धारी देवी उत्तराखंड के प्रशिद्ध मंदिरो में से एक है, जो की भारत की 108 शक्ति पीठो( सती देवी के शरीर के अंग जहाँ जहाँ अंग गिरे वह स्थान आज सबसे पवित्र तीर्थ स्थल बना दिए गए है ) मे से एक है। यह मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल मंडल के पौढ़ी गढ़वाल शहर श्रीनगर में अलकनंदा नदी के बिच में स्थित है।माँ धरी का मंदिर और साथ में अलकनंदा का मिलन इस मंदिर खूबसूरती पढ़ जाती है अपनी मान्यताओं, सौंदर्यता तथा चारो तरफ पानी से घिरे होने के कारण मंदिर लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यहाँ श्रद्धालु माता के केवल ऊपरी भाग (मुख) के दर्शन करते है, जबकि निचला भाग कालीमठ मे माँ काली के रूप मे पूजा जाता है। धारी देवी माता को चारो धामों (उत्तराखण्ड के चारधाम केदारनाथ,बद्रीनाथ,यमुनोत्री,गंगोत्री )की संरक्षक माना जाता है, इसी वजह से श्रद्धालु अपनी चार धाम की यात्रा से पहले माता के दर्शन जरूर करते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर की मूर्ति द्वापर काल के समय की बताई जाती है। यह अपने आप मे अद्भुत है की,
यहाँ आपको माता के दिन भर मे तीन स्वरूपों मे दिखाई देगी, सुबह बाल्यावस्था मे, दिन मे एक स्त्री के रूप मे तथा श्याम के समय एक बुजुर्ग स्त्री के रूप मे। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है की, माता की मूर्ति को किसी भी छत के निचे नहीं रखा जाता, इसलिए वह भाग सदैव खुला रहता है। मंदिर में प्रवेश करते हि आपको देखने को मिलेगी बहुत सारी घंटियां व लाल चुनरी जो छोटी घंटी से लेकर बड़ी घंटियां बताया जाता है जो भी श्रद्धालु यहाँ पर घंटियों व लाल चुनरी को बांधता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है मंदिर के चारो तरफ यह नज़ारा देखने को मिलता है यह यहाँ के लोगो की मान्यता है और मंदिर के अंदर आपको देखने को मिलेगा भगवान शिव के पुरे परिवार का विग्रह जो मंदिर के अलग से बनाया गया है इसके साथ में आपको नन्दी महाराज जी की प्राचीन मूर्ति देखने को मिलेगी यहाँ के लोगो और ऋषियों की मान्यता यह भी जो केदारनाथ मंदिर में 2013 में बाढ़ आई थी वो इसी मंदिर से जुडी हुई मानी जाती है बताया जाता है
उस दौरान इस मंदिर में काम चल रहा था यह मूर्ति बिजली विभाग द्वारा कुछ ही दुरी पर मूर्ति को लाया गया और जिसके ठीक कुछ ही समय बाद ही केदारनाथ मंदिर यह घटना सुनने को मिली जिसके कारण इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था देखने को मिलती है इस मंदिर का अधिकांश भाग लकड़ी से बना हुआ है वैसे तो आज के युग में कई ऐसी जगह है जहाँ आपको ऐसी विचारधाराएँ देखने और सुनने को मिलेगी यह मंदिर अपने आप में एक अद्भुद मंदिर है और साथ ही इसके आस पास में छोटे-छोटे गॉंव व ऊँचे ऊँचे पहाड़ देखने मिलते है जिससे इस मंदिर रौनक और भी बढ़ जाती है यह मंदिर समुद्र तल से मंदिर लगभग 560 मीटर (1,837 फीट) की उचाई पर स्थित है इस मंदिर आप जुलाई और अगस्त के महीने में थोड़ी सावधानी बरतनी पड सकती है क्यूंकि उस दौरान आपको प्रकृति की सुन्दरता और में काफी बूंदा बंदी देखने को मिल सकती है यहाँ पर आने के लिए आपको यहाँ निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश,हरिद्वार,देहरादून इन जगहों के स्टेशन पर आना पड़ेगा फिर यहाँ से आपको कोई कैब आदि सुविधा मिल जाएगी ऋषिकेश से मात्र 161 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है