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कालीमठ मंदिर - रुद्रप्रयाग

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जानकारी

रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कालीमठ मंदिर उत्तराखंड के एक पवित्र धर्मिक स्थलों में से एक है। सरस्वती नदी किनारे स्थित यह मंदिर माँ पार्वती के उग्र रूप माँ काली को समर्पित है जो की भारत के 108 सिद्ध पीठो में से एक है। पूरे वर्ष खुले रहने वाले इस मंदिर में हजारो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते है। प्रत्येक वर्ष नवरात्री के दौरान, विशेषकर शारदीय नवरात्री के समय मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते है। इस दौरान मंदिर का भक्तिमय माहौल विशेष अनुभूति प्रदान करने वाले होता है। उखीमठ और गुप्तकाशी के मध्य स्थित यह मंदिर प्रकृति के सुन्दर नजारे पेश करता है मुख्यतः शरद ऋतू और शीतकाल के दौरान। 
 

मंदिर के बगल में कल-कल बहती सरस्वती नदी की धारा और चारो तरफ हरे भरे पहाड़ इसकी खूबसूरती को अत्यधिक बढ़ा देता है। मुख्य मंदिर के अतिरिक्त आपको यहाँ माता लक्ष्मी, माँ सरस्वती, गौरी शंकर के मंदिर के साथ कई शिव लिंग स्थापित देखने को मिलते है। मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित भैरव बाबा के दर्शन करने जाना बेहद आवश्यक होता है तभी आपकी यात्रा सफल मानी जाती है।

कालीमठ - बिना मूर्ति का मंदिर

प्रत्येक मंदिर की अपनी एक विशेषता होती है ठीक उसी प्रकार उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले स्थित कालीमठ मंदिर भी अपनी एक विशेषता के लिए पहचाना जाता है। अन्य मंदिर के गर्भ गृह में जहाँ हमें भगवान की मूर्ति देखने को मिलती है इसके विपरीत कालीमठ मंदिर के गर्भ गृह में किसी भी प्रकार की मूर्ति देखने को नहीं मिलती है। इसके स्थान पर हमें यहाँ के पवित्र कुंड में एक यंत्र देखने को मिलता है जो माँ काली को समर्पित है।
 

कालीमठ का यह मंदिर मुख्य रूप से तंत्र साधना के लिए जाना जाता है जो आध्यात्मिक अभ्यास करने वाले व्यक्ति के लिए एक उचित स्थान है। मंदिर की अद्भुत शक्ति को एहसास आपको इसमें प्रवेश करने पर हो जाता है, जो किसी दिव्य एहसास से कम नहीं है। कालीमठ का यह मंदिर 16 पिल्लरों से घिरा हुआ जिसके अंदर आपको 8 पिलर और देखने को मिलते है अंत में मंदिर का मुख्य गर्भ गृह 4 पिल्लरों के अंदर स्थापित है।
 

माँ काली में विशेष मान्यता रखने वाले श्रद्धालु अक्सर यहाँ दर्शन करने पधारते है। कालीमठ मंदिर का यहाँ से 40 किमी दूर चार धाम की रक्षक कहे जाने वाली धारी देवी से विशेष सम्बन्ध है, जिसके चलते अक्सर श्रद्धालु दोनों मंदिर में दर्शन करके अपनी धार्मिक यात्रा पूरी करते है।

कालीमठ का इतिहास

आदि शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित कालीमठ मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। किवंदतियों अनुसार इसी स्थान पर माँ पार्वती ने काली का रूप धारण करके दैत्य रक्तबीज का वध किया था। कहते है दैत्य का वध करने के पश्चात माँ काली यहाँ तालाब स्थित स्थान पर भूमि में अंतर्ध्यान हो गई थी। आज के समय में उस स्थान को एक चांदी की प्लेट से ढका गया है जिसे श्री यन्त्र कहा जाता है। इस यंत्र के अंदर माँ काली को समर्पित एक पवित्र पत्थर है जिसकी पूजा वर्ष में एक बार शारदीय नवरात्र के 8वें नवरात्र को की जाती है। इस पूजा की विशेषता की बात करे तो इसमें मंदिर के मुख्य पुजारी के अतिरिक्त किसी भी अन्य को शामिल होने की अनुमति नहीं होती है। इसके अतिरिक्त मंदिर का इतिहास महान कवी कालिदास से भी जुड़ा हुआ है। बताया जाता है की कालिदास जी का जन्म इसी गांव में हुआ था, जिसके चलते मंदिर में उनको भी पूजा जाता है।

धारी देवी से संबंध

कालीमठ मंदिर के धारी देवी मंदिर से सम्बन्ध की बात करे तो बताया जाता है की एक समय मंदिर के निकट बहने वाली सरस्वती नदी में बाढ़ आ गई थी। इस बाढ़ के चलते मंदिर की मूर्ति दो टुकड़ो में टूट गई, जिसमे मंदिर का ऊपरी हिस्सा बह कर अलकनंदा नदी की किनारे के पास मिला, जहाँ आज के समय में धारी देवी मंदिर स्थापित है। इस घटना के बाद शीष वाले स्थान पर धारी देवी की स्थापना की गई। इसके चलते कालीमठ में माँ के निचले भाग के रूप में तो धारी देवी में ऊपरी भाग के रूप में पूजा जाता है। दोनों मंदिर में दर्शन करना श्रद्धालुओं के लिए बड़े ही सौभाग्य माना जाता है।

