कैंची धाम

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जानकारी

हिन्दुओ के धार्मिक स्थल कहे जाने वाला ‘कैंची धाम’ उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में स्थित है। नैनीताल के मुख्य शहर से 38 किमी दूर इस आश्रम में हजारो की संख्या में श्रध्दालु प्रति दिन दर्शन करने आते है। कैंची धाम के नाम से विख्यात यह आश्रम आध्यात्मिक गुरु ‘नीभ करोरी बाबा’ को समर्पित है जिन्हे ‘नीम करोली बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है।

चारो तरफ पहाड़ियों से घिरा यह आश्रम कोसी नदी के किनारे पर स्थित है, जिसकी खूबसूरती सुबह और श्याम के समय देखते ही बनती है। आश्रम में मिलने वाली शांति एक व्यक्ति को अध्यात्म से जोड़ने और महाराज जी की भक्ति में लीन होने में सहयता प्रदान करती है। ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए बाबा जी का नाम ‘लक्ष्मण नराया शर्मा’ था लेकिन अपनी अध्यात्मता के चलते लोग इन्हे ‘महाराज जी’ कहकर सम्बोधित करने लगे।

हनुमान जी में गहरी आस्था रखने वाले महाराजी जी के इस आश्रम में मुख्य तौर पर हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की गई है। महाराज जी की अध्यात्म कथा से न केवल भारत के अपितु दुनिया भर के लोग प्रेरित है। इसका उदहारण इसी बात से समझा जा सकता है की 1960 से 1970 के दशक में कई नमचीन हस्तिया इस आश्रम में पधार चुकी है इनमे एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के संस्थापक मार्ग जकरबर्ग, एवं जूलिया रॉबर्ट्स प्रमुख है।

घर छोड़ने के पश्चात महाराज जी अध्यात्म को समर्पित जीवन जीना चाहते थे, जिसके लिए वह कई स्थानों पर अध्यात्म के बारे में लोगो को बताते थे। वर्ष 1962 में महाराज जी ने नैनीताल के इस स्थान पर अपना खुद एक एक आश्रम खोला, जहाँ काफी संख्या में भक्त आया करते थे। वर्ष 1964 में निर्मित इस आश्रम में महाराज जी अपना अधिकतर समय व्यतीत किया करते थे। दुनिया को अध्यात्म का पाठ पढ़ाने के बाद वर्ष 1973 में बाबा जी ने वृन्दावन में अपनी अंतिम सांस ली। इस स्थान पर उनकी याद में एक समाधी स्थल का निर्माण किया गया है, जहाँ उनके भक्त काफी संख्या में पधारते है।

महाराज जी की अस्थियो को कलश कैंची धाम स्थित आश्रम में रखा गया है, जहाँ लोग उनसे आशीर्वाद और मार्गदर्शन की आस लिए आते है। महाराज जी द्वारा पूर्व निर्धारित प्रत्येक वर्ष की 15 जून को आश्रम का स्थापना दिवस बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है, जिसमे लाखो की संख्या में लोग शामिल होते है। मंदिर में स्थापित महाराज जी की मूर्ति और हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना भी 15 जून को ही की गई थी।

प्रत्येक वर्ष लाखो की संख्या में भक्त इस आश्रम में आते है अतः आश्रम में ठहरने हेतु श्रद्धालु को अपने आगमन पूर्व समिति से अनुमति लेना आवश्यक है। एक व्यक्ति को आश्रम में ठहरने हेतु तीन दिन से अधिक की अनुमति प्रदान नहीं की जाती। अनुमति न मिलने की स्थिति में श्रद्धालु आश्रम के पास ही निर्मित यात्री विश्राम ग्रह में रुक सकते है।

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