फूलों की घाटी
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जानकारी
फूलो की घाटी उत्तराखंड के सबसे चर्चित पर्यटक स्थलों में से एक है। 87 वर्ग किमी में फैली इस घाटी की स्थापना वर्ष 1982 में की गई थी, जिसकी सुंदरता किसी को भी मदहोश कर सकती है। अपनी विभिन्न वनस्पति और वन्य जीव के लिए मशहूर फूलो की घाटी को यूनेस्को द्वारा वर्ष 2002 में विश्व धरोहर के सम्मान से नवाजा गया। 600 से भी अधिक वनस्पति की प्रजाति से घिरी यह घाटी वर्ष में केवल छह माह ही पर्यटकों के लिए खुली रहती है, जिसका इन्तजार देश के नहीं बल्कि विदेश के पर्यटक भी बेसब्री से करते है। प्रकृति के खूबसूरत नजारो से घिरा यह स्थान बेहद ही मनमोहक और अध्भुत दृश्य प्रदर्शित करता है, जो व्यक्ति के कल्पना से बहुत दूर होते है। मीलो तक फैले विभिन्न रंग के फूल एक ऐसा नजारा पेश करते है मनो आप किसी स्वर्ग में आ पहुंचे हो।
इस घाटी में पर्यटक आसानी से ट्रेक करके पहुँच सकते है, जिसका मार्ग पहाड़ो, घाटी, नदियों, झरनो, और घास के मैदानों से होता हुआ जाता है। घाटी में बहने वाली पुष्पावती नदी की खोज कर्नल एडमंड स्मिथ द्वारा की गई थी, जो घाटी के कई हिस्सों को विभाजित करते हुए आगे बढ़ती है। चारो तरफ हरियाली से घिरी फूलो की घाटी में प्रवेश करते ही फूलो की सुगंध आपका स्वागत करती है, जो इसमें प्रवेश करते और गहरी होती चली जाती है। यह स्थान ट्रेकर्स, प्रकृति प्रेमियों, वनस्पतिशास्त्रियों, फोटोग्राफरों, पक्षी प्रेमियों और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य है।
फूलो की घाटी ट्रेक 2025 खुलने और बंद होने की तिथि
अपने ट्रैक के लिए विख्यात फूलो वर्ष 2025 में पर्यटकों के लिए 1 जून 2025 को खोल दी गई है। इस वर्ष से पर्यटकों के लिए परमिट लेना अनिवार्य है, जिसे वह ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकते है। पिछले वर्ष की भाँती ही इस वर्ष भी ट्रैक पांच से छह माह ही पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। हालाँकि विभाग द्वारा वर्ष 2025 के लिए फूलो के घाटी के बंद होने की तिथि की घोषण अभी नहीं की है। लेकिन आशा की जाती है की यह पर्यटकों के लिए अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह तक ही खुला रहेगा।
वनस्पति और जीव
उत्तराखंड अपने धार्मिक स्थानों के लिए ही नहीं बल्कि यहाँ मौजूद अन्य प्रकृति के करिश्मे के लिए भी जाना जाता है, जैसे की "फूलो की घाटी"। उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल स्थित फूलो की घाटी अपने विभिन्न प्रकार की वनस्पति और वन्य जीव के लिए पहचानी जाती है। यहाँ आपको कई फूलो की प्रजाति देखने को मिलेंगी, जिनमे से कई अपनी विलुप्ती के कगार पर खड़ी है।
वनस्पति के साथ घाटी अपने वन्य जीव के लिए भी प्रचलित है, जहाँ आपको हिम तेंदुआ, एशियाई काला भालू, नीली भेड़, कस्तूरी मृग, लाल लोमड़ी, हिमालयी मोनाल और उड़ने वाली गिलहरी देखने को मिलेंगे। वनस्पति की तरह ही वन्य जीव की भी कई प्रजाति विलुप्त होने के मुहाने पर खड़ी है।
फूलो की प्रजातियां
फूलो की घाटी में 600 से भी अधिक प्रजाति के वनस्पति मौजूद है उनमे से 62 प्रजाति के साथ एस्टेरसिया परिवार घाटी में प्रमुखता से पाया जाता है। विभिन्न रंगो के वनस्पति के अतिरिक्त घाटी में 42 विभिन्न तरह की जड़ी-बूटियाँ भी मौजूद है, जिनका उपयोग स्थानीय लोग सदियों से अपने उपचार हेतु करते आ रहे है।
