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हरियाली देवी मंदिर

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जानकारी

विष्णुशक्ति, योगमाया और महालक्ष्मी के रूप में पूजे जाने वाली हरियाली देवी का मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है। सिद्ध पीठ के रूप में पहचाने जाने वाला यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 180 किमी बद्रीनाथ मंदिर मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण आदी गुरु शंकराचार्य जी के समय का बताया जाता है जिसका निर्माण समय समय पर आवश्यकतानुसार किया गया। मुख्य मार्ग से लगभग 200 मीटर दूर पहाड़ की चोटी पर स्थित मंदिर से आस पास के गांव का बेहद ही शानदार नजारा दिखाई देता है।
 

मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित माता हरियाली की मूर्ति शेर के ऊपर विराजमान है, जिसका स्वरुप बेहद ही सुन्दर और भव्य है। मंदिर का मार्ग घने वन से होकर गुजरता है, जिसकी गिनती पवित्र वनो में की जाती है। माता हरियाली यहाँ स्थित 250 परिवारों के साथ इस वन की संरक्षक देवी के रूप में पूजी जाती है। कांठा गांव स्थित हरियाली देवी मंदिर को क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरो में गिना जाता है, जहाँ नवरात्र के साथ अन्य सभी त्यौहार बेहद ही धूम-धाम से मनाए जाते है। स्थानीय क्षेत्र में हरियाली देवी के रूप में पूजे जाने वाली देवी को कुमाऊं क्षेत्र में माता शीतला देवी के नाम से पूजा जाता है।

तीन हरियाली देवी मंदिर

रुद्रप्रयाग क्षेत्र में माता हरियाली देवी के मुख्य रूप से तीन मंदिर है, इनमे से कांठा स्थित हरियाली माता का मंदिर और जसोली गांव स्थित हरियाली देवी का मंदिर अधिक प्रख्यात है। बताया जाता है की जसोली स्थित हरियाली माता का मंदिर उनका ससुराल है तो वहीँ कांठा स्थित मंदिर माता हरियाली का मायका। यह दोनों मंदिर लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है, जिनमे से कांठा स्थित मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। इसके अतिरिक्त हरियाला देवी का मंदिर निकट ही स्यून्द गांव में भी स्थित है जो की रुद्रप्रयाग बाजार से लगभग 15 किमी की दूरी पर चोपता-पोखरी मार्ग पर स्थित है।

हरियाली कांठा यात्रा 2025

अपने प्राचीन इतिहास के साथ हरियाली माता मंदिर यहाँ प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली "हरियाली कांठा यात्रा" के लिए अधिक प्रसिद्ध है। कहते हैं की इस यात्रा में माता की डोली अपने ससुराल से मायके की एक दिन की यात्रा पर जाती है। हरियाली कांठा की यह यात्रा प्रत्येक वर्ष धनतेरस के अवसर पर आयोजित की जाती है, जिसमें स्थानीय निवासियों के साथ दूर-दूर से माता के भक्त शामिल होने आते हैं। रात के समय आयोजित की जाने वाली इस यात्रा में केवल पुरुष ही भाग लेते हैं। कहते हैं कि इस यात्रा में शामिल होने से एक सप्ताह पूर्व तामसिक भोजन जैसे कि मांस, दारू, प्याज और लहसुन का सेवन करना बंद कर देना होता है।
 

वर्ष 2025 में हरियाली देवी की हरियाली कांठा यात्रा 18 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। यह पवित्र यात्रा चार चरणों में अपने मायके पहुँचती है, जिनके प्रत्येक पड़ाव में आपको माता के भक्त उनके जयकारे लगाते हुए स्वागत करते हैं। इतनी ठंडी में रात के समय माता की डोली का स्वागत करना ग्रामीणों की माता के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति को भी दर्शाता है।

