बाशिक महासु
जानकारी
बाशिक महासू महाराज जी का मंदिर देहरादून से 163 किमी दूर त्यूणी हनोल मार्ग मैंद्रथ में स्थित है। चार महासू में से एक यह प्राचीन मंदिर जौनसार बावर में काफी प्रसिद्ध है। यहाँ आप सड़क मार्ग द्वारा बस तथा टैक्सी की सहायता से पहुँच सकते है। चार भाई के समूह (बाशीक, पवासी, चालदा, और बोथा) को महासू कहा जाता है, जिनमे से मैंद्रथ स्थित यह मंदिर बाशिक महाराज जी को समर्पित है। महासू महाराज जो को न्याय का देवता भी माना जाता है, जिसके चलते आज भी गांव में लोटापानी व्यस्वस्था काफी प्रसिद्ध है। महासू महाराज जी की आस्था लोगो में देखते ही बनती है, इसी के चलते भादो के महीने में लगने वाले जागड़े में काफी संख्या में लोग दूर-दूर से यहाँ आते है। यह कहना गलत न होगा की महासू महाराज जी के जितने भी मंदिर है उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है की इनके मंदिर का अधिकतर हिस्सा देवदार की लकड़ी से बनाया जाता है, और इस लकड़ी को गांव वालो द्वारा दान में दिया जाता है। अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और स्वच्छ वातावरण से परिपूर्ण इस स्थान पर आप साल में कभी भी आ सकते है। इस स्थान से आप हनोल महासू भी जा सकते है जिसकी दूरी यहाँ से केवल 9 किमी है।
यहाँ पर कैसे जाएँ
देहरादून से इसकी दूरी मात्र 163 किमी की है जहाँ आप सड़क मार्ग द्वारा पहुँच सकते है। इसके लिए आपको देहरादून तथा विकासनगर बस अड्डे से बस तथा टैक्सी की सुविधा आसानी से प्राप्त हो जाएगी। इस स्थान के नजदीकी रेल मार्ग तथा हवाई अड्डा क्रमशः 154 किमी तथा 189 किमी दूर देहरादून में स्थित है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
वैसे तो मंदिर साल भरा खुला रहता है, लेकिन यहाँ आने का सबसे उपयुक्त समय सितम्बर से दिसंबर तथा फ़रवरी से मई का माना जाता है। वही आप यहाँ होने वाले जागड़े में भी आ सकते है, परन्तु उसमे आपको अत्यधिक भीड़ का सामना करना पड़ सकता है। बरसात के समय यहाँ यात्रा करने से आपको बचना चाहिए।
समुद्र तल से ऊँचाई
समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 1524 मीटर (5000 फ़ीट) की है।