घाटी में प्रवेश करते ही उनके प्रकार के फूल आपके लिए विभिन्न रंगो का कारपेट बिछाए रहते है। घाटी में और अंदर प्रवेश करने पर आपको एक प्रमुख फूल ब्रह्म कमल के दर्शन होंगे। अमूमन यह फूल अगस्त माह से खिलना चालू होता है। इस फूल की पवित्रता के चलते इसको स्थानीय लोग अक्सर पूजा में अर्पित करते है विशेषकर नंदा देवी और सुनंदा देवी को। इसके अलावा ब्लू पॉपी और कोबरा इल्ली प्रजाति के फूल भी लोगो में आकर्षण का केंद्र बने रहते है।
फूलो की घाटी ट्रेक
ट्रेक के शौक़ीन व्यक्तियों के बीच फूलो की घाटी का ट्रेक बेहद प्रचलित और ख़ास है। वर्ष में पांच से छह माह खुले रहने वाले इस ट्रेक पर काफी संख्या में लोग इसकी खूबसरती को निहारने आते है। पहले इस ट्रेक का मार्ग गोविन्द घाट से शुरू होता था लेकिन पूलना तक सड़क बन जाने के बाद इसके ट्रैक का संचालन अब पूलना गांव से होता है। पूलना से घांघरिया लगभग 9 किमी की दूरी पर स्थित है जो इस ट्रेक का बेस कैंप है। इस बेस कैंप में यात्रियों के रात में ठहरने हेतु उचित व्यवस्था मौजूद है। घांघरिया से फूलो की घाटी का ट्रेक मार्ग केवल 3.5 किमी का है, जो किसी भी व्यक्ति द्वारा आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके ट्रैक में आपको मीलो तक फैले रंग बिरंगे फूल, झरने, नदियाँ, और खूबसूरत हिमालय की वादियाँ नजर आती है।
ट्रेक के प्रारम्भ में ही इसके ब्लू पॉपी व्यू पॉइंट से आपको घाटी का बेहद ही विहंगम नजारा आपका स्वागत करता है, जो आगे बढ़ने के साथ साथ और भी खूबसूरत होता चला जाता है। इसके प्रत्येक कदम में आपको प्रकृति की खूबसूरती दिखाई पड़ती है, जिसकी तारिक किए बिना आप रह नहीं पाएंगे। इसकी हरी भरी और रंग बिरंगी वादियों के अतिरिक्त आपको यहाँ से दूर गौरी पर्वत और टिपरा बामक ग्लेशियर के आकर्षक नज़ारे भी देखने को मिलते है।
एक विश्व धरोहर
भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रिय पार्क का दर्जा प्राप्त करने के बाद वर्ष 2022 में यूनेस्को ने इस घाटी को विश्व धरोहर के दर्जे से नवाजा था। विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त इस घाटी को मुख्यतः तीन उप-अल्पाइन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: तलहटी अल्पाइन क्षेत्र, निचला अल्पाइन क्षेत्र और उच्च अल्पाइन क्षेत्र।वन अनुसन्धान संस्थान द्वारा किए गए अनुसन्धान में पाया गया की घाटी में करीब 600 से भी अधिक प्रजाति के वनस्पति मौजूद है।
प्रमुख गतिविधि
फूलो की घाटी में यात्री विभिन्न गतिविधि में शामिल होकर अपनी यात्रा को यादगार बना सकते है, जैसे की : -
ट्रैकिंग | फूलो की घाटी के अतिरिक्त यात्री घांघरिया से हेमकुंड साहिब के ट्रेक पर भी जा सकते है। |
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गांव भ्रमण | घांघरिया फूलो की घाटी और हेमकुंड साहिब का बेस कैंप के तौर पर जाना जाता है। अपनी यात्रा के दौरान आप इस गांव में कुछ पल बिता सकते है, जो आपको गांव के जीवन यापन और यहाँ की कठिनाइयों से रूबरू करवाती है। |
फोटोग्राफी | वन्यजीव और प्रकृति फोटोग्राफर दोनों के लिए ही फूलो की घाटी एक उत्तम स्थान है, जहाँ वह प्रकृति एवं वन्य जीव के अद्भुत चित्रों को अपने कैमरे में कैद कर सकते है। |
धार्मिक यात्रा | इस यात्रा के दौरान आप पास ही हेमकुंड साहिब यात्रा और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की धार्मिक यात्रा पर भी जा सकते है। |
इतिहास
