ज्योतिर्मठ (जोशीमठ),उत्तराखण्ड राज्ये के चमोली जिले में स्थित है ज्योतिर्मठ हिंदू पौराणिक कथाओं से निहित एक पवित्र शहर है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह उन चार मठों (चार मठों के नाम उत्तराखण्ड -ज्योतिर्मठ (जोशीमठ ),ओडिशा -पूरी ,गुजरात -द्वारका ,कर्नाटक -श्रृंगेरी कांची) में से एक है जो 8 वीं शताब्दी में गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए थे, इसलिए इसे ज्योतिर्मठ या शंकराचार्य के मठ के रूप में भी जाना जाता है। जोशीमठ में उल्लेखनीय आकर्षणों में से एक कल्पवृक्ष वृक्ष है, जो लगभग 1200 वर्ष पुराना माना जाता है, जो शहर के धार्मिक आकर्षण को बढ़ाता है। यह शहर आध्यात्मिक महत्व से परिपूर्ण है, यहां भगवान विष्णु के अवतार को समर्पित नरसिंह मंदिर में हर साल भगवान विष्णु यानि श्री बद्रीनाथ धाम से विष्णु भगवान की मूर्ति को 6 महीने के लिए इस मंदिर में लाया जाता है और श्रद्धालु दूर दूर से उस दौरान विष्णु भगवान के दर्शन करने आते है जोशीमठ से मात्र बद्रीनाथ धाम 90 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है और इसके साथ-साथ गणेश मंदिर, नौ देवी मंदिर, गौरीशंकर और हनुमान मंदिर जैसे कई मंदिर हैं, इस वजह से जोशीमठ में बड़ी संख्या में लोग आते हैं।अपने आध्यात्मिक महत्व के अलावा, जोशीमठ ट्रेकर्स और साहसिक प्रेमियों को भी आकर्षित करता है।
गोविंद घाट जो की जोशीमठ से 26 किमी दूर है, जो की प्रसिद्ध ट्रेक वैली ऑफ फ्लावर का शुरुआती बिंदु है। जोशीमठ में आपको ऊँचे ऊँचे बर्फीले पर्वत भी देखने को मिलेंगे जो की पर्यटको को अपनी तरफ आकर्षित करते है।और यहाँ पर आपको आकर एक अनोखी महक महसूस होगी जो आपके मन को बहुत शांति देती है क्यूंकि यहाँ हर एक जगह देवी देवताओं का आभास और लोगो की आस्था देखने को मिलेगी देखा जाए तो जोशीमठ की धार्मिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और साहसिक अवसरों का मिश्रण इसे उत्तराखण्ड में एक महत्वपूर्ण गंतव्य बनाता है, जो दूर-दूर से पर्यटकों को अपने विहंगम नज़ारो से आकर्षित करता है और यहाँ पर विश्राम करके अलग-अलग जगह पर घूमने भी जा सकते हो जैसे की भूलो की घाटी यहाँ से तक़रीबन17 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है समुद्र तल से लगभग इसकी ऊंचाई 6200 फिट (1890 मीटर ) है वैसे तो अधिकतर यहाँ पर यात्री चारधाम के कपाट खुलने पर ही आते है लेकिन आप घूमने हेतु जोशीमठ तक आ सकते हो कभी भी जुलाई और अगस्त के दौरान थोड़ा सावधानी बरतनी पड़ सकती है क्यूंकि मानसून के दौरान सड़के, पहाड़ो से पत्थर गिरना का खतरा भी रहता है सावधानी से आये अगर आप मानसून के दौरान यहाँ पर आते हो तो आपको बदलो के साथ साथ ठंडी ठंडी सीत लेहेर ( वहा का अनुभव देखने को मिलेगा जो खूबसूरती आपको साल के 10 महीने में नहीं देखने को नहीं मिलती है वह खूबसूरती इन दो महीनो (जुलाई और अगस्त ) में देखने को मिलेगी काफी श्रद्धालु आपको इन दिनों भी लुफ्त उठाते आपको यहाँ पर देखने को मिलेंगे यहाँ पर आने ले लिए आपको ऋषिकेश या हरिद्वार ,देहरादून जगहों के रेलवे स्टेशन पर आना पड़ता है ऋषिकेश से 250 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है ज्योर्तिमठ इन जगहों से आप कैब करके भी आ सकते है