माणा

Oct 2, 2024
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जानकारी

माणा गाँव जिसे उत्तराखण्ड के पहले गांव के रूप में जाना जाता है। पहले इसे उत्तराखंड के'आखरी गांव'के रूप में जाना जाता था। यह गाँव बदरीनाथ धाम से महज 4 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। इस गाँव से लगभग 36 किमी की दूरी पर भारत-तिब्बत सीमा लगती है। इस गाँव को सरस्वती नदी का उद्गम स्थल से भी जाना जाता है। यहाँ के राजमा और आलू काफी प्रसिद्ध है। उत्तराखंड सरकार द्वारा इस गाँव को "पर्यटन गाँव" द्वारा घषित किया गया है, जिसके

फलस्वरूप साल 2019 मे, इस गांव को 'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ और प्रतिष्ठित पर्यटन स्थल का पुरस्कार से नवाजा गया है। यहाँ आप न केवल शान्ति बल्कि साफ़ सुथरे वातावरण का अनुभव भी कर सकते है। श्रावण द्वादशी के समय यहाँ पर आप माता मूर्ति मंदिर के मेले का भी अनुभव ले सकते हैं। यह जगह ट्रेक प्रेमियों के लिए स्वर्ग हो सकती है, जहां उन्हें ट्रेक के ढेर सारे विकल्प मिल सकते हैं। जब माणा गाँव में आएंगे सबसे पहले आपको यहाँ का प्रवेश द्वार जिसको जय महावीर घंटाकर्ण के नाम से भी जाना जाता है वैसे आदर्श ग्राम भी कहा जाता है इस आदर्श ग्राम को सफाई के लिए भी सम्मानिक भी

किया गया है यहाँ पर आपको छोटी छोटी दुकाने भी देखने को मिलेगी यहाँ से गर्म कपडे भी भी खरीद सकते है और इससे आगे आपको यहाँ के सूंदर घर देखने को मिलेंगे और इन घरों में सूंदर सूंदर पेंटिंग पहाड़ी कल्चर को दिखाया गया है और यहाँ पर आपको रहने के लिए होम स्टे भी मिल जायँगे आगे चलकर आपको गणेश गुफा दखने को मिलेगी यह कोई गुफा नहीं है इसी स्थान पर गणेश जी 18 महाभारत महापुराणों को इस स्थान पर जिसका लेखन गणेश जी द्वारा किया गया था आगे की तरफ आपको श्री देव व्यास जी की गुफा के भी दर्शन करने को मिलेंगे व्यास जी ने 18 महाभारत महा पुराणों के बारे में यहाँ सरचना की थी और व्यास जी इस जगह पर रहते थे मन्दिर के ठीक पीछे आपको ऐसी जट्टान दिखाई देगी जैसे कई हजारो वर्षो पूर्व ऋषि मुनि लिखा करते थे किसी किताब

को इस चट्टान का भी ठीक वैसा ही देखने को मिलेगा माणा में आकर आपको एक सकारात्मकता ऊर्जा महसूस होगी माणा की सबसे प्रशिद्ध नदी सरस्वती नदी जो नदी बताया जाता है यह नदी सीधा पाताल में जाती है और पाण्डव भीस्वर्ग की यहीं से गए थे जिस कारण यह स्थल बहुत खास माना जाता है आपको यहाँ पर मंदिर भी देखने को मिलेगा सरस्वती माता का मंदिर के ठीक सामने ऊँच ग्लेसियर आती हुई सरस्वती नदी दिखाई देती है तेज बहाव के कारण इसकी ठंडी शीतलहर आपके चेहरे को छूती हुई जाती है और यह नदी आपको मंत्रमुग्द कर देगी और यहाँ से कुछ ही दुरी पर चल कर भारत की पहली चाय की दुकान भी देखने को मिल जाएगी जो भी यात्री माना आता है वह चाय की चुस्की लेने जरूर आता है उसके साथ ही आपको सामने दिखाई देंगे प्रकृति के विहंगम नज़ारे इस

प्रथम गाँव को देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नतृत्व में बनाया गया है और आगे रास्ते की और आपको वसुंधरा झरना देखने को मिलेगा जब चारधाम ले कपाट खुलते है तभी यहाँ अधिकतर लोग आते है क्योंकि 6 महीने यह जगह बंद रहती है नवंबर में सभी यहाँ से निचे चले जाते है यहाँ आने के लिए पहले आपको ऋषिकेश या हरिद्वार पहुंचना पड़ेगा यहाँ से आपको आगे के लिए टैक्सी कार अन्य वाहन उपलब्ध हो जायेंगे ऋषिकेश से मात्र माणा की दुरी 294 किलोमीटर है बस के माध्यम से इस जगह पर आ सकते है यहाँ अगर किसी भी यात्री को चलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जो उसके लिए यहाँ बखूबी इंतजान किया गया है यहाँ के जितने भी घूमने वाले स्थल है यह पालकी में बिठा कर उनको ब्रह्मण कराते और इसका शुल्क अलग से देना पड़ता है

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