चरणबद्ध यात्रा कार्यक्रम

  • पहले चरण में मात्रा की भव्य डोली अपने जसोली स्थित ससुराल से प्रस्थान करती है, जिसकी अगुवाई माता के भाई हीत और लाटू देवता के निशान द्वारा की जाती है। पहले चरण की यात्रा कोडिमा तक होती है, जहाँ पर स्थानीय महिलाए माता की डोली के स्वागत के लिए खड़ी रहती है।
  • कुछ पल विश्राम के बाद डोली अपने दूसरे पड़ाव बासो पहुँचती है, जंगल के मध्य स्थानीय लोग अलाव जलाकर माता के स्वागत हेतु भजन और कीर्तन करते है।
  • रात को 8 से 9 बजे के करीब डोली अपने तीसरे पड़ाव यानी पंचरंगया के लिए प्रस्थान करती है। डोली यहाँ रात में करीब 12 बजे पहुँचती है, जहाँ पर माता भगवती को स्नान कराया जाता है।
  • यहाँ से आगे चलते हुए डोली अपने अंतिम पड़ाव यानी कनखल पहुँचती है, जहाँ पर सभी यात्री सुबह 5 बजे तक विश्राम करते है।

इसके पश्चात सुबह 5 बजे सूर्य की पहली किरण पड़ने के साथ मंदिर वाद्य ध्वनि और माता के जयकारो से गूंज उठता है। इस किरण के साथ ही डोली मंदिर में प्रवेश करती है, जहाँ माता का फूलो और जयकार से स्वागत किया जाता है। मंदिर में पूजा अर्चना और हवन प्रक्रिया के बाद डोली वापस अपने ससुराल जसोली के लिए प्रस्थान करती है। कहते है की माता की डोली को मंदिर के अंदर न प्रवेश करवाकर मंदिर की छत पर रखा जाता है। कहते है की यदि डोली ने मंदिर में प्रवेश किया तो उसे बाहर वापस लाना अत्यधिक कठिन हो जाता है।
 

इस धार्मिक यात्रा के लिए गांव की विवाहित बेटियां को (जिन्हे गढ़वाली भाषा में धियाण कहा जाता है) विशेष तौर पर इस यात्रा के लिए बुलाया जाता है। डोली के वापसी के समय ये बेटियां कोडिमा में माता के भाई हीत के कंडी में पूड़ी, पकोड़े, अनाज और अन्य भोग अर्पित करते हुए माता को उनके ससुराल के लिए विदा करती है। विदाई का यह पल बेहद ही भावुक कर देने वाला होता है, जो यहाँ मौजूद सभी की आँखों को नम कर देता है।

जन्माष्टमी और नवरात्री उत्सव

हरियाली कांथा यात्रा के साथ मंदिर में जन्माष्ठमी के समय तीन दिन के मेले का भव्य आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय ग्रामीणों के साथ दूर-दूर से लोग आते है। इसके साथ मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्रे भी बड़ी धूम धाम से मनाए जाते है। इन त्योहारों के समय विशेषकर नवरात्री में मंदिर में भक्तो की संख्या काफी मात्रा में देखी जाती है।

इतिहास

ऐसा बताया जाता है की माता देवकी और वासदेव को उनकी सातवीं संतान के रूप में पुत्री प्राप्त हुई थी। महामाया के नाम से पहचाने जाने वाली इस पुत्री के पैदा होने के बाद से ही कंस ने मारना चाहा। अपने इसी प्रयास के दौरान जब कंस ने महामाया को जमीन पर जोर से फेंका तो उसका शरीर विभिन्न टुकड़ो में बंट गया। अनेक टुकड़ो में विभाजित महामाया के शरीर के अंग अनेक स्थानों पर गिरे जिनमे से उनका हाथ इस स्थान पर गिरा। उसके बाद से इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया गया जहाँ उन्हें अब माता हरियाली के रूप में पूजा जाता है।

स्थान और कैसे पहुंचे

ऋषिकेश से लगभग 180 किमी दूर हरियाली देवी का मंदिर बद्रीनाथ हाईवे के निकट नगरासू मार्ग पर स्थित है। मुख्य हाईवे से मंदिर लगभा 21 किमी की दूरी पर स्थित है, जहाँ आप रुद्रप्रयाग से टाटा सूमो, मैक्स एवं अन्य उपलब्ध यात्री वाहन से पहुँच सकते है। रुद्रप्रयाग तक की यात्रा आप बस या टैक्सी के द्वारा पूरी कर सकते है, जिसकी सेवा आपको ऋषिकेश के साथ हरिद्वार और देहरादून बस स्टैंड से मिल जाएगी। मुख्य मार्ग से मंदिर लगभग 200 मीटर की पैदल दूरी पर है, जिसका रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता है।

