नरसिंह बद्री

Jul 5, 2024
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जानकारी

भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह को समर्पित यह मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के जोशीमठ में स्थित है। अपनी प्राचीनता और उससे जुडी धार्मिक लोक कथाओ के लिए यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। सप्त बद्री में से एक कहे जाने वाले नरसिंघ भगवान के इस मंदिर में श्रद्धालु दूर-दूर से उनका आशीर्वाद पाने आते है। मंदिर में स्थित नरसिंह की मूर्ति शालिग्राम के पत्थर से निर्मित है, जिसका निर्माण कश्मीर के राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ द्वारा 8 वी शताब्दी के दौरान बताया जाता है। हालाँकि कई विद्वानों का यह भी कहना है की इस मंदिर की मूर्ति स्वयंभू है जो की स्वयं प्रकट हुई है। मंदिर के गर्भगृह में कमल रूप में विराजमान इस मूर्ति की सुंदरता देखते ही बनती है, जिसकी ऊंचाई लगभग 10 इंच की है।

कहा जाता है की इस मंदिर का नाता भविष्य बद्री से जुड़ा हुआ है, जो की इस मंदिर से लगभग 21 किमी दूर स्थित है। यहाँ के लोगो द्वारा बताया जाता है की मंदिर की मूर्ति का आकार धीरे धीरे छोटा होता जा रहा है, जो की विद्वानों द्वारा कथित बातो के अनुरूप सिद्ध हो रहा है। बताया जाता है की जब कलयुग अपने अंतिम पड़ाव पर होगा तब मंदिर में स्थित भगवान नरसिंघ की मूर्ति के हाथ टूट कर निचे गिर जाएंगे। इस घटना से बद्री विशाल के द्वारपाल कहे जाने वाले जय और विजय नमक पर्वत गिर जाएंगे, जिस वजह से बद्रीनाथ का मार्ग हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। इस घटना के पश्चात कलयुग का अंत हो जाएगा और सतयुग पुनः प्रारम्भ होगा और भगवान बद्री विशाल की पूजा इस भविष्य बद्री में की जाएगी।

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