उत्तराखंड राज्य सरकार और वन विभाग की अनुसंधान शाखा की पहल से राज्य की पहली "बर्ड गैलरी" का उदघाटन किया गया। यह बोर्ड गैलरी देहरादून शहर से लगभग 27 किमी दूर जॉली ग्रांट के कोठरी मोहल्ला गांव में स्थित है। यह पक्षी गैलरी यहाँ के नेचर एजुकेशन सेंटर में खोली गई है, जिसमे आपको बायोडायवर्सिटी गैलरी, इंटरप्रिटेशन सेंटर, इन्सेक्टीवोरोस गार्डन, ऑर्किडेरियम, प्लांट नर्सरी, कैक्टस गार्डन आदि देखने को मिलेंगे।
इस गैलरी में में 5 विभिन्न प्रजाति की पक्षियों के घोसले और 11 पक्षियों के पंख एक कांच के डिस्प्ले बॉक्स में रखे गए है। प्रत्येक डिस्प्ले फ्रेम में पक्षी के घोसले तथा पंख के बारे में बताया गया है। यहाँ स्थित इंटरप्रिटेशन सेंटर में आपको कई तरह की वनस्पति और उनके औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त होगी। इसके साथ ही उत्तराखंड की अलग क्षेत्रों की मिट्टी और उनकी विशेषता के बारे में भी बताया गया है। साथ ही सौ साल पहले गांव की शैली किस प्रकार की होती थी एक प्रोजेक्ट के रूप में लोगो के समक्ष अच्छे से दर्शाया गया है। बायोडायवर्सिटी गैलरी में आपको फूलो और कुछ जानवरो के साथ जंगली फलो की अनेक प्रकार की प्रजाति प्रदर्शित की गई। इनमे भारत की सबसे महंगी मशरूम जिसको गुच्ची जिसको पुकची या छयू भी कहा जाता है। अधिकतर कुमाऊं मंडल में पाई जाने वाली यह प्रजाति को बेडू या बहुत से लोग करूंदा भी कहते है। अगर इस पौधे के पत्ते, टहनी या फल को तोड़ने पर आपको उसके अंदर से दूध की तरह पानी निकलता हुआ दिखाई देगा, यह पौधा भी आपको अधिकतर कुमाऊँ मंडल में देखने को मिलेगा।
इस गैलरी में में आपको 5 विभिन्न प्रकार के चिडयों के घोसले रखे हुए है एवं 11 अलग-अलग पक्षियों के पंख को भी डिस्प्ले हेतु रखा गया है। डिस्प्ले फ्रेम में जिस पक्षी का घोसला तथा जिस पक्षी के पंख है उनके बारे में भी बताया गया है। यहाँ स्थित इंटरप्रिटेशन सेंटर में आपको कई तरह की वनस्पति और उनके औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड की अलग क्षेत्रों के स्थानों की मिट्टी और उनकी विशेषता के बारे में बताया गया है। इसमें पहले के समय गांव के शैली सौ साल पहले कैसे होती थी उसको एक प्रोजेक्ट के रूप में दर्शाकर भी दिखाया गया है। बायोडायवर्सिटी गैलरी में आपको फूलो और कुछ जानवरो के साथ जंगली फलो की अनेक प्रकार की प्रजाति देखने को मिलेगी। इनमे भारत की सबसे महंगी मशरूम जिसको गुच्ची, पुकची या छयू भी कहा जाता है। अधिकतर कुमाऊं मंडल में पाई जाने वाली यह प्रजाति को बेडू या बहुत से लोग करूंदा भी कहते है। अगर इस पौधे के पत्ते, टहनी या फल को तोड़ने पर आपको उसके अंदर से दूध की तरह पानी निकलता हुआ दिखाई देगा, यह पौधा भी आपको अधिकतर कुमाऊँ मंडल में देखने को मिलेगा।
इस गैलरी का उद्घाटन राज्य के लोगो विशेषकर बच्चो को ध्यान में रखे बनाई गई है, जहाँ एक ही छत के निचे उन्हें कई तरह की प्रजातियो के बारे में जानने और समझने को मिलेगा। इस एजुकेशन सेंटर के प्रांगढ़ में आपको त्रिफला वाटिका, पंच वाटिक और दशमूल वाटिका देखने को मिलेगी जिनमे अनेको प्रकार की पौधों की प्रजाति रखी गई है। प्रदर्शित वाटिकाओं में त्रिफला वाटिका बेहद ख़ास है, जिसमे आपको मखाने का पौधा ,कमल का पौधा, और वाटरलिली जैसी पौधों को देख सकते है। वही इसके परिसर में 3 नर्सरी भी है, जिसमे आपको एक नर्सरी के अंदर आपको आनाज के पौधों में लगने वाले कीड़ो को खाने वाला पौधा दिखाई देगा, जिसको पिचर (किट पक्षी पौधा) भी कहते है जो अमूमन किसानो के लिए काफी फायदेमंद होता है।
सोमवार से शनिवार तक खुले रहने वाले इस नेचर एजुकेशन सेंटर में आप सुबह 10 बजे से श्याम के 5 बजे तक कभी भी आ सकते है। प्रवेश हेतु आपको प्रति व्यक्ति 15 रूपए का टिकट खरीदना अनिवार्य है। परिसर में लगे मैप की सहायता से आप इस सेंटर में आसानी से घूम सकते है।