हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित सिरमौर अपनी खूबसूरत के लिए काफी प्रसिद्ध है। सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर संजोये इस स्थान पर आप सड़क मार्ग का उपयोग करके आ सकते है। यहाँ स्थित रेणुका मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जिसका निर्माण सन 1814 में परशुराम की माता रेणुका जी की स्मृति में हुआ था। नवंबर माह में लगने वाले रेणुका मंदिर के मेले में काफी संख्या में श्रद्धालु आते है, कहा जाता है की परशुराम अपनी माता से मिलने इस मेले में जरूर आते है। चारो तरफ खूबसूरत पहाड़ और घने जंगल से घिरा यह स्थान पर्यटकों में काफी प्रसिद्ध है।
विश्वभर में पहाड़ो की रानी के नाम से मशहूर मसूरी या कुछ लोग इसको मन्सूरी भी कहते है भारत के उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून शहर से मात्र 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यह पर्यटक स्थल अपनी प्रकृति सुंदरता, शांत वातावरण और साफ़ हवा के लिए प्रसिद्ध है। हर साल लाखो की संख्या में पर्यटक यहाँ अपने परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियाँ बिताने के लिए आते है। इतना ही नहीं इस स्थान से आपको प्रकृति का अद्भुत नजारा 'विंटर लाइन 'भी देखने को मिलती है, जो की दुनिया में स्विट्ज़रलैंड के बाद अकेली ऐसी जगह है। इसकी घुमावदार कैमल बैक सड़क आपको थोड़ा असहज महसूस करा सकती है पर मसूरी की सुंदरता के आगे सब असहजता दूर हो जाती ह
विश्व की योग नगरी के नाम से मशहूर, ऋषिकेश भारत के उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून जिले में स्थित है। इसकी दूरी देहरादून से 44 किमी की है, जहाँ पर्यटक सड़क, रेल तथा हवाई मार्ग का उपयोग करके जा सकते है। हिमालय और गंगा नदी के तट पर स्थित यह शहर पर्यटन और धार्मिक स्थल के रूप में काफी जाना जाता है। अपने शांत वातावरण की वजह से योग नगरी के नाम से मशहूर इस स्थान पर दुनियाभर से काफी संख्या में पर्यटक योग और ध्यान सिखने आते है। योग नगरी होने के नाते प्रतिवर्ष 21 जून को राज्य सरकार द्वारा विश्व योग दिवस मनाया जाता है, जिसमे लोग दूर-दूर से भाग लेने आते है। इस स्थान से आप छोटा चार धाम कहे जाने वाले गंगोत्री
गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा चमोली शहर अपनी सुंदरता और प्राचीन मंदिरो के लिए जाना जाता है। देहरादून से इसकी दूरी 254 किमी वही राजधानी दिल्ली से 439 किमी की है। राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा यह शहर सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है, जहाँ आप बस व टैक्सी के माध्यम से पहुँच सकते है। यहाँ स्थित पवित्र स्थल इस शहर को प्राकृतिक और भक्ति का एक अद्भुत मिश्रण बनाते है। संस्कृत के शब्द चंद्रमोली से बना है चमोली जिसका अर्थ है सर पे चाँद को धारण करने वाला जो की भगवान शिव को दर्शाता है।
चकराता खूबसूरती का एक अनोखा शहर जो देहरादून में ही नहीं बल्कि पुरे उत्तराखण्ड में अपनी झलक, संस्कृति व् पहनावे से जाना जाता है जैसे उत्तराखडं में कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल की अपनी अलग अलग पहचान है वैसे ही चकराता में जौनसार बावर की अपनी पहचान है यहाँ का खान पान व् रहने की दिनचर्या आपको कायल बना देगी जो पर्यटको को अपनी और आकर्षित भी करता है साथ ही चकराता प्रकृति की सुंदरता की एक अद्भुत मिशाल पेश करता है।
