भद्रराज मंदिर

Oct 3, 2024
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जानकारी

मसूरी स्थित भद्रराज मंदिर अपनी खूबसूरती और वहाँ से दिखने वाले नजारो के लिए प्रसिद्ध है। श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित 'भद्रराज मंदिर' का सम्पूर्ण निर्माण सफ़ेद मार्बल से किया गया है। मसूरी के पश्चिमी दिशा में स्थित यह मंदिर लगभग 2400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिसको आप कई मिलो दूर से देख सकते है। इसके निरमा में प्रयोग हुए सफ़ेद मार्बल से मंदिर की एक विशेष प्रकार की चमक बिखेरता है जिसकी सुंदरता लोगो के लिए अकल्पनीय है। कहते है की द्वापर युग में महाभारत के युद्ध पश्चात भगवान बलराम ने इस स्थान पर कई वर्षो तक घोर तपस्या की थी, जिसके पश्चात इस स्थान पर लोगो द्वारा यहाँ पर मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर के निर्माण से जुडी कई कहानी सामने आती है। कहते है की गांव स्थित एक राक्षस गांव वालो के

पशुओ को मार रहा था तो उनकी रक्षा हेतु गांव के लोगो ने भगवान बलराम का आह्वान किया। भगवान बलराम ने उस राक्षस का अंत करके गांव वालो की प्राथना पूर्ण की, जिसके फलस्वरूप गांव के लोगो ने उनकी पूजा अर्चना हेतु इस मंदिर का निर्माण किया। मंदिर के खुले प्रांगढ़ से आप कई मिलो तक आपको पहाड़ और गहरी खाई दिखाई देंगी। इतना ही नहीं साफ मौसम के दिन मंदिर से मिलो तक फैली गहरी खाई, दून वैली, और हिमालय की हसीन वादियों के विहंगम नजारो का लुत्फ़ ले सकते है, जिन्हे आप अपने कैमरे और मन की आँखों में कैद कर सकते है। मंदिर का शांत वातावरण एक विशेष प्रकार की अनुभूति करवाता है, जिसमे आप स्वयं की स्वास को महसूस और सुन सकते है। कहते है मंदिर में केवल दूध और अनाज का प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। मंदिर में

प्रवेश हेतु कुछ नियम कायदा बनाए गए जिनमे जूतों चप्पल, चमड़े से बने सामान पहनकर और मदिरा का सेवन करके प्रवेश करना वर्जित है। प्रत्येक वर्ष 15 से 17 अगस्त को मंदिर समिति द्वारा एक वार्षिक मेले का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमे काफी संख्या में स्थानीय तथा अन्य लोग शामिल होते है। मेले के दौरान भगवान बलराम की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसमे गांव के लोगो की खुशाली और सुख समृद्धि की कामना की जाती है। सड़क मार्ग से जुड़े इस मंदिर का मार्ग बेहद ही दुर्गम है, जिसे केवल कुशल चालकों द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। हालाँकि दुर्गम होने के साथ यह मार्ग अपने बेहद ही अविस्मरणीय दृश्यों के लिए भी जाना जाता है। मंदिर में आप ट्रेक करके भी पहुँच सकते है, जिसका सफर बेहद ही रोमांचकारी होता है। इसके साथ ही यहाँ कैंपिंग की भी

उचित सुविधा उपलब्ध है मंदिर जाने के लिए दो रास्ते है पहला मसूरी से होते हुए भी जा सकते है मसूरी से मात्र 16 की मी की दुरी पर स्थित है जिसमे 2 किलोमीटर दुर्गम मार्ग है सावधानी पूर्वक ही जाएँ दूसरा रास्ता विकासनगर से अगर आप ट्रेकिंग के व कैम्पिंग के शौकीन है तो यह रास्ता आपके लिए है विकासनगर से लांघा रोड से होते हुए पास्टा पड़ता है यहाँ से भी जा सकते है 12 किलोमीटर का ट्रेक करना पड़ता है मंदिर के लिए अगर आप पस्टे आगे चलकर माटोगी पड़ता है यहाँ से थोड़ा नजदीक पड़ता है मंदिर मात्र 8 किलोमीटर की दुरी पर रास्ते में आपको दिखाई देंगे सूंदर सूंदर - ऊँचे ऊँचे झरने नदियों की आवाज के साथ यह चीड़ के पेड़ प्रकृति की और लेकर जाती है जहाँ पर कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं एक सुकून भरा अहसाह कराते यह रास्ते जो आपको

मंत्रगुम्द कर देते है इन रास्तो से जाते वक्त अपने साथ पानी की बोतल ज्यादा रखे क्योंकि रास्ते में आपको पानी नहीं मिलेगा लेकिन ट्रेकिंग आपकी काफी अच्छी होने वाली है मंदिर में आने के लिए आपको पहले देहरादून पहुंचना पड़ेगा रेलवे स्टेशन से 47 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह मंदिर और जॉली ग्रांट एयर पोर्ट से मात्र 70 की मी की दुरी पर व आई इस बीटी से 50 की मी की दुरी पर है इन तीनो जगहों में से किसी एक पर पहुंचना पड़ेगा यहाँ से आपको जाने के लिए टैक्सी कार अन्य वाहन मिल जाएंंगे जाने के लिए यहाँ का घूमने का सबसे अच्छा मौसम अगस्त है वैसे तो आप अक्टूबर और मार्च से मई में भी आपको यहाँ काफी अच्छा मौसम देखने देखने को मिलेगा भद्राज मंदिर समुद्र तल से लगभग 7200 फिट से अधिक ऊंचाई वाली जगह है यहाँ आपको जनवरी के समय बर्फबारी भी देखने को मिलेगी

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