पांडुकेश्वर - शीतकालीन चार धाम यात्रा
जानकारी
उत्तराखंड के चमोली में स्थित पांडुकेश्वर, बद्रीनाथ मंदिर की शीतकालीन गद्दी के रूप में जाना जाता है। बद्रीनाथ धाम से 22 किमी दूर स्थित यह गांव बद्रीनाथ यात्रा के प्रमुख स्थानों में है, जहाँ काफी संख्या में श्रद्धालु आते है। पांडुकेश्वर का नाम पांडवो के पिता राजा पाण्डु के नाम पर रखा बताया जाता है, जिन्होंने अपने अंतिम समय में यहाँ तपस्या की थी। पांडुकेश्वर की खूबसूरती इसके चारो तरफ के सुन्दर और मनमोहक नजारो से देखी जा सकती है। शीतकाल के दौरान श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने यहाँ आ सकते है। बद्री विशाल के साथ यहाँ आपको अन्य देवी देवताओ के मंदिर भी देखने को मिलते है।
बद्रीनाथ धाम की शीतकालीन गद्दी
अलकनंदा नदी किनारे स्थित पांडुकेश्वर एक छोटा लेकिन सुन्दर सा गांव है। बद्रीनाथ मार्ग के मुख्य स्थानों में से एक पांडुकेश्वर ऋषिकेश से 264 किमी की दूरी पर है। पांडुकेश्वर अपने कई मंदिरो के लिए भी पहचाना जाता है, जिनमे से पंच बद्री में शामिल योग ध्यान बद्री प्रमुख है। शीतकाल में बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर बद्री विशाल की डोली को यहाँ लाया जाता है, जिसके चलते पांडुकेश्वर को बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दी से भी जाना जाता है। हालाँकि पांडुकेश्वर में बद्री विशाल के सहायक भगवन उद्धव और कुबेर जी की मूर्ति को ही रखा जाता है जबकि बद्री नारयण की मूर्ति को जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में ले जाया जाता है।
पांडुकेश्वर में आपको योग ध्यान बद्री के साथ कुबेर, माँ नंदा देवी और वासुदेव के मंदिर भी प्रमुख आकर्षणों में से एक है। बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालु अक्सर यहाँ रुक कर सभी देवताओ का आशीर्वाद लेकर यात्रा के लिए आगे प्रस्थान करते है।
शीतकालीन चार धाम यात्रा
चार धामों में अंतिम और प्रमुख धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट भी अन्य धामों की तरह शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते है। इस दौरान भगवान बद्री विशाल की डोली को उनकी शीतकालीन गद्दी पांडुकेश्वर और जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर ले जाई जाती है। इस शीतकालीन गद्दी में अगले छह माह तक भगवान बद्री नारायण की पूजा अर्चना की जाती है। चार धाम के विपरीत यह शीतकालीन गद्दी श्रद्धालुओं के लिए वर्ष भर खुली रहती है, जहाँ श्रद्धालुओं दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए आ सकते है।
एक तरफ जहाँ बद्रीनाथ की डोली पांडुकेश्वर और नरसिंघ मंदिर लायी जाती है उसी प्रकार केदारनाथ की डोली को उखीमठ स्थित ओम्कारेश्वर मंदिर, गंगोत्री धाम की मुखबा और यमुनोत्री धाम की डोली को खरसाली लाया जाता है। यह शीतकालीन गद्दी श्रद्धालुओं को उनकी धार्मिक यात्रा कपाट बंद होने के बाद भी जारी रखने में मदद करती है, जिसके चलते यह शीतकाल चार धाम यात्रा के नाम से भी प्रसिद्ध है।
पांडुकेश्वर का इतिहास
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित पांडुकेश्वर का इतिहास महाभारत काल के समय से जुड़ा हुआ बताया जाता है। किवंदतियों के अनुसार यह वहीँ स्थान है जहाँ पांडवो ने अपना राज पाठ त्याग कर राजा परीक्षित को सौंप दिया था। स्वर्गारोहिणी जाने से पूर्व इस स्थान पर पांडवो ने कुछ समय के लिए तप भी किया था। अपने अंतिम दिनों में पांडवो के पिता राजा पाण्डु ने भी यहाँ तपस्या की थी, जिसके चलते ही इस स्थान को उनके नाम से पहचाना जाता है। अपने अज्ञातवास के दौरान जब पांडव यहाँ आए थे तो उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार भी इसी स्थान पर किया था। अपने प्रवास के दौरान पांडवो ने यहाँ भगवान वासुदेव को समर्पित एक मंदिर का भी निर्माण किया, जिसमे भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और मदरी जी की मूर्ति स्थापित है।
