पूर्णागिरी मंदिर

जानकारी
पूर्णागिरी धाम कुमाऊं मंडल में एक बेहद ही प्रसिद्ध धार्मिल स्थल है, जो चम्पावत जिले के टनकपुर शहर में स्थित है। यह मंदिर माँ पूर्णागिरी को सम्पर्पित है, जिसे माँ दुर्गा और महाकाली का ही एक अवतार माना जाता है। बताया जाता है की माँ पूर्णागिरी का यह धाम 51 शक्ति पीठो में से एक है, जहाँ माता सती की नाभी गिरी थी। माँ के प्रति अटूट श्रद्धा और गहरी आस्था रखने वाले श्रद्धालु अक्सर माता के दर्शन करने दूर दूर से यहाँ पधारते है, विशेषकर नवरात्रो के दौरान।
पूर्णागिरी धाम
चम्पावत जिले की खूबसूरती के मध्य स्थित माँ पूर्णागिरि का मंदिर टनकपुर बस अड्डे से केवल 22 किमी की दूरी पर है। श्रद्धालु यहाँ सड़क मार्ग से होते हुए टैक्सी की सहायता से बड़ी ही आसानी से आ सकते है। हालाँकि मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से मंदिर के गर्भ गृह तक का रास्ता करीब 3 किमी लम्बा है, जिसे भक्तो को पैदल चलकर ही पूरा करना होता है। इस पैदल मार्ग में 1000 से भी अधिक सीढियाँ है, जिसे तय करने में भक्तो को लगभा 1 घंटे का समय लग जाता है। समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मंदिर से प्रकृति के बेहद ही सुन्दर नज़ारे देखने की मिलते है, जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देते है।
मंदिर के गर्भ गृह में माँ पूर्णागिरी की बड़ी ही दिव्य और भव्य मूर्ति विराजमान है, जिसको देखते है शरीर में मानो एक ऊर्जा का संचार होने लगता है। मुख्य मूर्ति के अतिरिक्त आपको मंदिर में अन्य देवी देवताओ की मूर्ति भी देखने को मिलती है। माँ के दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं को यहाँ मौजूद भैरव नाथ के मंदिर में दर्शन करने अवश्य से जाना होता अन्यथा उनकी यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है। भगवान भैरव नाथ का यह मंदिर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वारा के निकट ही स्थित है।
पूर्णागिरी मेला
मंदिर में वैसे तो सभी त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास से मनाते है लेकिन प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के नवरात्रे यहाँ बेहद ही धूम धाम से मनाए जाते है। इस दौरान मंदिर में 40 दिनों तक चलने वाले पूर्णागिरी मेले का भव्य आयोजन किया जाता है। इस मेले की अधिक विशेषता के चलते काफी संख्या में श्रद्धालु विभिन्न स्थानों से मंदिर में माँ पूर्णागिरी के दर्शन हेतु पधारते है। इस दौरान मंदिर के प्रांगढ़ और इसके पैदल मार्ग में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है।
बाबा सिद्धनाथ
टनकपुर से एक किमी की दूरी पर स्थित बाबा सिद्धनाथ का मंदिर माँ पूर्णागिरी की यात्रा में बेहद ही एहम माना जाता है। ऐसा कहते है की माँ पूर्णागिरी के दर्शन को आए श्रद्धालु की यात्रा और मनोकामना तभी पूर्ण होगी जब वह बाबा सिद्धनाथ के इस मंदिर में दर्शन करने आएँगे। महेन्दर नगर नेपाल में स्थित यह मंदिर शारदा नदी के पास स्थित है, जहाँ नवरात्री के दौरान काफी मात्रा में भक्त आशीर्वाद लेने आते है।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय
पूर्णागिरी मंदिर भक्तो के लिए दिन भर खुला रहता है विशेषकर चैत्र नवरात्रो के दिनों में। भक्तो के लिए माँ का दरबार दिन भर खुला रहता है, जहाँ वह प्रसाद चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। हालाँकि वर्ष में कुछ समय के लिए मंदिर को रात में दर्शन हेतु बंद कर दिया जाता है, जिसकी घोषणा मंदिर समिति द्वारा कुछ समय पूर्व में दी जाती है। इस वर्ष माँ पूर्णागिरी धाम भक्तो के लिए 2 अक्टूबर से 30 दिसंबर 2025 तक रात को दर्शन हेतु बंद रहेगा।
इतिहास
पूर्णागिरी मंदिर का पौराणिक इतिहास अन्य सिद्ध पीठ के सामान ही है। अन्य सिद्ध पीठो के अनुसार माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने अपने निवास स्थान पर एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया। इस आयोजन में उन्होंने सभी को निमंत्रण भेजा लेकिन अपने दामाद शिव को निमंत्रण नहीं भेजा। यह जानकार सती नाराज हो गई और अपने पिता की इस बात से आहत होकर उसी यज्ञ की ज्वाला में कूद पड़ी। यह खबर पाकर भगवान शिव क्रोध में दक्ष प्रजापति के यहाँ पधारे और उस यज्ञ कुंड को तोड़ते हुए सती के जले हुए शरीर को लेकर वह से चले गए। क्रोध और पीड़ा से व्याकुल भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर इधर उधर भटकने लगे। इस दौरान माता सती के जले हुए शरीर के अंग के कुछ टुकड़े विभिन्न स्थानों पर गिरे, जिन्हे आज के समय में शक्ति पीठो के रूप में पूजा जाता है। कहत है अन्य स्थानों की भांति ही पूर्णागिरी में माता सती की नाभि का अंग गिरा था।
स्थान और कैसे पहुँच