निवास की सुविधा

कालीमठ आए श्रद्धालुओं को यहाँ रहने की सीमित सुविधा मिल जाती है। मंदिर के निकट स्थानीय निवासियों द्वारा होमस्टे खोले गए है, जहाँ श्रद्धालु रात्रि निवास कर सकते है। उपलब्ध विकल्पों में से कोई भी आपको ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा प्रदान नहीं करता है, जिसके चलते आपको इन होमस्टे को फ़ोन के माध्यम से या वहां पहुंचकर ही बुक करना होता है। इसके अतिरिक्त अन्य निवास की सुविधा मंदिर से 7 किमी दूर केदारनाथ मार्ग पर मिल जाती है, जिनमे से कुछ आपको ऑनलाइन बुकिंग की सेवा भी प्रदान करते है। यहाँ उपलब्ध कुछ निवास की सूची इस प्रकार से है: -

  • राणा होमस्टे।
  • दीपक टूरिस्ट होमस्टे।
  • विपिन होटल एंड होमस्टे।
  • दी मारुती एम्पायर।
  • होटल विजय पैलेस।
  • काबीओ होटल्स।
  • होटल न्यू विश्वनाथ।
  • हिलांस होटल।
  • हिमालयन पैराडाइस।

खाने की व्यवस्था

मंदिर आए श्रद्धालुओं को यहाँ खाने पीने के लिए ढाबा और रेस्टोरेंट की सुविधा मिल जाती है। हालाँकि उपलब्ध रेस्टोरेंट द्वारा केवल सीमित मात्रा में व्यंजन परोसे जाते है।

श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

  • बस से यात्रा करने हेतु बस स्टैंड पर सुबह निर्धारित समय से पूर्व पहुंचे।
  • राज्य परिवहन द्वारा सीमित बस संख्या के चलते आप निजी बस सेवा का लाभ भी ले सकते है।
  • डिजिटल भुगतान हर जगह उपलब्ध न होने के चलते अपने पास उचित मात्रा में कैश जरूर से रखें।
  • रात्रि निवास के लिए अपने रहने की सुविधा पहले से जरूर देख लें।
  • स्थानीय तापमान कम होने के चलते अपने साथ गर्म कपडे अवश्य से रखें।
  • मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व अपने जुटे निर्धारित स्थान पर रखे।
  • पार्किंग न होने और मंदिर के बाहर मुख्य मार्ग संकरा होने के चलते कार पार्किंग में थोड़ी समस्या हो सकती है।
  • नवरात्री के दौरान यहाँ आपको अत्यधिक भीड़ का सामना करना पड़ सकता है।
  • प्रसाद की सुविधा मंदिर के बाहर उपलब्ध विभिन्न दुकानों से मिल जाती है।
  • त्योहारों,नवरात्री और नव वर्ष के समय मंदिर में काफी भीड़ देखने को मिलती है।

नजदीकी आकर्षण

कालीमठ मंदिर के निकट आप अन्य प्रसिद्ध स्थानों पर भी जा सकते है, जिनमे से कुछ इस प्रकार से है: -

यहां कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से: - रुद्रप्रयाग स्थित कालीमठ मंदिर ऋषिकेश से करीब 183 किमी दूर स्थित है। टैक्सी के साथ-साथ आप यह उत्तराखंड परिवहन और निजी बस सेवा के द्वारा भी आ सकते है, जिसकी सुविधा आपको ऋषिकेश बस स्टैंड से मिल जाती है। यह बस सेवा मुख्य रूप से रुद्रप्रयाग या उखीमठ तक ही प्राप्त होती है, जिसके आगे का मार्ग आप टैक्सी के द्वारा तय कर सकते है। रुद्रप्रयाग से कालीमठ करीब 48 किमी की दूरी पर है, जिसके लिए आपको यहाँ से भी टैक्सी सेवा मिल जाती है। इसके अतिरिक्त आप निजी कैब बुक करके भी यहाँ आ सकते है। 
 

रेल मार्ग से: - मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन जो लगभग 183 किमी दूर है। स्टेशन से मंदिर की यात्रा श्रद्धालु सड़क मार्ग के माध्यम से कर सकते है। 
 

हवाई मार्ग से: - इसके निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो यहाँ से 199 किमी दूर है। देश के विभिन्न शहरो से यह हवाई अड्डा सीधी हवाई सेवा से जुड़ा हुआ है। यहाँ से आगे की यात्रा आप ऋषिकेह में उपलब्ध सेवा से कर सकते है। एयरपोर्ट से ऋषिकेश करीब 16 किमी की दूरी पर है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

श्रद्धालुओं के कालीमठ मंदिर के द्वार पूरे वर्ष खुले रहते है। इस दौरान यहाँ आने का सबसे अच्छा समय सितम्बर से मई का माना जाता है, विशेषकर नवरात्री के दौरान। 

समुद्र तल से ऊँचाई

रुद्रप्रयाग स्थित कालीमठ समुद्र तल से 1,800 मीटर (6,000 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है। 

Nearest Spot Based on Religious - Hinduism

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

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KM

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