वर्ष 1931 तक यह घाटी सभी की नजरो से दूर थी, जब तीन ब्रिटिश पर्वतारोहियों ने अपना रास्ता भटक जाने के कारण गलती से इस स्वर्ग की खोज की थी। इस स्थान पर असंख्य फूलो की खूबसूरती से वह इतना गदगद थे की उन्होंने इस स्थान का नाम "फूलो की घाटी रखा"। आगे चलकर उन्ही में से एक पर्वतारोही ने इसपर एक किताब भी लिखी। 1931 में जोन मार्गरेट लेगे एक प्रख्यात वनस्पति वैज्ञानिक खोज हेतु इस स्थान पर पहुंची। अपनी खोज के दौरान भ्रमण करते हुए पैर फिसलने के चलते उनकी यहाँ मृत्यु हो गई। उनकी याद में उनकी बहन द्वारा घाटी में एक स्मारक भी बनाया।
जरूरी विवरण
स्थान | चमोली गढ़वाल, उत्तराखंड। |
कुल मोटर मार्ग दूरी | दिल्ली (519 किमी) - देहरादून (302 किमी) - ऋषिकेश (262 किमी) - हरिद्वार (286 किमी) |
अंतिम मोटर मार्ग | गोविंदघाट और पूलना। |
कुल ट्रेक दूरी | गोविंदघाट से 17.8 किमी या पूलना से 12.5 किमी दूर है। |
ट्रेक गेट खुलने का समय | सुबह 7 बजे |
ट्रेक गेट बंद होने का समय | दोपहर 2 बजे |
भ्रमण का समय | प्रातः 7:00 बजे से सायं 5:00 बजे तक। |
बेस कैंप | घांघरिया। |
यात्रा का तरीका | बस, टैक्सी, और बाइक। |
आवास की सुविधा | गोविंदघाट, पूलना और घांघरिया। |
पंजीकरण | ऑनलाइन और ऑफलाइन |
यात्रा मार्ग
दिल्ली → हरिद्वार → ऋषिकेश → देवप्रयाग → श्रीनगर → रुद्रप्रयाग → कर्णप्रयाग → जोशीमठ → गोविंदघाट
प्रवेश शुल्क
वर्ग | भारतीय + सार्क | विदेशी |
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बच्चे (0 से 12 वर्ष) | कोई शुल्क नहीं | 800 रूपए |
विद्यार्थी (12 से 18 वर्ष) | 50 रूपए | 800 रूपए |
विद्यार्थी (18+) /विकलांग/ वरिष्ठ नागरिक | 100 रूपए | 800 रूपए |
व्यस्क | 200 रूपए | 800 रूपए |
ठहरने की सुविधा
विश्व धरोहर होने के चलते फूलो की घाटी में ठहरने हेतु किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यात्रियों को घाटी में भ्रमण करके शाम तक अपने बेस कैंप घांघरिया या गोविंदघाट पहुंचना होता है। इसके चलते यात्रियों के लिए गोविंदघाट और घांघरिया दोनों ही स्थानों पर ठहरने हेतु उचित व्यवस्था उपलब्ध है, जहाँ उनको होटल, होम स्टे और गेस्टहॉउस की सुविधा मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त यात्रियों के लिए गोविंदघाट से 5 किमी दूर पूलना गांव में रहने की सुविधा उपलब्ध है।
पंजीकरण
फूलो की घाटी के ट्रेक पर जाने से पूर्व यात्रियों को इसके लिए विभाग से परमिट प्राप्त करना आवश्यक है। इसके लिए वह पंजीकरण ऑनलाइन या ऑफलाइन से कर सकते है।
- ऑफलाइन पंजीकरण के लिए घांघरिया में पंजीकरण काउंटर खोले गए है।
- ऑनलाइन पंजीकरण हेतु www.valleyofflower.uk.gov.in पर जाए।
- परमिट आवेदन का चयन करे।
- जरूरी विवरण दर्ज करने के बाद पंजीकरण शुल्क जमा कर दे।
- फूलो की घाटी के परमिट की पंजीकरण प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी हेतु हाइपरलिंक पर क्लिक करे।
यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- सभी यात्रियों को यात्रा हेतु परमिट प्राप्त करना आवश्यक है, जिसे आप ऑनलाइन www.valleyofflower.uk.gov.in से या घांघरिया से प्राप्त कर सकते है।
- फूलो की घाटी का ट्रेक इसके अंतिम मोटर मार्ग गोविंदघाट या पूलना से शुरू किया जा सकता है।
- ठहरने की व्यवस्था आने से पूर्व में बुक करें अन्यथा अंतिम समय में समस्या आ सकती है।
- यात्रियों के ठहरने की सुविधा इसके अंतिम मार्ग गोविंदघाट और पूलना के साथ इसके बेस कैंप घांघरिया में उपलब्ध है।
- गोविंदघाट से यात्रा शुरू करने वाले यात्री खच्चर की सुविधा भी ले सकते है, जो उन्हें घांघरिया तक प्राप्त होगी।