पूर्णागिरी धाम उत्तराखंड के चम्पावत जिले में स्थित है, जिसकी दूरी चम्पावत से 92 किमी तो हल्द्वानी से 120 किमी की है। विभिन्न स्थानों से आप यहाँ बस या उपलब्ध टैक्सी की सहायता से आ सकते है, जिसकी सुविधा आपको टनकपुर बस स्टैंड तक मिलती है। बस स्टैंड से मंदिर की 22 किमी की दूरी तय करने के लिए आपको बस स्टैंड से टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी।
निवास की सुविधा
यात्रियों के ठहरने की सुविधा टनकपुर में उपलब्ध है, जहाँ उन्हें 1,000 रूपए से लेकर 2,000 रूपए तक के होटल की सुविधा मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त श्रद्धालु मंदिर के निकट उपलब्ध धर्मशाला में भी रह सकते है जिसके लिए उनसे किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिए जाता। टनकपुर और मंदिर के निकट उपलध कुछ प्रमुख निवास की सुविधा कुछ इस प्रकार से है : -
- होटल रेयांश।
- होटल सिद्धार्थ।
- होटल भागीरथी इन।
- होटल जे.बी।
- होटल नीलकंठ।
- आनंद आश्रम धर्मशाला।
- कन्नौज धर्मशाला।
- पांडे पूजा भंडार कासगंज धर्मशाला।
- बदायूँ धर्मशाला।
- कुमाऊं धर्मशाला।
- भैरव मंदिर धर्मशाला।
यात्रियों के लिए मत्वपूर्ण सुझाव
- टनकपुर देर शाम तक पहुंचने पर अपने रहने की व्यवस्था टनकपुर में करे।
- मंदिर के निकट विभिन्न धर्मशाला भी उपलब्ध है, जहाँ से आप प्रसाद लेकर निशुल्क में रात्रि विश्राम कर सकते है।
- धर्मशाला में आपको नहाने और बाथरूम की सुविधा भी मिलती है।
- आरमदायक जूते पहने क्यूंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 1000 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी होती है।
- मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर तक आपको विभिन्न प्रसाद की दुकान मिल जाती है।
- मंदिर मार्ग में खाने और पीने हेतु कई दुकान उपलब्ध है।
- पूर्णागिरी माता के दर्शन पश्चात अंत में भैरव नाथ के दर्शन अवश्य से करे।
- बाबा सिद्धनाथ के दर्शन जाने वाले श्रद्धालु अपने साथ आधार कार्ड अवश्य से लेकर चले।
नजदीकी आकर्षण
पूर्णागिरी धाम आने के पश्चात आप टनकपुर के निकट अन्य प्रसिद्ध स्थल पर भी जा सकते है, जैसे की: -
- बाबा सिद्धनाथ मंदिर।
- श्यामलाताल।
- बनबसा रेंज।
- शारदा घाट।
यहां कैसे पहुंचे
पूर्णागिरी मंदिर चम्पावत जिले के टनकपुर बस स्टैंड से मात्र 22 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर में सड़क मार्ग से होते हुए टैक्सी की सहायता से पहुंचा जा सकता है, जिसकी सुविधा रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से मिल जाती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को तीन किमी की यात्रा सीढी चढ़कर पूरी करनी होती है।
सड़क मार्ग से: - माँ पूर्णागिरी का मंदिर अपने निकटतम शहरो से सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है, जहाँ आप टनकपुर तक बस सेवा के द्वारा पहुंच सकते है। टनकपुर बस स्टैंड से मंदिर की 22 किमी की दूरी यहाँ उपलब्ध टैक्सी के द्वारा पूरी की जा सकती है, जिसका किराया 60 से 100 रूपए के मध्य होता है।
रेल मार्ग से: - इसके निकटतम रेलवे स्टेशन की बात करे तो टनकपुर रेलवे स्टेशन इसके निकटतम रेलवे स्टेशन में से है जो मंदिर से 22 किमी की दूरी पर है। यह स्टेशन सीमित रेल सेवा के साथ दिल्ली, हरिद्वार एवं अन्य के साथ जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से उतारकर यात्री अपनी आगे की यात्रा सड़क मार्ग से टैक्सी के द्वारा कर सकते है, जिसे तय करने में लगभग एक घंटे का समय लगता है।
हवाई मार्ग से: - मंदिर के निकटतम हवाई अड्डे की बात करते तो पंतनगर हवाई अड्डा इसका सबसे नजदीक है, जो लगभग 118 किमी की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट सीमित मात्रा में दिल्ली और देहरादून हवाई सेवा से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से यात्री टैक्सी या बस सेवा लेकर मंदिर पहुंच सकते है। ध्यान रहे बस सेवा केवल टनकपुर बस स्टैंड तक रहेगी जिसके आगे का सफर टैक्सी के द्वारा तय करना होगा।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
पूर्णागिरी धाम वैसे तो भक्तो के लिए वर्षभर खुला रहता है। हालाँकि मंदिर जाने का सबसे उत्तम समय सितम्बर से मई का माना जाता है क्यूंकि इस दौरान यहाँ का वातावरण यात्रा के लिए अनुकूल माना जाता है। इसके अतिरिक्त आप यह चैत्र माह में मनाए जाने नवरात्र के समय भी आ सकते है क्यूंकि इस दौरान मंदिर में 40 दिनों तक चलने वाले भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमे दूर दूर से श्रद्धालु पधारते है।
समुद्र तल से ऊँचाई
पूर्णागिरी धाम समुद्र तल से लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो की करीब 9,842 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है।