सिद्धबली मंदिर

Sep 29, 2024
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जानकारी

पवनपुत्र हनुमान को समर्पित श्री सिद्धबली मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के छोटे से शहर कोटद्वार में स्थित है। खोह नदी के तट पर स्थित सिद्धबली धाम की भक्तो में अत्यधिक मान्यता देखी जाती है। पहाड़ो की हसीन वादियों से घिरा यह मंदिर आस पास के क्षेत्र के बेहद ही आकर्षक नज़ारे पेश करता है। मुख्य शहर से दूर स्थित यह मंदिर कोटद्वार का काफी प्रसिद्ध स्थल है, जहाँ लाखो की संख्या में भक्त हर साल दर्शन करने आते है। कोटद्वार से मात्र 3 कि.मी की दूरी पर स्थित इस मंदिर में श्रद्धालु ऑटो या रिक्शा की सहायता से आ सकते है। मंदिर के गर्भ गृह का रास्ता कुछ सीढ़ियों से होकर के जाता है, जहाँ पहुंचने पर आप दर्शन कर सकते है हनुमान जी की मूर्ति की जो दिखने में बेहद ही दिव्य और अलौकिक प्रतीत होती है।

मंदिर में प्रसाद के रूप में आप बूंदी या फिर गुड़ की भेली को प्रसाद के रूप में चढ़ा सकते है। हनुमान जी के दर्शन पश्चात आप मंदिर में अन्य भगवान के भी दर्शन कर सकते है; जिनमे शनि भगवान भी शामिल है। अपनी मनोकामना लिए भक्त काफी दूर से मंदिर में आते है, जिसके पूर्ण होने पर भक्त मंदिर में भंडारे का आयोजन करके धन्यवाद प्रकट करते है। आमतौर पर मंदिर में मंगलवार, शनिवार, और रविवार को भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसके लिए मंदिर समिति से पूर्व में आज्ञा लेना आवश्यक है। विशेष दिवस पर भंडारा करवाने हेतु काफी संख्या में लोग आवेदन करते है, जिसको बुकिंग करि वर्षो की पहले से ही की जा चुकी है। मंदिर समिति द्वारा हनुमान जयंती के शुभ दिवस पर विशाल भंडारे और भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमे काफी संख्या में लोग शामिल होने आते है। स्कन्द पुराण में स्थान प्राप्त इस मंदिर को गुरु गोरखनाथ जी की तपस्थली माना जाता है। आदिकाल के समय मंदिर के स्थान पर केवल

 सिद्ध पिंडिया स्थित थी, जिसकी पूजा लोगो द्वारा की जाती थी। इसके पश्चात 80 के दशक में इन पिंडियो के स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना के साथ भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। गहरे संतरी रंग में रंगा मंदिर बेहद ही खूबसूरत दिखाई पड़ता है। कहा जाता है की रामायण युद्ध के समय जब लक्ष्मण मेघनाद के बाण से मूर्छित हो गए थे तो उनके लिए संजीवनी बूटी लेने हनुमान जी इसी मंदिर मार्ग से होते हुए गए थे। मंदिर में प्रसाद चढ़ाने प्रांगढ़ में ही भक्तो को कई दुकाने मिल जाएंगी। इसके साथ ही खाने की भी मंदिर के निकट उचित व्यवस्था है। अमूमन भक्तो की भीड़ मंदिर में हर दिन ही लगी रहती है लेकिन मंगलवार, शनिवार, और रविवार को काफी संख्या में भक्त की भीड़ देखी जा सकती है। मंदिर में प्रवेश करते समय और दर्शन के दौरान भक्तो को बंदरो से

 सावधान रहने की आवश्यकता है और अपने अमूल्य सामान और बैग को संभाल के रखे। मंदिर में वैसे तो आप कभी भी आ सकते हो लेकिन जुलाई अगस्त के महीने में आपको थोड़ा सावधानी का भी ध्यान रखना होता है उस दौरान ,पत्थर पहाड़ो से गिरते है व पल पानी की वजह से बह जाते है जिससे यात्रियों को पारेसानी का सामना करना पड़ता है इसलिय यात्रा सही समय पर ही करें अगर आप ट्रेन से आ रहे हो तो हरिद्वार रेलवे स्टेशन की सीधा आपको ट्रेन मिल मेल जायेगा जो हरिद्वार रेलवे स्टेशन से 70 की.मी है और अगर एयर पोर्ट के माध्यम से आ रहे हो नजदीकी एयर पोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून से मंदिर की दुरी 107 की मीटर है एयर पोर्ट और रेलवे स्टेशन से आपको टैक्सी ,कार या बस माध्यम से भी जा सकते हो

भीतर आस-पास के स्थान किमी त्रिज्या

देखिए यात्री क्या कह रहे हैं...