निवास की सुविधा

मंदिर के निकट रात्रि विश्राम हेतु किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके लिए यात्रियों को बद्रीनाथ हाईवे या रुद्रप्रयाग बाजार में उपलब्ध यात्री निवास का उपयोग करना होगा।

यात्रियों के लिए मत्वपूर्ण सुझाव

  • मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी की सुविधा रुद्रप्रयाग से उपलब्ध हो जाएगी।
  • मंदिर के प्रवेश द्वारा पर सड़क किनारे वाहन खड़े करने की सुविधा उपलब्ध है।
  • नवरात्री के समय मंदिर में आपको अत्यधिक भीड़ देखने को मिल सकती है।
  • प्रत्येक वर्ष धनतेरस के समय माता की डोली आने मायके आती है।
  • इस वार्षिक यात्रा में शामिल होने के लिए नागरिको को एक सप्ताह पूर्व तामसिक भोजन को त्यागना आवश्यक है।
  • मंदिर के निकट एटीएम की सुविधा उपलब्ध न होने के चलते अपने साथ उचित मात्रा में रूपए अवश्य से रखे।
  • मंदिर का पैदल मार्ग जंगल से होते हुए जाता है इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले जूते पहने।
  • मानसून के दौरान मंदिर जाने से बचे क्यूंकि मार्ग में विभिन्न तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

नजदीकी आकर्षण

रुद्रप्रयाग प्रमुख रूप से विभिन्न स्थलों से घिरा हुआ है। अपनी हरियाली देवी मंदिर की यात्रा के दौरान आप अन्य धर्मिक स्थलों पर भी जा सकते है: -

यहां कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग से: - ऋषिकेश से हरियाली देवी मंदिर की दूरी लगभग 180 किमी की है। मंदिर आप सड़क मार्ग से बस या यूनियन संचालित टैक्सी की सेवा से पहुँच सकते है। बस और टैक्सी दोनों की सेवा ऋषिकेश बस स्टैंड से मिल जाएगी जो की रुद्रप्रयाग तक उपलब्ध होगी। मंदिर बद्रीनाथ मार्ग से 21 किमी दूर स्थित है जिसके लिए टैक्सी की सेवा आपको रुद्रप्रयाग बाजार से मिल जाएगी।
 

रेल मार्ग से: - इसके निकटतम रेलवे स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है जो की लगभग 183 किमी की दूरी पर स्थित है। स्टेशन दिल्ली रेल मार्ग से सीमित संख्या में रेल सेवा से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से ऋषिकेश बस स्टैंड 2 किमी की दूरी पर है जहाँ आप ऑटो या रिक्शा के माध्यम से पहुँच सकते है। आगे के सफर के लिए बस या टैक्सी की सहायता से पूरी कर सकते है।
 

हवाई मार्ग से: - मंदिर के निकटतम एयमंदिर के निकटतम एयरपोर्ट देहरादून स्थित जोली ग्रांट एयरपोर्ट है जो की लगभग 197 किमी की दूरी पर है। एयरपोर्ट से ऋषिकेश की दूरी लगभग 16 किमी की है, जिसे आप टैक्सी के द्वारा पूरी कर सकते है। ऋषिकेश से आगे की यात्रा के लिए बस या टैक्सी के विकल्प में से चुन सकते है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

हरियाली देवी मंदिर दर्शन हेतु वर्ष भर खुला रहता है जहाँ आप कभी भी आ सकते है। लेकिन मंदिर जाने का सबसे उपयुक्त समय सितम्बर से मई माह का माना जाता है क्यूंकि इस दौरान यहाँ का मौसम बेहद ही खुशनुमा और ठंडा होता है। इसके अतिरिक्त आप यहाँ चैत्र या शारदीय नवरात्रो के साथ धनतेरस के समय आयोजित होने वाली यात्रा में शामिल होने भी आ सकते है।

समुद्र तल से ऊँचाई

हरियाली देवी मंदिर समुद्र तल से लगभग 1,400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है है जो की लगभग 4,600 फ़ीट के करीब है।

Nearest Spot Based on Religious - Hinduism

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

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KM

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