बद्री

Oct 1, 2024
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जानकारी

पांच बद्री में से एक भविष्य बद्री का यह मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है, जो की उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में उनके दसवे अवतार यानी नरसिंह रूप की पूजा होती है। गहरे घने जंगलो के बीच स्थित इस मंदिर को भविष्य का बद्री कहा जाता है, जहाँ आने वाले समय में बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण किया जाएगा। पारौणिक कथा अनुसार, जब कलयुग अपने अंतिम क्षणों में होगा तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतरति होंगे और कलयुग के साथ साथ इस दुनिया का भी अंत हो जाएगा, जिसके पश्चात फिर से सतयुग की शुरुआत

होगी। कहा जाता है की जब कलयुग पूरे विश्व में अपने अपने चरम पर होगा, उस दौरान यहाँ उपस्थित भगवान विष्णु की मूर्ति की भुजाए गिर जाएंगी, इसके फलस्वरूप भगवान विष्णु के द्वारपाल कहे जाने पर्वत जय और विजय गिर जाएंगे, जिससे अभी के बद्रीनाथ में जाना असम्भव हो जाएगा, जिससे बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण भविष्य बद्री में किया जाएगा। सड़क मार्ग से जुड़े इस मंदिर में बस, कार्ड तथा जीप कि सेवा लेकर आ सकते है, हालाँकि मंदिर तक आने के लिए आपको छह किमी का ट्रेक करना होगा।

यहाँ लोगो मान्यता -बताया जाता है 200 वर्ष पूर्व 1800 ई में सुभाई गांव से ग्वाले के साथ बहुत सारी गाँय घास चरने के लिए आती थी उनमे से एक गाँय यहाँ पर एक काली प्रतिमा पर दूध चढ़ाने आती थी धीरे धीरे ऐसी चलता रहा एक दिन ग्वाले ने देखा गाँय बहुत कम दूध दे रही है एक दिन उसने गाँय का पीछा किया पीछा करते करते वह ग्वाला थक गया और गाँय भी ऐसी जगह पर चरने लगी घास ग्वाला आराम करने लगा कब गुवाले को नींद आ गई उसको पता ही नहीं चला और उधर गाँय भगवान विष्णु की मूर्ति पर दूध चढ़ा के चली गई जब ग्वाले की आंख खुली उसने देखा एक मूर्ति पर दूध चढ़ा हुआ दिखा उसने मूर्ति की प्रतिमा को देखा तो वह कोई आम मूर्ति नहीं लगी तो अगले गांव से लोग आये मूर्ति की पूजा अर्जना की और यहाँ के पुजारी की मान्यता है और मूर्ति की खोज गांय माता ने की तब इसका नाम भविस्य बद्री पड़ा इससे इसको ओम कुड़ी कहा जाता था मूर्ति का आकार धीरे- धीरे बदल रहा जब यह मूर्ति अपना पूरा आकार में आ जायेगी तब विष्णु भगवान कल्कि के रूप अवतार लेंगे कलयुग के अंतिम छणो में मंदिर भक्तो की लिए साल में छह माह ही खुला रहता है, जिसके द्वार बद्रीनाथ धाम के साथ ही खोले जाते है। इस मंदिर की दूरी बरदीनाथ धाम से 62 किमी की है, जहाँ कुछ संख्या में ही भक्त इस स्थान पर आते है। मंदिर के पास आपको एक ट्रेक भी करने और कैम्पिंग करने को भी मिलेगा और इसके चारो तरफ देवदार व चीड़ के पेड़ ऊँचे ऊँचे हरे भरे पहाड़ घने जंगल के बिच यह मंदिर आपको मंत्रमुग्द कर देगा

मंदिर जाने के लिए आपको ऋषिकेश ,हरिद्वार,देहरादून इन जगहों पर आ सकते है और कही से भी आपको तीनो जगहों रेलवे स्टेशन भी मिल जायेंगे और अगर आप हवाई जहाज के माध्यम से आना चाहते है उसके लिए आपको देहरादून जॉली ग्रांट एयर पोर्ट पर आना पड़ेगा इन स्टेशन पर पहुँच कर आपको यहाँ जाने लिए आगे टैक्सी कार अन्य वाहनों की सुविधा मिल जाएगी आगे आपको चमोली के ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) से दो रास्ते जाते है एक बद्रीनाथ मंदिर की तरफ दूसरा निति वैली की तरफ  जाने के बाद आपको एक तपोवन से होते हुए तपोवन से 15 कि मि की दुरी पर स्थित है

भीतर आस-पास के स्थान किमी त्रिज्या

लोकपाल लक्ष्मण मंदिर

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9.41 किमी

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