टिहरी गढ़वाल जिला
जानकारी
टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के 13 जिलों में से एक जो की अपनी समृद्ध संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता तथा आध्यात्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। गढ़वाल मंडल के 7 जिलों में से एक इस जिले की कुल जनसँख्या 6 लाख से अधिक है। ऐसा मन जाता है की बर्ह्माण्ड की रचना से पहले, ब्रह्म देव जी ने इस स्थान पर तप किया था, इतना ही नहीं इस स्थान मे विचारो, शब्दों तथा मन से उत्पन्न हुए पापो को नाश करने की शक्ति है। अपने सुन्दर विहंगम दृश्यों, मंदिरो, बर्फ की चादर ओढ़े पर्वत श्रृंखला के साथ-साथ यह जिला अपने अंदर एक समृद्ध इतिहास भी समेटे हुए है।
एक समय टिहरी पर कई राजवंशों का शासन था, जिस वजह से इसे रियासत का दर्जा भी प्राप्त है। हालंकि डैम बनने के पश्चात टिहरी की ये रियासत डूब चुकी है। भागीरथी नदी में बना 260 मीटर ऊँचा यह डैम भारत का सबसे अधिक उचाई पर बना पहला और दुनिया का तेहरवा डैम है, जो बी पर्यटकों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र बना हुआ है। अपनी सुन्दर नजारो और ऐतिहासिक संस्कृति के साथ टिहरी अपने आध्यात्मिक और यह उपस्थित शक्ति पीठो के लिए पहचाना जाता है। सदियों से टिहरी लोगो को अपने पर्यटक और आध्यात्मिक स्थल से आकर्षित करता रहा है, जिसका हाल के समय में आकर्षण अत्यधिक बढ़ा है। पर्यटक यहाँ ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग, कैंपिंग जैसे गतिविधियों को लुत्फ़ उठा सकते है।
धनौल्टी, देवप्रयाग, केम्पटी फॉल, नरेंद्र नगर, चम्बा के साथ सुरकुण्डा मंदिर पर्यटकों के बीच काफी प्रचलित है जहाँ हजारो की संख्या में पर्यटक आते है। लेकिन इन सबके अतिरिक्त जिले में आकर्षण का मुख्य केंद्र टेहरी डैम में बानी झील है। झील में पर्यटक कई रोमांचकारी गतिविधयो का मजा ले सकते है जिनमे बोटिंग, जेट स्कीइंग, जेट बोटिंग, पैराग्लाइडिंग शामिल है। इसके अलावा पर्यटकों को लुभाने और एक अद्भुत एहसास के लिए झील में तेरने वाली झील में बनी झोपड़िया भी बनाई गई है, जो पर्यटकों को मालदीव्स का एहसास कराती है। टिहरी गढ़वाल पर राजपूत परमार शाह राजवंश का शासन था, जो बाद में ब्रिटिश भारत की पंजाब हिल एजेंसी का हिस्सा बन गया।
राजा सुदर्शन शाह के शासनकाल राजधानी की स्थापना टिहरी में की गई लेकिन इनके उत्तराधिकारियों; जैसे प्रताप शाह, कीर्ति शाह और नरेंद्र शाह ने क्रमशः प्रताप नगर, कीर्ति नगर और नरेंद्र नगर में अपनी राजधानी स्थापित की। टिहरी की देहरादून शहर से 147 किमी, ऋषिकेश से 73 किमी और हरिद्वार मुख्य शहर से 103 किमी की दूरी पर है, जहाँ यात्री सड़क मार्ग से जा सकते है। टिहरी गढ़वाल पर राजपूत परमार शाह राजवंश का शासन था, जो बाद में ब्रिटिश भारत की पंजाब हिल एजेंसी का हिस्सा बन गया। राजा सुदर्शन शाह के शासनकाल राजधानी की स्थापना टिहरी में की गई लेकिन इनके उत्तराधिकारियों जैसे प्रताप शाह, कीर्ति शाह और नरेंद्र शाह ने क्रमशः प्रताप नगर, कीर्ति नगर और नरेंद्र नगर में अपनी राजधानी स्थापित की।
हालाँकि, आजादी मिलने के बाद स्थानीय लोग राजवंश के चुंगल से निकलना चाहते थे जिसके लिए आंदोलन शुरू किया था। थक हारकर टिहरी रियासत के आखरी और 60वे राजा मानबेन्द्र शाह ने भारत सरकार की संप्रभुता स्वीकार करते हुए सदियों से चली आ रही अपनी रियासत को एक नए जिले का दर्जा प्राप्त करते हुए उत्तर प्रदेश में विलय कर दिया गया। मुख्य तौर पर टिहरी की अर्थव्यवस्था कृषि और पर्यटन के इर्द गिर्द घूमती है। कृषि में मुख्य रूप से गेहूं, जौ, सरसों, मटर, चावल, काले और लाल चने, सोयाबीन जैसी फसलों का उत्पादन किया जाता है।
यहां कैसे पहुंचे
टिहरी गढ़वाल सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिससे पर्यटकों को कैब और टैक्सी द्वारा इसका उपयोग करने की अनुमति मिलती है। यह राज्य की राजधानी, देहरादून से 147 किमी दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और देहरादून है और निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो इस क्षेत्र से 86 किमी दूर है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
आप पूरे साल इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। आदर्श रूप से, मेट्रो शहरों की चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत पाने के लिए गर्मियों के मौसम के दौरान इस जगह का दौरा करने का सबसे अच्छा समय है। भारी बारिश के कारण मानसून के मौसम से बचने की सलाह दी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन और सड़क अवरुद्ध हो सकती है।
समुद्र तल से ऊँचाई
यह समुद्र तल से लगभग 1,550 से 1,950 मीटर या लगभग 5,000 से 5,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।