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कुंजापुरी मंदिर

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जानकारी

ऋषिकेश से लगभग 27 किमी दूर कुंजापुरी मंदिर टिहरी गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है। माता दुर्गा को समर्पित यह प्राचीन मंदिर 52 शक्ति पीठो में से एक है। कहा जाता है की इस मंदिर की स्थापना श्री जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। माँ में गहरी आस्था और उनका आशीर्वाद लेने भक्त विभिन्न स्थानों से इस मंदिर में दर्शन करने आते है। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग 80 सीढ़ियों से होकर गुजरता है जो थका देने वाला होता है, लेकिन माँ के जयकारो के साथ मंजिल आसान हो जाती है।
 

समुद्र तल से लगभग 5,500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित माँ कुंजापुरी देवी मंदिर से आस पास के क्षेत्र के साथ दूर हिमलाय घाटी की बर्फीली सीमा एवं भागीरथी घाटी का मनोरम दृश्य भी दिखाई देता है, जहाँ से आप गंगोत्री, बन्दरपूँछ, स्वर्ग रोहिणी और चौखम्भा जैसे चोंटियो को भी निहार सकते है। मंदिर में सुबह से ही भक्तो का ताँता लगा रहता है, जिनमे से कुछ माँ के दर्शन करने तो अन्य यहाँ से नजर आने वाला बेहद ही सुन्दर सूर्योदय को निहारने आते है।
 

शक्ति पीठ

कुंजापुरी सिद्ध पीठ मंदिर टिहरी जिले के हिंडोलाखाल गांव के निकट पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर ऋषिकेश से 27 किमी और नरेंद्र नगर से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। अन्य मंदिरो की तुलना में कुंजापुरी मंदिर सड़क मार्ग से जुड़ा है, जहाँ भक्तो को केवल कुछ सीढिया चढ़कर मंदिर तक पहुंचना होता है। माँ सती के दिव्य स्वरुप को समर्पित यह मंदिर 52 शक्ति पीठो में से एक है, जहाँ माता के शरीर का ऊपरी हिस्सा यहाँ गिरा था।
 

माँ सुरकंडा देवी मंदिर और माँ चंद्रबदनी मंदिर के बाद कुंजापुरी माता प्राचीन मंदिर टिहरी गढ़वाल जिले का तीसरा शक्ति पीठ है जो एक अद्भुत त्रिकोण बनाता है। मंदिर में माता के दर्शन और अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु उनसे आशीर्वाद लेने वालो का ताँता प्रत्येक दिन यहाँ देखा जा सकता है। आम दिनों के अतिरिक्त नवरात्री में मंदिर में भक्तो की सँख्या अधिक देखी जाती है। उस दौरान माता के जयकारो से पूरा मंदिर प्रांगढ़ और क्षेत्र गुंजायमान हो उठता है।
 

सूर्योदय और सूर्यास्त

पहाड़ की चोंटी पर स्थित कुंजापुरी मंदिर से सूर्योदय और सूर्यास्त के नज़ारे बेहद ही विहंगम और मंत्रमुग्ध कर देने वाले होते है। इस अद्भुत नज़ारे को देखने श्रद्धालुओं के साथ प्रकृति प्रेमी सुबह तड़के ही मंदिर की और प्रस्थान करने लगते है। जैसे ही पहाड़ो को चीरते हुए सूरज की किरणे अपनी लालिमा धरती पर बिखेरती है तो उसकी रौशनी से पूरा क्षेत्र जगमग हो उठता है। सूर्योदय के इस विलक्षण नज़ारे को कौतुहल से निहारते लोग अपनी मन के आँखों के साथ अपने कैमरे में भी कैद कर रहे होते है। सूर्योदय के साथ मंदिर से सूर्यास्त का नजारा भी भव्य दिखाई देता है, जिसके साक्षी मंदिर आए श्रद्धालु और अन्य व्यक्ति बनते है।
 

कुंजापुरी मंदिर ट्रेक

कुंजापुरी देवी मंदिर माता के दिव्य स्वरुप और सुंदरता के साथ- साथ अपने ट्रेक के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। साहसिक गतिविधयों के शौक़ीन व्यक्ति मंदिर अक्सर इसके ट्रेक मार्ग का प्रयोग करके जाते है। कुंजापुरी मंदिर का ट्रेक मार्ग हिंडोलाखाल गांव से मंदिर आने वाले मुख्य मार्ग से प्रारम्भ होता है, जिसका मार्ग करीब 5 किमी लम्बा है। इसके पैदल मार्ग से आपको प्रकृति के बहुत ही सुन्दर और अद्भुत नज़ारे देखने को मिलते है। मार्ग से आपको ऋषिकेश और देहरादून क्षेत्र का भी कुछ भाग देखने को मिलता है।
 

