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कालीमठ मंदिर

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जानकारी

माँ काली को समर्पित कालीमठ का मंदिर देहरादून से 225 दूर रुद्रप्रायग जिले के एक गांव में स्थित है। माता का दरबार भक्तो के लिए साल भर खुला रहता है जहाँ अमूमन काफी संख्या में भक्त आते रहते है विशेषकर नवरात्री के समय। चारो तरफ पहाड़ी से घिरे इस मंदिर की मान्यत काफी अधिक है। श्रीमद देवी भागवत के अनुसार 108 शक्ति पीठो में स्थान प्राप्त इस मंदिर का विशेष महत्व है।

पौराणिक कथा अनुसार रक्तबीज नामक दैत्य के वध पश्चात माँ काली इस स्थान शिला के निचे स्थित एक कुंड में समा गई थी। उस स्थान को एक चांदी की प्लेट से ढाका हुआ है जिसे लोग श्री यंत्र कहते है, इस यंत्र के नीचे माँ की एक शिला है जिसको साल में शारदीय नवरात्री के समय अष्टमी के दौरान की जाती है। पूजा के दौरान दौरान केवल मंदिर के मुख्य पुजारी ही शिला के पास उपस्थित रहते है।

दूसरी मान्यता के अनुसार कालीमठ में भक्त माँ के केवल निचले भाग के ही दर्शन कर सकते है, जबकि ऊपरी भाग यहाँ से 40 किमी दूर धारी देवी में पूजा जाता है। पहाड़ो के बीच स्थित यह मंदिर बेहद ही दर्शनीय लगता है, जिसके आस पास आपको माता लक्ष्मी, सरस्वती, गौरी शंकर और कई शिवलिंग स्थापित मिल जाएंगे। मंदिर से थोड़ा आगे चलकर भैरव बाबा का मनंदिर स्थित है, जहाँ भक्त माँ के दर्शन उपरांत अवश्य जाते है।

यहां कैसे पहुंचे

कालीमठ की दूरी देहरादून से लगभग 225 किमी की है, भक्त इस स्थान पर सड़क मार्ग से पहुँच सकते है। इसके लिए उन्हें देहरादून, ऋषिकेश, और रुद्रप्रयाग से बस एवं टैक्सी की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। इस स्थान पर आने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार में 210 किमी दूर और हवाई अड्डा 194 किमी दूर देहरादून में स्थित है।

पहुँचने का सबसे अच्छा समय

यह मंदिर भक्तो के लिए साल भर खुला रहता है लेकिन नवरात्री के समय माँ के दर्शन करने को काफी अच्छा माना जाता है। हालाँकि नवरात्री के दौरान आपको इस स्थान पर अत्यधिक भीड़ देखने को मिल सकती है। अन्यथा आप यहाँ मई से जून तथा सितम्बर से दिसंबर के दौरान आ सकते है। बरसात के समय यात्रा करने से बचना चाहिए जहाँ उनको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

समुद्र तल से ऊँचाई

समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 1,800 मीटर (6,000 फ़ीट) है।

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