त्रयम्बकेश्वर मंदिर

जानकारी
योग नगरी के नाम से प्रख्यात ऋषिकेश अपने धार्मिक स्थलों के लिए भी प्रचलित है, इन्ही धार्मिक स्थलों में से एक है त्रयम्बकेश्वर मंदिर। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर उनके तीन नेत्रों को दर्शाता है जो उनके रौद्र रूप के लिए जाना जाता है। 1,000 वर्षो का इतिहास समेटे यह मंदिर अपनी जटिल वास्तुकला और महत्ता के चलते दूर दूर से लोगो को आकर्षित करता है। पावन गंगा नदी के पावन तट पर बसा यह मंदिर अपनी खूबसूरती के साथ यहाँ से दिखने वाले माँ गंगा के अद्भुत दृश्य और कोतुहल कर देने वाले सूर्यास्त के लिए भी जाना जाता है।
तेरह मंजिल ऊँचे इस भव्य मंदिर के प्रत्येक तल पर आपको अलग अलग देवी देवताओ की मूर्तियां देखने को मिलती है तो वहीं मंदिर के अंतिम तल पर आपको भगवान शिव के दर्शन करने को मिलते है। भक्तो के लिए मंदिर सुबह 6 बजे से शाम के 8 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। इस दौरान आप मंदिर में होने वाली आरती के साथ शाम की गंगा आरती में भी भाग ले सकते है। यह ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है की यह मंदिर महाराष्ट्र के त्रिम्बकेश्वर मंदिर जो की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है से भिन्न है है एवं उससे सम्बंधित नहीं है।
तेरह मंजिल मंदिर ऋषिकेश
त्रयम्बकेश्वर एक संस्कृत शब्द है जिसमे 'त्रि' का मतलब है 'तीन', 'अम्बक' का मतलब है 'आँख' तो वही 'ईश्वर' का मतलब भगवान। यह शब्द भगवान शिव के तीन नेत्रों वाले रूप को दर्शाता है। इस नाम के अतिरिक्त मंदिर लोगो में "तेरह मंजिल मंदिर" के नाम से अधिक प्रख्यात है। यह नाम इस मंदिर में मौजूद मंजिल की कुल संख्या को दर्शाता है, जहाँ तेरह का मतलब है 13 से है। इस मंदिर की प्रत्येक मंजिल अपने आप में विशेष है, जिसमे अलग अलग देवी देवताओ से सम्बंधित कई कहानी देखने को मिलती है जैसे की युद्ध, प्रेम, विवाह, और उनके द्वारा किए गए चमत्कार। मंदिर में रोजाना होने वाली गंगा आरती ग्रीष्मकालीन में शाम 7:00 बजे और शीतकालीन में शाम 5:30 बजे आयोजित की जाती है।
वास्तु शैली
लक्ष्मण झूला के निकट स्थित तेरा मंजिल मंदिर की बनावट काफी खूबसूरत है, जो दूसरी छोर से देखने पर बेहद ही आकर्षक लगता है। नागरा और द्रविड़ियन शैली में निर्मित यह मंदिर उत्तर और दक्षिण भारत की वास्तु कला को दर्शाता है। जहाँ मंदिर के भीतरी दीवारों और पिल्लरों पर उकेरी कहानी उत्तर भारत की विशिष्ट वास्तु कला का नमूना पेश करता है तो वहीं इसके मंडपास और गोपुराम दक्षिण भारत की शैली को। मंदिर की अंतिम मंजिल बेहद ही खास है क्यूंकि यहाँ स्थापित भगवान शिव का स्वयंभू शिवलिंग और यहीं से आप देख सकते है माँ गंगा की बहती अविरल धारा का सुन्दर स्वरुप। इसके अतिरिक्त शाम के समय आप यहाँ से सूर्यास्त का बेहद ही आकर्षक नजारा भी निहार सकते है।
ऐतिहासिक स्थान
एक ऐतिहासिक स्थल होने के चलते ऋषिकेश स्थित त्रयम्बकेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह तेरह मंजिला ऊँचा मंदिर एक हजार वर्ष पुराना है, जिसकी नींव जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी द्वारा 12वीं शताब्दी में रखी गई थी। ऐसी मान्यता है मंदिर स्थित शिवलिंग स्वयंभू है जो धरती से स्वयं प्रकट हुआ है जिसको किसी भी व्यक्ति द्वारा ना ही लाया गया है और ना ही स्थापित किया गया है। अपनी इन्ही महत्ता के चलते मंदिर श्रद्धालुओं के साथ ऋषिकेश घूमने आए पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।
