देवप्रयाग उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में स्थित एक छोटा सा शहर है। यह स्थान दो पवित्र नदियों अलकनंदा और भागीरथी के संगम के लिए मशहूर है, जहाँ से पवित्र गंगा नदी का उद्गम होता है। दुनिया भर से श्रद्धालु 'इस पवित्र संगम' का विहंगम दृश्य देखने हर साल लाखो की तादाद मे यहाँ पहुँचते है। इसके अतिरिक्त, यह स्थान 'पंच प्रयाग' के अंतिम प्रयाग के रूप में भी प्रतिष्ठित है,
देवप्रयाग उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में स्थित एक छोटा सा शहर है। यह स्थान दो पवित्र नदियों अलकनंदा और भागीरथी के संगम के लिए मशहूर है, जहाँ से पवित्र गंगा नदी का उद्गम होता है। दुनिया भर से श्रद्धालु 'इस पवित्र संगम' का विहंगम दृश्य देखने हर साल लाखो की तादाद मे यहाँ पहुँचते है। इसके अतिरिक्त, यह स्थान 'पंच प्रयाग' के अंतिम प्रयाग के रूप में भी प्रतिष्ठित है, जो अलकनंदा नदी के पांच पवित्र संगमों का एक समूह है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भागीरथ के कठोर तप से माँ गंगा धरती पर अवतरित हुई थी,इसलिए इस स्थान को मां गंगा की
जन्मस्थली के रूप में भी जाना जाता है। देवप्रयाग में उपसर्ग 'देव' संत देव शर्मा से लिया गया है, जिन्होंने यहां अपना तपस्वी जीवन व्यतीत किया था। यह भी माना जाता है की यहाँ, राजा दशरथ और भगवान राम ने तपस्या की थी जिसका वर्णन रामायण मे भी उल्लेखित है। माँ गंगा के उद्गम के विहंगम दृश्य के साथ साथ आप यहाँ के प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर मे भगवान राम के दर्शन कर सकते है। अपने उद्गम स्थल से पवित्र गंगा नदी ऋषिकेश हरिद्वार से होती हुई यह गंगा नदी सीधा बंगाल की खाड़ी जिसको गंगा सागर के नाम से जाना जाता है इस जगह पर कपिल मुनि का मंदिर भी है जो हिन्दू धर्म में हिन्दुओ का सबसे बड़ा पवित्र स्थल माना जाता है जिसका उल्लेख पुराणों में भी किया गया है सारे तीर्थ बार बार गंगा सागर एक बार,जहाँ हर मकर सक्रांति वाले दिन लाखो की तादात में लोग डुबकी लगाने आते है।क्योंकि इस जगह पर सारी पवित्र नदियों का संगम होता है देवप्रयाग संगम समुद्र तल से लगभग 830 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है
देवप्रयाग भी एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है जहाँ पर 33 कोटि देवी देवताओ का वास माना जाता है इसलिए इस संगम के दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते है और इस पवित्र मिलन निहारने व् पूजा अर्जना जिससे शद्धालु की मनोकामना पूर्ण हो जाती है और इसके साथ आप यहाँ नजदीकी मंदिर जो चारो धामों की रक्षा भी करती है धारी देवी मंदिर यहाँ से मात्र 50 किलो मीटर की दुरी पर स्थित है इन जगहों पर आप वैसे तो कभी भी आ सकते है घूमने के लिए देखा जाये घूमने का जो सबसे अच्छा मौसम है मार्च से लेकर जून और सितम्बर से लेकरनवंबर है यहाँ आने के लिए आपको पहले ऋषिकेश हरिद्वार या देहरादून आना पड़ेगा ऋषिकेश से मात्र 70 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है आप जहाँ से भी हो अगर आप ट्रेन के माध्यम से आ रहे हो तो सबसे पहले अपंने नजदीकी ट्रेन स्टेशन से जा कर हरिद्वार की टिकट बुक करनी पड़ेगी या ऑनलाइन माध्यम से भी कर सकते हो अगर आप हवाई जहाज जे माध्यम से आ रहे हो तो आपको देहरादून के जॉलीग्रांट एयर पोर्ट पर आना पड़ेगा इन चारो जगहों में से किसी भी स्टेशन पर पहुँच कर आपको यहाँ के लिए टैक्सी कार अन्य वाहनों को सुविधा मिल जाएगी देवप्रयाग के लिए