- यात्रियों के लिए पार्किंग की विशेष सुविधा गोविंदघाट में मौजूद है।
- सभी यात्रियों को गाइड और पोर्टर साथ में रखना आवश्यक है, जो उन्हें मुश्किल रास्तो और हालात में मदद कर सकेंगे।
- ट्रेक मार्ग सुबह 7 बजे खोले जाते है जो दोपहर 2 बजे तक खुले रहते है।
- रात्री विश्राम पर पाबन्दी के चलते सभी यात्रियों को शाम 5 बजे तक अपने बेस कैंप में पहुंचना आवश्यक होता है।
- ट्रेक का भरपूर आनंद लेने के लिए यात्रियों को ट्रेक सुबह जल्दी शुरू करने की सलाह दी जाती है।
- घांघरिया से फूलो की घाटी के ट्रेक मार्ग की दूरी कुल 3.5 किमी की है।
- ट्रेक के लिए अपने साथ कुछ जरूरी सामान अवश्य से साथ में रखे जैसे की टोर्च, वाटर प्रूफ ट्रैकिंग शूज, जैकेट, अतिरिक्त बैटरी, और अपने सामान को सुरक्षित रखने हेतु प्लास्टिक शीट।
- सभी यात्री अपने साथ जरूरी दवाई, खाने का सामान, पानी, और इलेक्ट्रोलाइट पाउडर अवश्य साथ रखे।
- मानसून के दौरान यात्रा करने से पूर्व मौसम और रास्तो की जानकारी अवश्य से प्राप्त कर ले।
- घाटी में अनावश्यक चिल्लाने से बचे।
- सिगरेट पीने वाले व्यक्ति सिगरेट के टुकड़े को घाटी में ना फेंके इसे आग लगने का खतरा बना रहता है।
- प्लास्टिक की बोतले और अन्य कचरा घाटी में ना फैलाए।
- जंगली जानवरो से उचित दूरी बनाए रखे फोटो खींचने के लिए उनके करीब जाने का प्रयास ना करे।
- घाट में मौजूद वनस्पति को ना छेड़े और ना तोड़े।
- हमेशा ट्रेक मार्ग पर बने रहे अन्यथा मार्ग से भटक सकते है।
नजदीकी आकर्षण
फूलो की घाटी के निकट आप अन्य प्रसिद्ध पर्यटक और धार्मिक स्थल भी जा सकते है, जैसे की : -
यहां कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से : - उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल स्थित फूलो की घाटी राजधानी देहरादून आईएसबीटी से 320 किमी से की दूरी पर स्थित है। इस यात्रा मार्ग के मुख्यतः दो अंतिम मोटर मार्ग है गोविंदघाट और पूलना। गोविंदघाट तक आप बस, टैक्सी, और बाइक के माध्यम से आ सकते है, जबकि पूलना के लिए आपको टैक्सी की सुविधा गोविंदघाट से प्राप्त हो जाएगी। बस की सुविधा आपको देहरादून पर्वतीय बस अड्डा , ऋषिकेश बस अड्डा और हरिद्वार बस अड्डा से मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त आप बाइक रेंट के सेवा लेकर भी आ सकते है।
रेल मार्ग से : - इसके निकटतम रेलवे स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो यहाँ से 263 किमी की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से आप टैक्सी सेवा या नजदीकी बस स्टैंड से बस के द्वारा यात्रा पूर्ण कर सकते है।
हवाई मार्ग से : - देहरादून जॉली ग्रांट हवाई अड्डा इसके निकटतम एयरपोर्ट में से एक है, जो लगभग 278 किमी की दूरी पर स्थित है। यात्री एयरपोर्ट से या 17 किमी दूर ऋषिकेश बस स्टैंड से टैक्सी बुक कर सकते है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
फूलो की घाटी पर्यटकों के लिए वर्ष में जून से अक्टूबर माह तक ही खुली रहती है। वैसे तो आप किसी भी माह में यहाँ जा सकते है लेकिन जुलाई से सितम्बर के मध्य यहाँ के सभी फूल खिल उठते है जो बेहद ही अद्भुत दृश्य उत्पन्न करते है, जिसके चलते यह समय यात्रा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
समुद्र तल से ऊँचाई
फूलो की घाटी समुद्र तल से 3,600 मीटर (लगभग 11,811 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।