Skip to main content

गंगोत्री

0 Reviews

जानकारी

माँ गंगा को समर्पित गंगोत्री धाम उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। माँ गंगा की उद्गमी स्थल होने के चलते यह मंदिर माँ गंगा को समर्पित है। माँ गंगा की उद्गमी स्थल कहे जाने वाले गौमुख गंगोत्री मंदिर से 18 किमी की दूरी पर स्थित है, जहाँ से भागीरथी नदी बहती है। छोटा चार धाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ) में से इस धाम की महत्वता श्रद्धालु में अधिक है।

चार धाम की यात्रा का दूसरा पड़ाव है गंगोत्री धाम, जहाँ काफी संख्या में श्रद्धालु हर साल पधारते है। हिमालय के बर्फीले पर्वत, घने जंगल, ग्लेशियर से घिरा गंगोत्री धाम सबसे ऊंचाई पर स्थित धाम है, जो की समुद्र तल से करीब 3415 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चार धाम की यात्रा पर निकले श्रद्धालु यहाँ भागीरथी नदी से जल भरकर केदारनाथ में भोलेनाथ को अर्पित करते है, और केदारनाथ से भस्मा लेकर मोक्ष के द्वार कहे जाने वाले अंतिम धाम बद्रीनाथ में अर्पित करते है। बद्रीनाथ से श्रद्धालु तुलसी की माला ग्रहण करके मोक्ष की कामना करते है।

चारो तरफ बर्फीले पहाड़ो से घिरा गंगोत्री धाम का मंदिर अत्यंत ही मनमोहक लगता है, जिसकी ऊंचाई करीब 20 फ़ीट है। सफ़ेद ग्रेनाइट से निर्मित इस मंदिर की खूबसूरती को देखकर हर कोई कायल हो जाता है। आँखों को लुभाने वाली मंदिर की खूबसूरती और मन को मोह लेने वाला यहाँ का वातावरण श्रद्धालु के साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। मंदिर की दिव्यता और पवित्रता अतुलनीय है, शायद इसी वजह से लाखो की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन करने हेतु पधारते है।

पौराणिक कथा अनुसार राजा भागीरथी के पूर्वजो के पापो को धोने हेतु माँ गंगा भगवान शिव की जटाओ से निकलकर धरती में अवतरित हुई थी, तभी माँ गंगा को पापो को धोने वाली पावन नदी के रूप में सम्बोधित किया जाता है। तब से लेकर आज तक माँ गंगा को मानव जाती की पवित्रता का स्रोत माना जाता रहा है। ऐसा कहा जाता है की मंदिर के निकट ही वह पत्थर है जहाँ पर राजा भगीरथ ने कठोर तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था। मंदिर की महत्ता पांडव काल से भी जुडी बताई जाती है। पौराणिक कथा अनुसार, महाभारत के युद्ध के पश्चात सभी पांडव युद्ध में मारे गए परिवार जानो की मृत्यु के पाप के प्रायश्चित हेतु इस स्थान पर देव यजना करने के लिए आये थे।

कहते है की भागीरथी नदी में पितृ संस्कार करने से पूर्वजो की आत्मा पुनः जन्म के चक्र से मुक्त हो जाती है। इस नदी में डुबकी मात्र से ही भूतकाल से वर्तमान तक के सभी पाप नष्ट हो जाते है। गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृत्य के शुभ दिवस पर पूरे हर्षोलास के साथ खोले जाते है और दीपावली के दिन इसइ भक्तो के लिए बंद कर दिया जाता है। कपाट बंद करने के बाद माता की छवि को हर्षिल के मुखबा गांव ले जाया जाता है म,जहाँ पोरे विधि विधान के साथ माँ की पूजा की जाती है। मंदिर में पूजा पाठ की जिम्मेदारी मुखबा गांव के ही सेमवाल पंडितो को सौंपी गई है।

गंगोत्री धाम के अतिरिक्त यहाँ के अन्य स्थान भी काफी विख्यात है; जिनमे गौरी कुंड, सूर्य कुंड, केदारताल, तपोवन, भैरव घाटी, पांडव गुफा, गौमुख, और मंदिर के निकट पानी में डूबे शिवलिंग शामिल है। करीब 1200 वर्ष का इतिहास संजोए इस मंदिर का निर्माण नेपाल के जनरल अमर सिंह थापा द्वारा किया गया था, इसके बाद मंदिर का पुनः निर्माण 19 वी सदी में किया गया था। देहरादून से 237 किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर में यात्री सड़क मार्ग से आ सकते है। मंदिर की निकट ही श्रद्धुलो के रहने एवं ठहरने की सुविधा प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध है।

यहां कैसे पहुंचे

राजधानी देहरादून से 237 किमी की दूरी पर स्थित गंगोत्री धाम में आप सड़क मार्ग का उपयोग करके जा सकते है। इसके लिए देहरादून आईएसबीटी, ऋषिकेश एवं हरिद्वार बस अड्डे से बस तथा टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। रेल मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून में 237 किमी दूर स्थित है, श्रद्धालु यहाँ से आगे की यात्रा बस व टैक्सी की सेवा लेकर कर सकते है। वही धाम जाने वालो के लिए निकटतम हवाई अड्डा भी देहरादून के जॉलीग्रांट में स्थित है, जिसकी दूरी 266 किमी है, इसके आगे का गंतव्य आप सड़क मार्ग से पूरा कर सकते है। इसके अलावा यात्री गंगोत्री धाम हेलीकाप्टर की सेवा लेकर भी जा सकते है जिसकी सुविधा देहरादून के सहत्रधारा हेलीपेड से उपलब्ध है, हालाँकि इस सुविधा के लिए आपको पूर्व में पंजीकरण करवाना आवश्यक है। यह हेली सेवा आपको खरसाली तक उपलब्ध होगी, खरसाली से मंदिर की दूरी 25 किमी की है जिसे आप टैक्सी के माध्यम से पूरा कर सकते है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

गंगोत्री धाम में श्रद्धालु कपाट खुलने के समय जा सकते है, जो की तिथि अनुसार मई माह से अक्टूबर वा नवंबर के माह तक खुले रहते है। इन छह माह के दौरान आप धाम में कभी भी जा सकते है लेकिन सबसे उपयुक्त समय मई से जून तथा सितम्बर से अक्टूबर का मन जाता है। अत्यधिक बारिश से बरसात का समय यात्रा के लिए अनुकूल नहीं रहता।

समुद्र तल से ऊँचाई

समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 3,415 मीटर (1,120 फ़ीट) है।

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

निकट के घूमने के स्थान

KM

जानिए यात्रियों का अनुभव