कुमाऊं मंडल एक ऐसा जिला जो अपने नाम से काफी मशहूर है “चम्पवात जिला जो उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से मात्र 414 की मी की दुरी पर स्थित है इस स्थान पर आप सड़क, रेल तथा हवाई मार्ग से आ सकते है। चम्पवात शहर से आपको नजदीकी ही काफी धार्मिक पर्यटक स्थल और ऐतिहासिक स्थल देखने को मिल जायेंगे यहाँ हर साल लाखो पर्यटक आते है। इतना ही नहीं लोक कथाओ के अनुसार महाभारत काल में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन किया गया है। कहा जाता है की, धरती को बचाने हेतु विष्णु भगवान् ने इस स्थान पर कुर्मा (कछुए) का अवतार लिया था। कहा जाता है की जिस शिला पर भगवान् विष्णु खड़े थे कुर्माशीला के रूप से पहचानी जाने लगी। यहाँ बहने वाली काली नदी के तटीय क्षेत्र को को काली कुमाऊं के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत काल में विशिस्ट रूप से पहचाने जाने वाले इस स्थान पर आपको देवीधुरा के बराही मंदिर, सिप्तेश्वर मंदिर, हिडिमिबा- घटोत्कच मंदिर और प्रसिद्ध तारकेश्वर
महादेव का मंदिर मिल जाएंगे जो की महाभारत के समय के बताए जाते है। चंद शासन काल के दौरान 10-12 शताब्दी के बीच निर्मित बालेश्वर मंदिर की शिल्प कला बेहद अद्भुत है, जहाँ काफी संख्या में भक्त हर साल आते है। इसके अलावा सरयू वा काली नदी के संगम पर स्थित पंचेश्वर अपने शांत वातारण और विहंगम दृश्य ले लिए विख्यात है। यहाँ स्थित भोले नाथ को समर्पित चोमू देवता को स्थानियो लोगो द्वारा पशुओ के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है की चमपावत शहर का नाम यहाँ के राजा अर्जुन देव की पुत्री राजकुमारी चमपावती के नाम पर रखा गया था। शनि देवी मंदिर यह मंदिर चम्पवात शहर से मात्र 13 किलोमीटर की दुरी पर मरोड़ी गाँव में स्थित है यहाँ पर श्रद्धालु दुरु दूर से आते है दर्शन के लिए और इस मंदिर में पुजारी जी का आशीर्वाद बहुत खास है
जिससे श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती है दसरा सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थल गुरुद्वारा मीठा रीठा साहिब यह गुरुद्वारा चम्पावत शहर से मात्र 70 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है इस गुरूद्वारे की मान्यता यह है गुरु नानक जी के साथ आये थे और यहाँ भाई मर्दाना के साथ एक पेड़ के निचे बैठ गए थे जिस पेड़ के निचे बैठे थे वह रीठे का पेड़ था और जो उनके साथ भाई मर्दाना को रीठे का फल खाने को कहा अक्सर रीठे के पेड़ तो कडवा होता है लेकिन जो गुरुनानक जी फल तोडा वह मीठा था यह भी बताया जाता है जिस पेड़ और स्थान पर गुरु नानक जी बैठे थे उस स्थान के जितने भी पीछे के सारे पेड़ थे वह पेड़ के फल मीठे हो गए जिस कारण यह गुरुद्वारा मीठा रीठा के नाम से उत्तराखण्ड में काफी प्रशिद्ध तीर्थ स्थल है और आज यहाँ आज भी श्रद्धालुओ को रीठा प्रशाद में दिया जाता है ,गोल्ज्यू देवता मंदिर यह मंदिर चम्पावत के प्रशिद्ध मंदिरो में से एक माना जाता है मेन बाजार (चम्पावत शहर ) से मात्र 1. 2 किलोमीटर की मीटर की दुरी पर स्थित है इस मंदिर मान्यता है जो श्रद्धालु इस मंदिर में चुनरी बांधता है बाहर उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है इसकी जो चुनरी है वह
सफेद,काली,लाल जो त्रिकोणे आकार की होती है गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है मंदिर के चारो और आपको छोटी छोटी घंटियाँ देखने को मिलेगी जो श्रद्धालु अपनी इच्छा पूर्ण होने के लिए घंटियों को लगाया जाता है और मल्लारेश्वर मंदिर यहाँ से काफी नजदीक है प्रकृति की छाया में यह मंदिर आपको मंत्रमुग्द कर देगा इस मंदिर में आपको भगवान शिव की शिवलिंग है और हनुमान जी का मंदिर,भेरो का मंदिर भी और एक शांत जगह बनाया गया है उसके बगल में आपको छोटा झरना देखने को मिलेगा जिसकी आवाज आपके मन को शांत कर देगी इस शहर में आपको ऐसी जगह काफी देखने को मिल जाएगी चम्पावात में घूमने के लिए आप सितम्बर से लेकर नवंबर और फरवरी से जून के बीच आपको काफी अच्छा मौसम देखने को मिलेगा अगर आप रेल मार्ग से आना चाहते है तो आपको चम्पवात से मात्र 75 किलोमीटर टनकपूर है और पंतनगर एयरपोर्ट 170 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है या बस मार्ग होते हुए भी आ सकते है इन जगहों पर पहुंचने पर आपको यहाँ से टैक्सी कार अन्य वाहनों की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी आसानी से