यमुनोत्री

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Yamunotri
Yamunotri

जानकारी

यमुनोत्री चार धामों में से वह धाम है, जहाँ से श्रद्धालु अपनी चार धाम की यात्रा शुरू करते है। देहरादून से 190 किमी की दूरी पर स्थित यह धाम "देवी यमुना" को समर्पित है। इस पवित्र तीर्थ स्थान पर आप देहरादून से मसूरी-केम्पटी फॉल होते हुए जानकी चट्टी तक हिमालय की खूसबसुरत वादियों का आनंद लेते हुए आ सकते है। जानकी चट्टी से आगे मंदिर तक की यात्रा श्रद्धालुओं को पैदल मार्ग से तय करनी होगी। इस दौरान प्रकृति के खूबसूरत नज़ारे, विहंगम झरने, यमुना नदी, और हर भरे खूबसूरत पहाड़ आपके इस ट्रेक को सुगम्य बना देंगे।

मंदिर के गर्भ-ग्रह में देवी की काले मार्बल रंग की मूर्ति स्थापित है, जिसके दर्शन श्रद्धालु सुबह की आरती के बाद दोपह 12 बजे तक और श्याम की आरती की पश्चात रात 8 बजे तक कर सकते है। चारो तरफ पहाड़ी से घिरे इस मंदिर से बन्दरपूँछ चोंटी का दृश्य बेहद ही विहंगम दिखता है।

19वी शताब्दी में निर्मित इस मंदिर का निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था, जिसका जीर्णोद्धार बाद में टिहरी रियासत के महाराजा प्रताप शाह ने करवाया। भक्तो में माँ की मान्यता इतनी गहरी है की हर साल लाखो की संख्या में श्रद्धालु इस पवित्र स्थल पर पधारते है।

यहाँ स्थित पवित्र सूर्य कुंड और गौरी कुंड एहम है, सूर्य कुंड के गर्म पानी में श्रद्धालु चावल और आलू को पकाते है, जिसे प्रसाद के रूप में मंदिर में चढ़ाया जाता है। वहीं गौरी कुंड में श्रद्धालु स्नान करके अपनी यात्रा के लिए प्रस्थान करते है। पौराणिक कथा अनुसार सूर्य की संज्ञा और छाया नामक दो पत्नियों से यमुना (यमी), यम (यमराज) और शनि प्रकट हुए।

यमुनोत्री से लगभग 9 किमी पहले खरसाली में शनि देव का प्राचीन मंदिर स्थित है, जहाँ अमूमन यात्री अपनी यात्रा के दौरान आते है। यमुना की जन्मस्थली चमपासर ग्लेशियर के संज्ञा में स्थित है, जिसके बगल वाली पहाड़ी यमुना के पिता यानी सूर्य देव का स्थल है, जिसे लोग कालिंदा पर्वत के नाम से भी जानते है।

यमुनोत्री के कपाट दिवाली के दो दिन बाद आने वाले भाई दूज जिसे यम द्वितीया भी कहते है के उपलक्ष्य पर बंद किये जाते है। माना जाता है है की इस दिन यम अपनी बहन यमी से मिलने जाते है, जिस वजह से इस त्यौहार को देशभर में मनाया जाता है। लोगो में यह भी मान्यता है की इस दिन यमुना के दर्शन वा मथुरा में स्नान करने मात्र से नरकी जीवन व यातना से छुटकारा मिल जाता है। यमुनोत्री से श्रद्धालु कुछ प्रमुख स्थल जैसे की हनुमान चट्टी, खरसाली, सप्तऋषि कुंड (यमुना क उद्गमी स्थल) पर जा सकते है।

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