मंदिर खुलने का समय
ऋषिकेश स्थित 13 मंजिला मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शाम के 8 बजे तक खुला रहता है। हालाँकि दिन में दोपहर 12 बजे से 2 बजे के दौरान मंदिर भक्तो के लिए दर्शन हेतु बंद रहता है।
ठहरने की व्यवस्था
- रहने के लिए ऋषिकेश में आपको विभिन्न तरह के विकल्प मिल जाएंगे जैसे की होटल, रिसोर्ट, होम स्टे, टेंट, धर्मशाला, और आश्रम। इन्हे आप अपनी सुविधाअनुसार बुक कर सकते है।
पर्यटकों के लिए मुख्य सुझाव
- ग्रीष्मकालीन के दौरान अत्यधिक गर्मी और भीड़ के चलते परेशानी हो सकती है इसलिए देख के यात्रा का दिन चुने।
- अध्भुत दृश्य के लिए शाम के समय इसके 13वीं मंजिल से सूर्यास्त अवश्य से देखें।
- मंदिर के बाहर निशुल्क जूता स्टैंड की व्यवस्था है।
- प्रसाद की व्यवस्था मंदिर के बाहर मौजूद दुकानों में उपलब्ध है।
- लक्ष्मण झूला से आप मंदिर पैदल जा सकते है।
- मार्ग तंग और छोटा होने के चलते कार का प्रयोग करने से बचे।
- मंदिर के बाहर किसी भी प्रकार की पार्किंग व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।
- मंदिर में किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध है।
नजदीकी आकर्षण
- मंदिर में आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात आप मंदिर के निकट अन्य प्रचलित स्थलों पर जा सकते है, जैसे की: -
- राम झूला।
- लक्ष्मण झूला।
- जानकी सेतु पुल।
- परमार्थ निकेतन आश्रम।
- द बीटल्स आश्रम। (चौरासी कुटिया)
- पटना वॉटरफॉल।
- नीलकंठ मंदिर।
- नीर वॉटरफॉल।
- शिवपुरी।
यहां कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से : - ऋषिकेश स्थित त्रयम्बकेश्वर मंदिर ऋषिकेश बस स्टैंड के मुख्य मार्ग से 12 किमी और राम झूला वाले मार्ग से केवल 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ आप बाइक, टेम्पो, टैक्सी के माध्यम से आ सकते है।
रेल मार्ग से : -इसके निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश का योग नगरी रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से मात्र 14 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप टैक्सी, टेम्पो या किराए पर बाइक या स्कूटी लेकर मंदिर जा सकते है।
हवाई मार्ग से : - इसके निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो यहाँ से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी की सहयता से ऋषिकेश और मंदिर तक आसानी से आ सकते है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
मंदिर आने का सबसे उत्तम समय सितम्बर से मई का माना जाता है, विशेषकर शाम के समय जब माँ गंगा और सूर्यास्त का नजारा बेहद ही आकर्षक लगते है। गर्मियों के दौरान अत्यधिक भीड़ और गर्मी के चलते काफी परेशानी हो सकती है।
समुद्र तल से ऊँचाई
त्रयम्बकेश्वर मंदिर समुद्र तल से लगभग 532 मीटर (1,745 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।