निवास की सुविधा
बद्रीनाथ धाम की शीतकालीन गद्दी कहे जाने वाले पांडुकेश्वर में यात्रियों के रहने की उचित व्यवस्था मौजूद है। यात्री इन्हे अपने आवश्यक्तानुसार बुक कर सकते है। यहाँ उपलब्ध कुछ प्रमुक यात्री निवास कुछ इस प्रकार से है: -
- होटल रामेश्वरम इन।
- श्री दर्शनम लॉज।
- जय बजरंगी गेस्ट हाउस।
- प्रभाकर टूरिस्ट हाउस।
- हरी कृष्णा गेस्ट हाउस।
- दी मौंटैनीर हाउस।
- होटल रघुवीर।
- होटल दी अमन पैलेस।
- दी रॉयल फ़तेह इन।
- पांडुकेश्वर टूरिस्ट रेस्ट हाउस।
- होटल वासुदेवा इन।
- होटल माहेश्वरी।
खाने की व्यवस्था
पांडुकेश्वर में आपको खाने की उचित व्यवस्था मिल जाती है। यहाँ आपको विभिन्न प्रकार के ढाबा और रेस्टोरेंट मिल जाते है जो नाश्ता, लंच से लेकर डिनर तक की सेवा देते है। व्यंजन में आपको यहाँ स्थनीय भोजन के साथ चाइनीज़ भी मिल जाता है।
श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- बस सेवा सुबह 7 बजे तक ही उपलब्ध रहती है। अतः बस से यात्रा करने वाले सुबह स्टेशन जल्दी पहुंचे।
- अन्य शहरो से ट्रैन या हवाई मार्ग से आने वाले व्यक्ति एक दिन ऋषिकेश में रूककर अगले दिन अपनी यात्रा शुरू करे।
- निजी बस सेवा सुबह 8 बजे तक जबकि टैक्सी सेवा सुबह 11 बजे तक ही उपलब्ध रहती है।
- बस सेवा या टैक्सी सेवा न मिलने या छूट जाने पर इसके नजदीकी प्रमुख स्थान जैसे कर्णप्रयाग या जोशीमठ पहुंचकर अपनी यात्रा अगले दिन शुरू कर सकते है।
- यात्रा मार्ग पर आने वाले प्रमुख स्थानों पर आपको रहने और खाने की उचित सुविधा उपलब्ध है।
- यात्रा के दौरान अपने पास उचित मात्रा में कैश अवश्य से रखें।
- अत्यधिक ठण्ड के चलते अपने साथ गर्म कपडे साथ लेकर चले।
- शीतकाल के दौरान यात्रा करने पर आपको किसी भी प्रकार के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।
नजदीकी आकर्षण
पांडुकेश्वर के अतिरिक्त आप यहाँ के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर भी घूमने के लिए जा सकते है। हालाँकि इनमे से कई स्थान केवल चार धाम यात्रा के दौरान ही खुले रहते है।
यहां कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से: - ऋषिकेश से पांडुकेश्वर लगभग 264 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ आप बस या टैक्सी के द्वारा आ सकते है जिसकी सुविधा आपको ऋषिकेश बस स्टैंड से आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा आप यहाँ निजी बस सेवा के द्वारा भी आ सकते है जिसकी सुविधा ऋषिकेश बस स्टैंड के बाहर से मिल जाती है।
रेल मार्ग से: - इसके निकटतम रेलवे स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है जो लगभग 264 किमी की दूरी पर है। स्टेशन दिल्ली समेत कई मुख्य रैल मार्ग से सीधी ट्रैन सेवा से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से पांडुकेश्वर तक की यात्रा के लिए आप बस या टैक्सी का उपयोग कर सकते है, जिसकी सुविधा आपको एक किमी दूर ऋषिकेश बस स्टैंड से मिल जाएगी।
हवाई मार्ग से: - सबसे निकटतम एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो करीब 279 किमी दूर स्थित है। यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरो से सीधी हवाई सेवा से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से आगे की यात्रा आप सड़क मार्ग से कर सकते है, जिसके लिए आपको बस और टैक्सी की सेवा ऋषिकेश से मिल जाएगी। एयरपोर्ट से ऋषिकेश लगभग 16 किमी की दूरी पर है, जिसके लिए आप एयरपोर्ट में उपलब्ध टैक्सी का उपयोग कर सकते है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
पांडुकेश्वर में वर्ष में कभी भी आ सकते है लेकिन सबसे अच्छा समय सितम्बर से मई का माना जाता है। हालाँकि यात्रियों को जनवरी और फरवरी के दौरान अत्यधिक ठण्ड और बर्फ़बारी से थोड़ी सावधानी बरतनी होती है।
समुद्र तल से ऊँचाई
समुद्र तल से पांडुकेश्वर करीब 1,829 मीटर (6,000 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।