देहरादून का एक ऐसा मंदिर जो पांडव के समय से जाना जाता है देहरादून आई एस बीटी से 10 कि.मी की दूरी पर आसन नदी के तट पर स्थित है रेलवे स्टेशन से 8 की.मी व् जॉली ग्रांट एयर पोर्ट से 33 की.मी की दुरी पर स्थित है आपको तीनो जगहों से जाने के लिए टैक्सी कार आदि की सुविधा मिल जाएगी मंदिर में आने के पश्चात आपको हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा मूर्ति दिखाई देती है टोंस नदी पार जो वैष्णो गुफा के सामने बनाई गई है मंदिर में प्रवेश करते ही आपको भैरोनाथ जी की मूर्ति भी दिखाई देगी जिसका विशेष महत्व है माना जाता है की इस मंदिर की स्थापना महभारत काल के समय तक़रीबन 6000 वर्ष पूर्व हुई थी। यह मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है, जिनके दर्शन को लाखो भक्तगण हर साल दूर दूर से आते है । यह मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है जिसमे भोलेनाथ के दो शिवलिंग है, जिसमे से एक शिवलिंग के ऊपर अनवरत पानी की बूँद टपकती रहती है, जिससे इस मंदिर का नाम टपकेश्वर पढ़ा। ऐसा माना जाता है की, इस गुफा में
गुरु द्रोण का निवास स्थान था (जिसे द्रोण गुफा भी कहा जाता है), जहाँ उनकी अर्धांग्नी ने अपने सुपुत्र अश्वथामा को जन्म दिया। वही जन्म के उपरांत जब वह अपने बच्चे को दूध नहीं पीला पा रही थी, तब भगवान शिव ने गांय के थन इस गुफा के ऊपर बना दिए जिसमे से दूध की बूँद टपकने लगी। इसी वजह से भोलेनाथ को दूदेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। ऐसा भी कहा जाता है की कलयुग में इस दूध की बूँद ने पानी का रूप ले लिया। वही अगर बात करे दूसरे शिवलिंग तो उसे रुद्राक्ष की 5151 मोतियों से ढका गया है। मंदिर के सामने आपको माँ संतोषी की प्रतिमा और इसके समीप में वैष्णो गुफा और हनुमान जी की मूर्ति देखने को मिल जाएगी। ऐसा माना जाता है की शिवलिंग पर जल चढाने और दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ण हो जाती है, यही कारण है की भक्तगण दूर दूर से शिवलिंग के दर्शन को आते है। हर साल सावन तथा शिवरात्रि के समय यहाँ पर मेले का आयोजन भी किया जाता है। गुफा के समीप आपको जो टोंस नदी है यह गुच्चू पानी वाली ही धारा ही आ रही है जिसको आसन नदी कहा जाता है
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर बताया जाता है महाभारत के समय (द्वापर युग ) गुरु द्रोणाचार्ये ने इस स्थान पर ही पाण्डव को कुटुंब विद्या का ज्ञान और अस्त्र शास्त्र का ज्ञान दिया जिस कारण यह गुफा बहुत खास मानी जाती है गुफा के अंदर ही गुरु द्रोणाचार्ये ने भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु यहाँ तपस्या की जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर उनको दर्शन भी दिए जिसके उपरांत यहाँ इसको दुदेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है इस शिवलिंग के पास ही आपको त्रिसूल,डमरू और पानी की बुँदे टपकती हुई यह एक दिव्ये ही शक्ति है जो श्रद्धालुंओ को अपनी और आकर्षित करता है गुफा के अंदर आपको ऐसा महसूस होगा जैसे किसी ऊँची बर्फीली पहाड़ी गुफा में आ गए हो और गुफा के अंदर आपको ठंडी का आभास होगा काफी चाहे गर्मी हो या सर्दी तापमान आपको इसका अलग ही देखने को मिलता है इसकी परिक्रमा भगवान शिव की गुफा से लेकर माता वैष्णो गुफ़ा तक पूरी की जाती है इस कारण इस मंदिर में श्रद्धालु दूर-दूर से आते है अपनी मनोकामना लेकर चारधाम की यात्रा करते समय भी आप यमुनोत्री जाते समय इसके दर्शन कर सकते है इस मंदिर में आप साल में कभी भी आ सकते हो दर्शन के लिए