उधम सिंह नगर शहर अपने धार्मिक स्थल और प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात है। यहाँ आपको कई प्राचीन मंदिर देखने को मिल जाएंगे, जिनमे काशीपुर स्थित मोटेश्वर महादेव का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर महाभारत के समय का बताया जाता है, जिसका शिवलिंग 12 उप ज्योतिर्लिंग में माना जाता है। मंदिर स्थित शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के चलते यह मंदिर मोटेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है। पौराणिक मान्यता के आधार पर बताया जाता है महाभारत के समय यह प्रदेश हिडम्ब के नाम से जाना जाता था उस समय पांचो पाण्डव को शिक्षा दीक्षा देने के लिए गुरु द्रोणाचार्य आते थे उस दौरान पाण्डव यहाँ कुछ दिनों लिए आये हुए थे पाण्डव के समीप एक नदी थी वह उसमे स्नान करते थे तब भीम सेन को पानी में दिखी यह शिवलिंग इस शिवलिंग को गुरु द्रोणाचार्य के कहने पर निकाला और मंदिर की स्थापना की यह शिवलिंग दोनों हातो में भी नहीं आती है यहाँ के लोगो की यह भी
मान्यता है ज्योतिर्लिंग की चौड़ाई और हाइट आज भी धीरे धीरे बढ़ रही है यह ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर का रूप भी बताया जाता है भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्थित हैजो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है ,चैती देवी मंदिर यह मंदिर 51शक्ति पीठो में से एक है यहाँ पर माता सती की बाईं भुजा गिरी थी जिस कारण इस मंदिर में श्रद्धालु दूर दूर से आते है पूजा अर्चना व दर्शन करने आते है ,गिरी सरोवर यह मंदिर काशीपुर से 1.3 की मी की दुरी पर स्थित है इस मंदिर में आपको सभी देवी देवताओ की मूर्तिया देखने को मिलेगी और इसके बाहर आपको गिरी सरोवर दखने को मिलेगा पौराणिक कथाओ के आधार पर इस सरोवर में ऋषि मुनियो का यहाँ एक स्नान स्थल था जो आज भी आपको यहाँ देखने को मिलेगा ,पूर्णगिरी मंदिर यह मंदिर टनक पुर से मात्र 20 की मि तक आना पड़ता है यहाँ पर भेरो मंदिर तक आने पश्चात भैरो मंदिर से 5 की मी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है रास्ता आपको चढ़ाई वाला भी मिलेगा और सीढ़ीदार भी पूरा मार्ग आपको दुकानों से भरा दिखाई देगा जो प्राकृति और इन दुकानों की खूबसूरती और भी बढ़ा देता है यह मंदिर भी शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है
सरयू नदी के पास स्थित सिक्खों का धार्मिक स्थल नानकमता एक तीर्थ स्थान के रूप में प्रचलित है। नानकमता के पास सरयू नदी पर बना डैम इस गुरूद्वारे की खूबसूरती को अत्यधिक बढ़ा देता है। उधम सिंह नगर में करि राज्य के लोगो का घर है जिससे इस क्षेत्र में एकता में अनेकता की छवि दिखाई पड़ती है। औद्योगिक और कृषि क्षेत्र के लिए विख्यात यहा शहर सन 1995 में नैनीताल से अलग हुआ था। कृषि में उम्दा पैदावार के चलते उधम सिंह नगर को उत्तराखंड का फ़ूड बाउल" और "चावल की नगरी" जैसे नामो से जाना जाता है। उधम सिंह नगर शहर समुद्र की ऊंचाई से लगभग 550 मीटर तक की ऊंचाई पर स्थित है यहाँ की जितनी भी जगह घूमने की है वह साल भर खुली रहती है आप यहाँ घूमने कभी भी आ सकते हो घूमने के लिए देखा जाये जो सबसे अच्छा समय है अक्टूबर नवंबर और फरवरी से जून तक उधम सिंह नगर में पहुँचने के लिए आपको यहाँ के बस स्टैंड,रेलवे स्टेशन खटीमा रुद्रपुर ,हवाई जहाज पंतनगर जिस जगह से आ रहे हो यहाँ की इन जगहों पर पहुँच कर आपको यहाँ से घूमने के लिए टैक्सी,कार अन्य वाहन की सुविधा मिल जाएगी