ओम्कारेश्वर मंदिर - केदारनाथ शीतकालीन गद्दी
जानकारी
ओम्कारेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक बेहद ही प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रपयाग जिले में एक छोटे से गांव उखीमठ में स्थित है। प्रसिद्ध नागर शैली में निर्मित मंदिर बेहद ही सुन्दर और भव्य दिखाई पड़ता है। यह मंदिर चार धामों में से तीसरे धाम केदारनाथ धाम की शीतकालीन गद्दी के रूप से अधिक पहचाना जाता है। शीतकाल प्रवास के दौरान बाबा केदारनाथ की पूजा अर्चना अगले छह माह तक इसी मंदिर में की जाती है। इसके अतिरिक्त मंदिर में द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर की डोली को भी शीतकाल प्रवास के लिए लाया जाता है। मंदिर के अंदर आपको बाबा केदारनाथ, मध्यमेश्वर के साथ प्रथम पूजनीय गणेश, माता पार्वती और सूर्य देव की मूर्ति भी देखने को मिलती है। हरे भरे पहाड़ो के बीच में स्थित यह मंदिर अपने शांत और सुन्दर वातावरण देखते ही बनता है, जिसमे प्रवेश करने पर आपको एक विशेष अनुभूति का एहसास होता है।
चार धाम शीतकालीन यात्रा
उखीमठ स्थित ओम्कारेश्वर मंदिर बाबा केदारनाथ की शीतकालीन गद्दी के लिए प्रसिद्ध है। शीतकाल के लिए दौरान अत्यधिक बर्फ़बारी के चलते जब केदारनाथ धाम के कपाट छह माह के लिए बंद कर दिए जाते है उस दौरान बाबा की प्रतीकात्मक मूर्ति को यहाँ रखा जाता है। इसी प्रकार अन्य धामों की मूर्ति को भी उनके निर्धारित शीतकालीन प्रवास स्थल पर ले जाया जाता है। शीतकाल के दौरान भी श्रद्धालु चार धाम यात्रा कर सके इसके लिए राज्य सरकार ने शीतकालीन चार धाम यात्रा पर आने के लिए श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित किया है। उखीमठ के साथ मुखबा, खरसाली और पांडुकेश्वर एवं ज्योतिर्मठ स्थित नरसिंह मंदिर इस शीतकालीन चार धाम यात्रा के पड़ाव है, जहाँ क्रमशा गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ धाम की डोली को लाया जाता है।
दो केदारो की शीतकालीन गद्दी
ओम्कारेश्वर मंदिर को प्रमुख रूप से बाबा केदारनाथ की शीतकालीन गद्दी के रूप में पहचाना जाता है। प्रत्येक वर्ष केदारनाथ के कपाट खुलने से पहले केदार बाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर से केदारनाथ लेकर जाय जाता है। इसी तरह केदानाथ के कपाट बंद होने पर उनकी डोली को उखीमठ स्थित ओम्कारेश्वर मंदिर में लाया जाता है। यहाँ बाबा केदार की अगले छह माह तक पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से बाबा केदार के दर्शन करने यहाँ आते है।
बाबा केदार के अतिरिक्त ओम्कारेश्वर मंदिर भगवान मद्महेश्वर की भी शीतकालीन गद्दी है। पंच केदारो में से द्वितीय केदार कहे जाने मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने पर बाबा मद्महेश्वर की डोली को ओम्कारेश्वर मंदिर में लाया जाता है। शीतकाल के दौरान श्रद्धालुओं के लिए यह बेहद ही स्वर्णिम अवसर में से एक है की उन्हें पंच केदारो में प्रथम एवं द्वितीय केदार के दर्शन एक साथ एक ही स्थान पर करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय
श्रद्धालुओं के लिए ओम्कारेश्वर मंदिर रोजाना प्रातः 5 बजे खोल दिया जाता है। श्रद्धालु मंदिर में होने वाली सुबह की आरती में भाग लेकर शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। शाम की आरती के पश्चात मंदिर के द्वार रात करीब 9 बजे बंद क्र दिए जाते है।
इतिहास
ओम्कारेश्वर मंदिर का इतिहास कुछ लोककथा के लिए पहचाना जाता है। एक लोककथा के अनुसार इसी स्थान पर बाणासुर की सुपुत्री उषा और भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध का विवाह संपन्न हुआ था। इसके अतिरिक्त मंदिर का इतिहास एक और लोककथा के लिए पहचाना जाता है। इसके अनुसार भगवान राम के पूर्वज राजा मन्धाता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने सभी सुख त्याग दिए थे। इसके लिए उन्होंने इस स्थान पर 12 वर्षो तक एक पैर पर खड़े होकर कठोर तपस्या की थी। उनके इस तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ओमकार (ॐ की पवित्र ध्वनि) के रूप में दर्शन देकर आशीर्वाद दिया था। इसके बाद से ही इस मंदिर को ओम्कारेश्वर के नाम से पहचाने जाने लगा।
