गंगोत्री

Jun 28, 2024
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Gangotri
Gangotri

जानकारी

माँ गंगा को समर्पित गंगोत्री धाम उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। हिमालय के ऊँचे पर्वत, घने जंगल, ग्लेशियर से घिरा गंगोत्री धाम सबसे ऊंचाई पर स्थित धाम है, जो की समुद्र तल से करीब 3415 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी दूरी देहरादून से 237 किमी की है, यहाँ आप सड़क मार्ग से पहुँच सकते है।

माँ गंगा की उद्गमी स्थल कहे जाने वाले गौमुख गंगोत्री से 18 किमी की दूरी पर स्थित है, जहाँ से भागीरथी नदी बहती है। छोटा चार धाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ) में से इस धाम की महत्वता श्रद्धालु में कई अधिक है।

चार धाम की यात्रा पर निकले श्रद्धालु यहाँ भागीरथी नदी से जल भरकर केदारनाथ में भोलेनाथ को अर्पित करते है, और केदारनाथ से भस्मा लेकर मोक्ष के द्वार कहे जाने वाले अंतिम धाम बद्रीनाथ में अर्पित करते है। बद्रीनाथ से श्रद्धालु तुलसी की माला ग्रहण करके मोक्ष की कामना करते है।

चारो तरफ बर्फीले पहाड़ो से घिरा गंगोत्री धाम का मंदिर अत्यंत ही मनमोहक लगता है, जिसकी ऊंचाई करीब 20 फ़ीट है। सफ़ेद ग्रेनाइट से निर्मित इस मंदिर की खूबसूरती को देखकर हर कोई कायल हो जाता है। आँखों को लुभाने वाली मंदिर की खूबसूरती और मन को मोह लेने वाला यहाँ का वातावरण श्रद्धालु के साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। मंदिर की दिव्यता और पवित्रता अतुलनीय है, शायद इसी वजह से लाखो की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन करने हेतु पधारते है।

पौराणिक कथा अनुसार राजा भागीरथी के पूर्वजो के पापो को धोने हेतु माँ गंगा भगवान् शिव की जटाओ से निकलकर धरती में अवतरित हुई थी, तभी माँ गंगा को पापो को धोने वाली पावन नदी के रूप में सम्बोधित किया जाता है। तब से लेकर आज तक माँ गंगा को मानव जाती की पवित्रता का स्रोत माना जाता रहा है।

गंगोत्री धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ से अन्य स्थल पर भी जा सकते है, जिनमे गौरी कुंड, सूर्य कुंड, केदारताल, तपोवन, भैरव घाटी, पांडव गुफा, गौमुख, और मंदिर के निकट पानी में डूबे शिवलिंग प्रमुख है।

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