हेमकुंड साहिब
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जानकारी
सिक्खो के दसवे गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित, श्री हेमकुंड साहिब जी उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित है। इस गुरूद्वारे की मान्यता सिख धर्म के लोगो में काफी मानी जाती है, जिसके चलते देश और विदेश से हर साल लाखो की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने आते है। चार हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पवित्र स्थल, हेमकुंड झील की किनारे पर स्थित है, जो की हिमगंगा की उद्गमी स्थल भी है।
संस्कृत के दो शब्द हेम (जिसका अर्थ है बर्फ) और कुंड (जिसका अर्थ है कटोरा) से बना है हेमकुंड। हिमालय की गोद में बसा यह गुरुद्वारा बेहद ही आकर्षक और मनमोहित कर देने वाले दृश्य उत्पन्न करता है। वही यहाँ का शांत और गुरबानी मय वातावरण हर किसी को मोहित कर देता है। करीब 15,000 हजार की ऊंचाई पर स्थित इस गुरूद्वारे में श्रद्धालु सड़क तथा हवाई मार्ग से जा सकते है।
भक्तो के लिए गुरूद्वारे के द्वार वर्ष में केवल छह माह अप्रैल से अक्टूबर तक खोले जाते है। यहाँ होने वाली भारी बर्फ़बारी अक्सर यात्रा में बाधा का मुख्य कारण बानी रहती है। यात्रा शुरू होने से पहले अवरुद्ध हुए मार्ग को श्रद्धालु एवं सरकार की सहायता से यात्रा के लिए खोला जाता है। श्रद्धालु द्वारा दी जाने वाली इस सेवा को सिख धर्म में कार सेवा कहा जाता है, जिसका अर्थ है निःस्वार्थ सेवा। गुरूद्वारे में यात्री सड़क एवं हवाई मार्ग से आ सकते है। हालाँकि सड़क मार्ग से केवल गोविंदघाट तक ही आया जा सकता है, जिसके आगे का करीब 9 किमी का सफर पैदल चलकर पूरा करना होता है।
गोविंदघाट को अमूमन यात्रियों द्वारा विश्राम शिविर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जहाँ उचित मात्रा में रहने की व्यवस्था उपलब्ध है। पैदल यात्रा में असमर्थ यात्रियों के लिए खच्चर की सुविधा गोविंदघाट में पर्यापत मात्रा में उपलब्ध है। गुरुद्वारा के निकट समिति द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विश्राम हेतु प्रयाप्त मात्रा में सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।
अन्य गुरूद्वारे के विपरीत हेमकुंड साहिब जी में श्रद्धालुओं को रात्री विश्राम की अनुमति नहीं दी जाती, जिसके चलते सभी श्रद्धालुओं को अपनी यात्रा दिन के समय में ही पूरी करनी होती है और श्याम ढलने से पहले अपने विश्राम शिविर में वापस पहुंचना होता है। इतनी ऊंचाई के चलते यात्रियों को यात्रा में कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिनमे से यात्रा खत्म होने के पश्चात पहाड़ सम्बंधित बीमारी प्रमुख है (जिसे एक्यूट माउंटेन सिकनेस कहा जाता है)। हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है की यात्रा से लौटे करीब एक तिहाई श्रद्धालु इस बीमारी से ग्रसित है।
गुरूद्वारे के निकट हेमकुंड झील प्रमुख है, जिसमे स्नान करके ही श्रद्धालु गुरूद्वारे में मत्था टेकने जाते है। कहा जाता है की श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस झील के किनारे ही गहनता से ध्यान किया था, जिसका वर्णन सिक्खो के दसम ग्रन्थ में भी किया गया है। इतना ही नहीं इस झील के निकट स्थित प्राचीन मंदिर भी काफी हिन्दुओ श्रद्धालुओं को इस स्थान की ओर आकर्षित करता है। भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को समर्पित यह मंदिर लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।
कहते है युद्ध में घायल लक्ष्मण की सेहत में जब सुधर नहीं हुआ तो अपनी सेहत में सुधार हेतु इस स्थान पर उन्होंने कठोर तप किया था। वही कुछ का कहना है की शेषनाग ने इस स्थान पर तप किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें द्वापर युग में राजा दशरथ के यहाँ लक्ष्मण के रूप में जन्म लिया। इस मंदिर के कपाट भक्तो के लिए हेमकुंड साहिब के साथ ही खोले जाते है।
यहां कैसे पहुंचे
सिक्खो का पवित्र स्थल कहे जाने वाले हेमकुंड साहिब जी उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित है। इस पवित्र स्थल की दूरी देहरादून से लगभग 310 किमी की है, जिसे श्रद्धालु सड़क मार्ग से पूरा कर सकते है। यात्रा के लिए बस, कार, तथा टैक्सी की सुविधा देहरादून के बस और टैक्सी स्टैंड में उपलब्ध है। यात्रियों को बस, कार की सेवा केवल गोविंदघाट तक ही प्राप्त होगी, उससे आगे का सफर यात्रियों को पैदल चलकर पूरा करना है। गोविंदघाट से घांघरिया तक का 14 किमी सफर फिर उसके पश्चात 5 किमी का सफर हेमकुंड साहिब तक तय करना होगा इस स्थान के निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार में लगभग 297 किमी और हवाई अड्डा देहरादून में लगभग 290 किमी की दूरी पर स्थित है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
सर्दियों में अत्यधिक बर्फ़बारी के चलते, हेमकुंड साहिब जी के द्वार साल में लगभग छह महीनो के लिए ही खुले रहते है। मई माह से शुरू होने वाली यह पवित्र यात्रा अक्टूबर या नवंबर माह तक चलती है। छह माह तक खुले रहने वाले इस धार्मिक स्थल में आने का सबसे उपयुक्त समय मई से जून और सितम्बर से अक्टूबर का माना जाता है। हालाँकि यात्रा के समय श्रद्धालु का आना जाना लगा रहता है लेकिन अन्य दिवस उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है विशेषकर बरसात के दौरान। इसलिए यात्रियों को यह सलाह दी जाती है की बरसात के समय इस स्थान पार ना आने के सलाह दी जाती है।
समुद्र तल से ऊँचाई
समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 4,329 मीटर (14,202 फ़ीट) है।