माता मूर्ति मंदिर
जानकारी
बद्रीनाथ का पवित्र शहर यहाँ स्थित बद्रीनाथ धाम के साथ अन्य धार्मिक स्थलों के लिए भी पहचाना जाता है, इनमे से माता मूर्ति का यह मंदिर विशेष है। बर्फ से ढके ऊँचे पहाड़ो से घिरा यह मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है, जिसकी दूरी बद्रीनाथ धाम से केवल 3 किमी की है। यह मंदिर भगवान विष्णु की उपासक माता मूर्ति को समर्पित है, जिन्होंने वरदान स्वरुप अपनी कोख से नर और नारायण जुड़वाँ भाई को जन्म दिया जिन्हे भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर आये श्रद्धालु अक्सर इस मंदिर में माता मूर्ति के दर्शन और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते है। कहते है की इस मंदिर में प्राथना करने से सांसारिक मोह माया से लिप्त लोगो को छुटकारा मिल जाता है।
क्या है विशेष महत्व
अलकनंदा नदी के तट पर स्थित माता मूर्ति का मंदिर हिन्दू तीर्थयात्री में अधिक महत्व रखता है, जो उनके भगवान विष्णु सच्ची श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है। विद्वानों द्वारा कहा जाता है की माता मूर्ति ने बड़ी ही निष्ठा भाव से भगवान विष्णु से उनकी कोख से जन्म लेने की विनम्र प्रार्थना की, जिसे भगवान विष्णु स्वीकार किया। मंदिर में सभी त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाए जाते है, जिसके साक्षी स्थानीय निवासी के साथ दूरस्थ स्थानों से श्रद्धालु भी बनते है।
वार्षिक मेला
प्रत्येक वर्ष सितम्बर माह में श्रावण द्वादशी के दिन माँ की विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है। इस दौरान स्थानीय निवासियों द्वारा एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है, जो दूर दराज से आए लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र रहता है।
प्राकृतिक सौंदर्य
अपनी धार्मिक महत्ता के साथ मंदिर अपने स्थानीय खूबसूरत नजारो के लिए भी पहचाना जाता है। बद्रीनाथ धाम से 3 किमी की दूरी पर स्थित मंदिर से बर्फीली पहाड़ की चोंटिया और कल कल बहती अलकनंदा नदी की मधुर धरा यहाँ के शांत वातावरण में मिठास घोल देती है। मंदिर का शांत वातावरण ध्यान के शौक़ीन व्यक्तियों के लिए एक उम्दा स्थल बनता है, जहाँ वह ध्यान करके परमात्मा से जुड़ सकते है। शीतकाल के दौरान पड़ने वाली बर्फ़बारी से इस स्थान की खूबसूरती अत्यधिक बढ़ जाती है।
पौराणिक इतिहास
बद्रीनाथ स्थित माता मूर्ति का यह मंदिर अपनी एक पौराणिक इतिहास के लिए पहचाना जाता है। वैसे तो भगवान विष्णु के कई भक्त रहे, जिन्होंने उनकी सच्ची श्रद्धा भाव से दिन रात प्राथना की लेकिन माता मूर्ति उनकी विशेष भक्तो में से थी। वह भगवान विष्णु की रोजाना प्राथना करती और उनसे अनुरोध करती की वह उनकी कोख से जन्म ले। उनकी इस अटूट आस्था और श्रद्धा भाव को देखते हुए भगवान विष्णु ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए उनकी कोख से नर और नारायण के अवतार में जुड़वाँ भाई के रूप में जन्म लिया। उसके बाद से ही माता मूर्ति को इस स्थान पर पूजा जाने लगा, जहाँ पर बाद में उनका एक छोटा सा भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। बद्रीनाथ धाम में मंदिर की उपस्थिति यहाँ के आध्यात्मिकता को और अधिक बढ़ा देती है।
स्थान और कैसे पहुंचे
माता मूर्ति का मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है, जिसकी दूरी बद्रीनाथ धाम से केवल 3 किमी की है। मोटर मार्ग से जुड़ा ना होने के चलते श्रद्धालुओं को मंदिर की तीन किमी की दूरी पैदल ही चलकर पूरी करनी होती है।
निवास की सुविधा
श्रद्धालुओं को मंदिर के निकट निवास की सुविधा बद्रीनाथ में मिल जाएगी जहाँ उन्हें होटल, गेस्टहाउस, होमस्टे, और धर्मशाला के विकल्प मिल जाते है। श्रद्धालु इन्हे अपनी आवश्यकता अनुसार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से बुक कर सकते है।
यात्रियों के लिए मत्वपूर्ण सुझाव
- बद्रीनाथ मंदिर के निकट स्थित होने के चलते चार धाम यात्रा पंजीकरण अनिवार्य है।
- मंदिर की तीन किमी की दूरी तय करने हेतु आरामदायक जूते पहने।
- मंदिर जाते समय अपने साथ उचित मात्रा में पानी अवश्य से रखे।
- अपने साथ प्रसाद जरूर लेकर आए।
- श्रावण द्वादशी को आयोजित होने वाले मेले के दौरान मंदिर में अत्यधिक भीड़ देखने को मिलती है।
- अत्यधिक बर्फ़बारी के चलते मंदिर शीतकालीन के समय दर्शन हेतु बंद रहता है।
नजदीकी आकर्षण
माता मूर्ति मंदिर के साथ श्रद्धालु बद्रीनाथ स्थित अन्य धार्मिक स्थल पर भी जा सकते है; जैसे की: -
यहां कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग से: - बद्रीनाथ मंदिर से माता मूर्ति का मंदिर तीन किमी की दूरी पर स्थित है जहाँ आप पैदल मार्ग का उपयोग करके पहुंच सकते है। बद्रीनाथ धाम ऋषिकेश से लगभग 286 किमी की दूरी पर स्थित है जहाँ आप बस एवं टैक्सी की सहायता से पहुंच सकते है। उत्तराखंड परिवहन निगम की बस सेवा के साथ निजी (विश्वनाथ और जीएमओयू) बस रोजाना ऋषिकेश एवं हरिद्वार से बद्रीनाथ के लिए रवाना होती है।
रेल मार्ग से: - इसके निकटतम रेलवे स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है जो की लगभग मंदिर से लगभग 290 किमी की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से ऋषिकेश के लिए सिमित संख्या में रोजाना और साप्ताहिक ट्रैन सेवा चलती है। ऋषिकेश से आगे बद्रीनाथ तक की यात्रा बस या टैक्सी के द्वारा पूर्ण की जा सकती है।
हवाई मार्ग से: - देहरादून स्थित जॉली ग्रांट हवाई अड्डा इसके निकटतम एयरपोर्ट में से है जिसकी दूरी मंदिर से लगभग 304 किमी की है। यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरो से सीधी फ्लाइट सेवा से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से आगे की यात्रा आप यहाँ उपलब्ध टैक्सी बुक करके या ऋषिकेश से अन्य साधनो के द्वारा पूर्ण कर सकते है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
मंदिर जाने का सबसे उत्तम समय मई से जून तथा सितम्बर से अक्टूबर का माना जाता है।
समुद्र तल से ऊँचाई
माता मूर्ति मंदिर समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो की लगभग 10,279 फ़ीट पर है।