निवास की सुविधा
मंदिर के निकट रात्रि निवास हेतु आपको विभिन्न तरह के विकल्प मिल जाते है; जिन्हे आप आसानी से बुक कर सकते है। कुछ प्रमुख निवास इस प्रकार से है:
- नीलकंठ होमस्टे।
- शिवा होमस्टे।
- होटल हिमालयन हाइट्स होटल्स।
- केदारेश्वरम होमस्टे।
- होटल माता धारा।
- देवदर्शन होटल।
- होटल हिमालयन व्यू उखीमठ।
- होमेल ओम पैलेस।
खाने की व्यवस्था
उखीमठ बाजार में पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए खाने पीने की उचित व्यवस्था है। यहाँ आपको रेस्टोरेंट से लेकर ढाबे की सुविधा आसानी से मिल जाती है जहाँ आप स्थानीय व्यंजन के साथ अन्य भोजन का मजा ले सकते है।
श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- बस से यात्रा करने वाले स्टेशन जल्दी पहुंचे क्यूंकि बस स्टेशन से प्रातः जल्दी निकलती है।
- यात्रा के दौरान अपने साथ उचित मात्रा में कैश रखे।
- गर्भगृह में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करना सख्त मना है।
- मंदिर के अंदर मोबाइल और कैमरा ले जाना मना है।
- मंदिर के निकट छोटी कार और दू पहिया वाहन की पार्किंग मिल जाती है।
- मंदिर के प्रवेश द्वार पर विभिन्न प्रसाद की दुकाने उपलब्ध है।
नजदीकी आकर्षण
मंदिर के निकट आप इसके अन्य प्रसिद्ध स्थल पर भी जा सकते है। हालाँकि इनमे से कई शीतकाल के दौरान यात्रा हेतु बंद रहते है:
- कालीमठ मंदिर।
- देवरिया ताल।
- केदारनाथ।
- मद्महेश्वर मंदिर।
- तुंगनाथ मंदिर।
- चोपता।
- त्रियुगीनारायण मंदिर।
- बनियाकुण्ड।
यहां कैसे पहुंचे
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओम्कारेश्वर मंदिर की दूरी ऋषिकेश से 175 किमी की है। यहाँ श्रद्धालु आसानी से सड़क मार्ग से आ सकते है, जिसके लिए उन्हें बस और टैक्सी की सुविधा देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार से मिल जाती है। उत्तराखंड परिवहन निगम (यूटीसी) बस सेवा के साथ आप यहाँ निजी बस सेवा के द्वारा भी पहुंच सकते है। बस की सुविधा आपको ऋषिकेश बस स्टैंड से उपलब्ध होती है, जबकि निजी बस का संचालन बस स्टैंड के बाहर से होता है। इसके अतिरिक्त आप यहाँ यूनियन टैक्सी सेवा की सहायता से भी आ सकते है। ऋषिकेश से ओम्कारेश्वर मंदिर का यह सफर करीब 7 घंटे का होता है, जो आपको देवप्रयाग, श्रीनगर, और रुद्रप्रयाग जैसे प्रमुख स्थानों से लेकर जाता है।
सड़क मार्ग से: - सड़क मार्ग से आने वाले यात्री अपनी यात्रा ऋषिकेश में उपलब्ध बस और टैक्सी के द्वारा शुरू कर सकते है। बस सेवा आपको ऋषिकेश के बस स्टैंड से मिल जाती जप अपने निर्धारित समय पर सुबह प्रातः प्रस्थान करती है। बस सेवा का लाभ केवल रुद्रप्रयाग तक ही प्राप्त होता है उसके आगे की यात्रा आप बस या टैक्सी से पूरी कर सकते है। रुद्रप्रयाग से उखीमठ ओमकारेश्वर मंदिर की दूरी करीब 41 किमी की है। बस और टैक्सी की सुविधा आपको देहरादून और हरिद्वार से भी मिल जाती है।
रेल मार्ग से: - ऋषिकेश का योग नगरी रेलवे स्टेशन इसके सबसे निकटतम रेल मार्ग में से है जो मंदिर से 177 किमी की दूरी पर स्थित है। दिल्ली रेल मार्ग से यहाँ के लिए रोजाना सीमित संखय में ट्रैन सेवा संचालित होती है। यहाँ से आगे का सफर ऋषिकेश बस स्टैंड से उपलब्ध बस और टैक्सी की सेवा से सड़क मार्ग से पूरा कर सकते है।
हवाई मार्ग से: - देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा इसके सबसे निकटतम में से है जो मंदिर से लगभग 191 किमी की दूरी पर स्थित है। देश के प्रमुख महानगरों से यह हवाई अड्डा सीधी हवाई सेवा प्रदान करता है। इसके आगे की यात्रा आप ऋषिकेश से बस या टैक्सी के द्वारा कर सकते है। हवाई अड्डे से ऋषिकेश लगभग 16 किमी की दूरी पर स्थित है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
ओम्कारेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूरे वर्ष खुला रहता है जहाँ जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई का अधिक माना जाता है। इस दौरान आपको यहाँ केदारनाथ और मद्महेश्वर धाम के दर्शन भी मिलते है।
समुद्र तल से ऊँचाई
ओम्कारेश्वर मंदिर समुद्र तल से करीब 1,300 मीटर की (4,265 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।