मंदिर के निकट की जाने वाली क्रिया

टिहरी स्थित कुंजापुरी मंदिर में आप निम्नलिखित क्रियाओ में भाग ले सकते है : -

ट्रैकिंगमंदिर में सड़क मार्ग के स्थान पर आप ट्रेक करके भी आ सकते है। मंदिर का ट्रेक मार्ग मंदिर आने वाले मुख्य मार्ग से आरम्भ होता है, जहाँ से मंदिर लगभग 5 किमी की दूरी पर है। इसका ट्रेक मार्ग प्रकृति की सुंदरता और खूबसूरत नजरो से परिपूर्ण है, जहाँ से आप ऋषिकेश और देहरादून का भव्य नजारा देख सकते है।
सूर्योदयइतनी ऊंचाई पर स्थित मंदिर से सूर्यादय का नजारा बेहद ही विहंगम और आकर्षक दिखाई पड़ता है, जिसे देखने यात्रियों की भीड़ मंदिर मेंसुबह की पहली किरण पड़ने से पहले ही लगने लगती है।
योग और ध्यानशहर से दूर मंदिर का शांत वातावरण योग और ध्यान के शौकीनों को आकर्षित करता है, जिसके चलते आपको यहाँ कई ऐसे श्रद्धालु एवं अन्य व्यक्ति मिल जाएंगे, जिनके लिए यह स्थान योग एवं ध्यान के लिए एक दम उचित है।

प्रवेश शुल्क

मंदिर में प्रवेश हेतु यात्रियों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। अतः मंदिर में सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश निशुल्क है।
 

प्रसाद की दुकान

मंदिर पहुंचते ही आपको पूजा और प्रसाद से सम्बंधित कई दूकान दिखाई देंगी। हालाँकि प्रसाद की सुविधा आपको मंदिर प्रांगढ़ में भी मिल जाएगी।
 

खाने की सुविधा

मंदिर में दर्शन करने के पश्चात आप मंदिर प्रांगढ़ में मौजूद प्रकृति के नजारो के साथ चाय एवं पकोड़ो का मजा ले सकते है। हालाँकि बंदरो की संख्या अधिक होने के चलते आपको खुले में खाने में थोड़ी परेशानी हो सकती है। अन्य विकल्प के लिए मंदिर के पैदल मार्ग पर स्थित दुकान या हिंडोलाखाल गांव में मौजूद दुकानों पर विभिन्न व्यंजनों का स्वाद ले सकते है।
 

ठहरने की सुविधा

यात्रियों के रात में ठहरने की मंदिर के निकट कई विकल्प मौजूद है, जिनमे से मंदिर के निकट वन अतिथि गृह प्रमुख है। अन्य विकल्प जैसे की होमस्टेस और गेस्टहाउस की सुविधा आगरखाल और नरेंद्र नगर में मौजूद है। नरेंद्र नगर स्थित अनंदा इन दी हिमालय और दी वेस्टिन रिसोर्ट प्रमुख है, जिसके लिए पहले से बुकिंग करना आवश्यक होता है।
 

इतिहास

अन्य शक्ति पीठो के सामान कुंजापुरी मंदिर का इतिहास भी उनके समान ही है। कहते है जब माता सती ने शिव से विवाह किया तो माता सती की पिता राजा दक्ष को या नापसंद था। अपने दामाद का उपहास और नीचा दिखाने हेतु राजा दक्ष के एक महा यज्ञ का आयोजन किया। कहते है की इस यज्ञ के लिए राजा दक्ष ने सभी को आमंत्रित किया सिवाय अपनी पुत्री और दामाद को। यज्ञ के बारे में पता चलने पर जब सती ने शिव से यज्ञ में शामिल होने को कहा तो शिव ने यह कहकर मना कर दिया उन्हें इसके लिए कोई निमंत्रण प्राप्त नहीं हुआ है। सती के मनाने पर भी जब शिव नहीं माने तो पिता मोह में सती यज्ञ में अकेले शामिल होने चली गई। यज्ञ में सती को पाकर राजा दक्ष ने सबके समक्ष शिव का उपहास और अपमान किया। शिव के बारे में अपने पिता के मुख से अपमानजनक शब्दों को सती सुन न सकी और यज्ञ की जलती ज्वाला में कूद पड़ी।
 

सती की मृत्यु की सूचना पाकर शिव राजा दक्ष के यहाँ पहुंचे और माता सती के जलते शरीर को लेकर कैलाश की और जाने लगे। इस दौरान माता सती के अंग अनेको स्थानों पर गिरे, जिन्हे आज शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। वहीँ कुछ अन्य ग्रंथो के अनुसार माता सती के शरीर को लेकर शिव यहाँ वहां भटकने लगे और अंतिम संस्कार करने से इंकार करने लगे, जिससे माता सती के शरीर को मुक्ति नहीं मिल पाती। यह देखकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर को 52 टुकड़ो में विभाजित कर दिया जो 52 अलग अलग स्थानों पर गिरे और बाद में शक्ति पीठ कहलाए। ऐसा कहा जाता है की इस प्रक्रिया में माता सती का ऊपरी भाग इस स्थान पर गिरा, जहाँ आज कुंजापुरी मंदिर निर्मित है।
 

यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

  • मंदिर तक सार्वजानिक वाहन की सुविधा उपलब्ध ना होने के चलते यह सलाह दी जाती है की अपने वाहन या टैक्सी बुक करके ही मंदिर जाए।
  • मंदिर के निकट सड़क किनारे गाडी कड़ी करने की निशुल्क सुविधा उपलब्ध है।
  • मंदिर के निकट जूते रखने की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है।
  • पूजा सामग्री और प्रसाद की दुकान मंदिर के अंतिम सड़क मार्ग पर और मंदिर प्रांगढ़ में उपलब्ध है।
  • नवरात्री और अन्य त्योहारों के समय मंदिर में भक्तो की अत्यंत भीड़ देखी जा सकती है।
  • यदि मंदिर से भव्य सुर्योदय का नजारा देखना है तो सुर्योदय से पहले मंदिर पहुंचे।
  • यदि मंदिर पैदल ट्रेक के माध्यम से जाने का विचार बना रहे है तो आरामदायक जूते और कपडे अवश्य पहने।
  • मंदिर में प्रवेश करने से पहले ध्यान रखें की आपने चमड़े की कोई भी वास्तु धारण ना की हो जैसे की पर्स, बेल्ट इत्यादि।
  • प्रसाद और बैग को संभालकर और कसकर पकडे क्यूंकि मंदिर में बन्दर अधिक संख्या में मौजूद है।
  • मुख्य सड़क से मंदिर का मार्ग छोटा और तीव्र मोड़ वाला है, जिसके चलते सावधानी पूर्वक गाडी चलाने की सलाह दी जाती है।
  • मंदिर को जाने वाली सीढिया खड़ी और बड़ी है, जिसमे गिरने की संभावना बनी रहती है। अतः ध्यानपूर्वक चले।
  • सीढिया चढ़ते और उतरते समय ग्रिल का सहारा लेकर चले, संतुलन बिगड़ने पर नीचे गिरने की संभावना बनी रहती है।


 

नजदीकी आकर्षण

  • माता के दर्शन पश्चात आप मंदिर की नदजीक अन्य प्रसिद्ध स्थल भी जा सकते है : -
    • चम्बा।
    • आगरखाल बाजार (पहाड़ी दाल, मसालों, और व्यंजन के लिए प्रसिद्ध)
    • टिहरी झील।
    • नीर झरना।
    • बीटल्स आश्रम।
    • लक्ष्मण और राम झूला।
    • देवप्रयाग।
    • परमार्थ निकेतन और त्रिवेणी घाट (गंगा आरती के लिए)

यहां कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से : - टिहरी गढ़वाल स्थित कुंजापुरी मंदिर की दूरी देहरादून आईएसबीटी से 58 किमी और ऋषिकेश बस स्टैंड से मात्र 27 किमी की है। मंदिर में आप सड़क मार्ग से होते हुए बस, टैक्सी, या बाइक की सहायता से आ सकते है। हालाँकि मंदिर मुख्य मार्ग से सीधे तौर पर न जुड़े होने के चलते सार्वजानिक वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाता है। मुख्य मार्ग से मंदिर लगभग 4 किमी की दूरी पर स्थित है, जहाँ से आने जाने का विकल्प मौजूद नहीं है। अतः उचित विकल्प के लिए आप टैक्सी, बाइक या स्वयं के वाहन से यात्रा कर सकते है।
 

रेल मार्ग से : - मंदिर के निकट योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक है, जहाँ से आप टैक्सी या बाइक की सहायता से मंदिर जा सकते है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी की सुविधा उचित मात्रा में उपलब्ध है।
 

हवाई मार्ग से : - इसके निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी मंदिर से 32 किमी की है। हवाई अड्डे से आप टैक्सी बुक करके मंदिर पहुँच सकते है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

श्रद्धालुओं के लिए मंदिर वर्ष भर खुला रहता है जहाँ आप कभी भी आ सकते है। लेकिन मंदिर आने का सबसे उचित समय सितम्बर से अप्रैल के समय आता है जब क्षेत्र का मौसम एकदम सुहाना और यात्रा के लिए उत्तम रहता है। इसके अतिरिक्त नवरात्री के समय भी मंदिर जाने का एक उचित समय माना जाता है।

समुद्र तल से ऊँचाई

समुद्र तल से कुंजापुरी सिद्ध पीठ मंदिर लगभग 1,676 मीटर (5,499 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

निकट के घूमने के स्थान

KM

जानिए यात्रियों का अनुभव