"उत्तर" का "काशी" कहे जाने वाले उत्तरकाशी जिले में स्थित है एक छोटा सा शहर उत्तरकाशी। इस शहर की दूरी उत्तराखण्ड की रजधानी देहरादून से लगभग 145 कि.मी की है, जहाँ आप सड़क मार्ग से बस तथा टैक्सी का उपयोग करके पहुँच सकते है। धार्मिक स्थल, पर्यटन, और अपनी शिक्षा के लिए पहचाने जाने वाला यह शहर प्रसिद्ध भागीरथी के तट पर स्थित है। यहाँ आपको 'वरुण' तथा 'असी' नदी का संगम, वरुणावत पर्वत के नजदीक देखने को मिलता है, जिसके तट पर प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट भी है। इस घाट से मात्र तीन मिनट की दूरी पर स्थित है सुप्रसिद्ध 'काशी
अलकनंदा और मन्दाकिनी नदी के संगम पर स्थित, रुद्रप्रयाग शहर की खूबसूरती देखते ही बनती है। पंच प्रयागो में से एक इस शहर की दूरी देहरादून से 174 किमी दिल्ली से 392 कि.मी है। विद्वानों के अनुसार रुद्रप्रयाग का नाम भगवान शिव के रूद्र अवतार से लिया गया है। कहा जाता है की नारद ऋषि ने संगीत में महारत हासिल करने हेतु भगवान शिव की उपासना की थी। परिणाम स्वरुप भगवन शिव ने उन्हें रूद्र अवतार में अपने दर्शा दिए थे। केदारनाथ व बद्रीनाथ के द्वार कहे जाने वाले रुद्रप्रयाग से इन धामों की दूरी क्रमशः 50 कि.मी व 150 किमी है। सामान्यता ठंडा रहने वाले इस स्थान से आप प्रसिद्ध कार्तिक स्वामी, कोटेश्वर महादेव, त्रि
कुमाऊं मंडल के छह शहर में सबसे प्रसिद्ध माने जाने वाला शहर है नैनीताल, जिसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। कुमाऊं की तलहटी में बसा यह स्थान देहरादून से 279 किमी व दिल्ली से 324 किमी की दूरी पर है। प्रकृति के अद्भुत नज़ारे पेश करने वाले इस स्थान पर आप सड़क, रेल तथा हवाई मार्ग से आ सकते है। यहाँ स्थित सुप्रसिद्ध नैनी झील की खूबसूरती देखते ही बनती है जिसमे रंग बिरंगी नाव इसकी खूबसूरती को और मनमोहक बना देते है। बेहद ही आकर्षित करने वाली 'साथ पहाड़ियों' से घिरे इस स्थान को सप्ता-श्रृंग के नाम से भी जाना जाता है। अपनी खूबसूरती से पर्यटकों
गढ़वाल मंडल का एक ऐसा शहर जहाँ पर एशिया का सबसे बड़ा डेम है यह डेम टिहरी डेम के नाम से काफी मशहूर है जो टिहरी गढ़वाल में आता है टिहरी गढ़वाल की बात अगर यहाँ पर घूमने के लिए आपको बहुत खूबसरत पर्यटन स्थल व धार्मिक स्थल मिल जायेंगे उन्ही स्थलों में से बात करें अगर टिहरी डैम की देहरादून रेलवे स्टेशन से 107 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है और जॉली ग्रांट एयर पोर्ट से 83 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह डेम इस डेम के अंदर आपको बोटिंग करने को मिलेगा व कोटेज बनाये गए है जिसके अंदर आपको कई सारे चीजे मिलने वाली है जैसे खेलने के लिए कैरम वो भी पहाड़ो के बीचो बीच और पानी के तालाब के ऊपर जिससे आपकी आंखे मत्रमुग्द
कुमाऊं स्थित चम्पावत शहर देहरादून से 414 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर आप सड़क, रेल तथा हवाई मार्ग से आ सकते है। धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल की वजह से इस स्थान में हर साल लाखो पर्यटक आते है। इतना ही नहीं लोक कथाओ के अनुसार महाभारत काल में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन किया गया है। कहा जाता है की, धरती को बचाने हेतु विष्णु भगवान् ने इस स्थान पर कुर्मा (कछुए) का अवतार लिया था। कहा जाता है की जिस शिला पर भगवान् विष्णु खड़े थे कुर्माशीला के रूप से पहचानी जाने लगी। यहाँ बहने वाली काली नदी के तटीय क्षेत्र को को काली कुमाऊं के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत काल में विशिस्ट रूप से पह