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माता मूर्ति मंदिर

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जानकारी

बद्रीनाथ से तीन किमी दूर माता मूर्ति का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जहां बद्रीनाथ आने वाले यात्री माँ का आशीर्वाद लेने अवश्य आते है। नर और बद्रीनाथ दो जुड़वाँ बच्चो की माता को समर्पित इस मंदिर का एक विशेष महत्व है। विद्वानों द्वारा कहा जाता है की माता मूर्ति ने बड़ी ही निष्ठा भाव से भगवान विष्णु से उनकी कोख से जन्म लेने की विनम्र प्रार्थना की। उनकी इस प्राथना को स्वीकार करके भगवान विष्णु ने उनकी कोख से जुड़वाँ बच्चे नर और बद्रीनाथ के रूप में अवतार लिया। कहा जाता है की माँ की पूजा करने मात्र से सांसारिक मोह माया से लिप्त लोगो को छुटकारा मिल जाता है।

प्रत्येक वर्ष सितम्बर माह में श्रावण द्वादशी के दिन माँ की विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है। इस दौरान स्थानीय निवासियों द्वारा एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है, जो दूर दराज से आए लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र रहता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगो को बद्रीनाथ से तीन किमी का ट्रेक करके पहुंच सकते है। अलकनंदा नदी किनारे स्थित यह मंदिर प्रकृति का एक विशेष नजारा प्रस्तुत करता है। जहाँ पहाड़ियों से घिरे इस मंदिर में सर्दियों के समय अत्यधिक बर्फ़बारी देखी जा सकती है, जो यात्रियों को लुभाने का काम करती है।

यहां कैसे पहुंचे

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित इस मंदिर की दूरी देहरादून से 327 किमी की है। यात्री यहाँ सड़क मार्ग से बस तथा कार की सहायता से आ सकते है, इसकी सेवा देहरादून एवं ऋषिकेश बस और टैक्सी स्टैंड में उपलब्ध है। मंदिर के नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार में 321 किमी दूर स्थित है वही निकटतम हवाई अड्डे देहरादून में 302 किमी दूर स्थित है। यहाँ से आगे का सफर यात्रियों को सड़क मार्ग स पूरा करना होगा। बद्रीनाथ पहुंचने के पश्चात श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन किमी का मार्ग पैदल चलकर पूरा करना होगा।

यात्रा करने का सबसे अच्छा समय

मंदिर जाने का सबसे उपयुक्त समय मई से जून तथा सितम्बर अक्टूबर का माना जाता है। अत्यधिक बारिश और बर्फ़बारी के चलते बरसात और सरिदयो का समय यात्रा के लिए उचित नहीं माना जाता जहाँ यात्रियों को कई तरह की परेशनियो का सामना करना पड़ सकता है।

समुद्र तल से ऊँचाई

समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 3,133 मीटर (10,279 फ़ीट) है।

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