बौद्ध मंदिर
जानकारी
बुद्धा टेम्पल जिसे मिन्ड्रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है मिन्ड्रोलिंग का अर्थ है “ शांति पूर्ण मुक्ति वाला स्थल, भारत के उत्तराखण्ड राज्य देहरादून शहर के क्लेमेंट टाउन क्षेत्र मे स्थित है। इस स्थान पर देश -विदेश से पर्यटक आते है और जिसका निर्माण साल 1965 मे हुआ था। यहाँ आपको भगवान बुद्ध की प्रतिमा देखने को मिलेगी जिसकी ऊंचाई 103 फ़ीट है। इस बुद्ध मंदिर के स्तूप की ऊंचाई 220 फ़ीट है जो की पूरे विश्व मे सबसे ऊँचा है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला, सजावट, तथा अपने विहंगम दृश्य के लिए जाना जाता है। इस मंदिर मे कुल 5 मंजिल है, जिसमे से तीसरी मंजिल बहुत ख़ास है, इस मंजिल से आपको पूरे देहरादून के 360 डिग्री का मनोरम दृश्य देखने को मिलेगा। यह मंदिर, बौद्ध धरम गुरु दलाई लामा को समर्पित जिसमे आपको शांत वातावरण और सुन्दर बगीचे देखने को मिल जाएँगे। इतना ही नहीं, परिसर मे आपको कलाकृति, परम्परागत कपड़ो की और खाने की दुकाने मिल जाएँगी जहाँ आप परम्परागत व्यंजन का लुत्फ़ ले सकते है। यह मंदिर बौद्धों के लिए तीर्थयात्रा और
आध्यात्मिक अभ्यास का स्थान है, जो पर्यटकों और बौद्ध धर्म के शौकीन शिक्षार्थियों को आकर्षित करता है। यदि आप अपने दिमाग को शांत तथा तनावपूर्ण माहौल से निकलकर कुछ समय एकांत मे बिताना चाहते है, तो यह स्थल आपके लिए एक आदर्श स्थल हो सकता है।इस मंदिर की शांति ही आपके मन को मोह लेगी बौद्ध धर्म के लोग कभी भी आपको किसी से वार्तालाब होते हुए नहीं दिखाई देंगे क्यूंकि बचपन से ही इनको शांत माहोल में ढाल दिया जाता है और बौद्ध गुरु के प्रति इनमे आपको इतनी गहरी आस्था देखने को मिलती है जब भी कहीं रास्ते या मठ में हो वहाँ भी बौद्ध के प्रति आस्था देखने को मिलेगी इस मंदिर परिसर में किसी भी उम्र तक के पर्यटक जा सकते है मंदिर परिसर में जाने के लिए आपको पर्किंग का शुक्ल देना अनिवार्य होता है
इतिहास
चीन हमले के दौरान तिबती के समुदायों को तिब्बत व् भारत के अन्य अन्य जगहों में बसना पड़ा उस समय लाशा शहर जो चाइना में स्थित है उस जगह पर एक तेजनिन ग्यात्सो नामक एक व्यक्ति रहता था जिसको आज पूरी दुनियाँ में तिब्बत व् अन्य समुदाय के लोग दलाई लामा नाम से जाना जाता है आज से ठीक सन 1959 में दलाई लामा भारत में पहुंचे थे जो चीन के लाशा से आये थे दलाई लामा भारत में सबसे पहले मसूरी आये थे अपने माता के साथ में विड़ला निवाश पर जब तक रहे जब तक कोई उनको कोई घर नहीं मिला और इस घर में लगभग दलाई लामा 1 साल तक रहे और उनकी उम्र उस दौरान लगभग 23 साल की थी और इनके साथ 70 से 80 के बिच शिष्य भी मौजूद थे और उनके शिष्य मसूरी के हैप्पी वाली में रहने लगे जब दलाई लामा को जगह मिल गई और यहाँ पर आपको बौद्ध का स्पूत मूर्ति देखने को मिलेगी जिसको सन 1969 में स्थापित किआ गया था और आज यह स्थल 5000 से ज्यादा बौद्ध धर्म शिस्यों का शरण स्थल बना है और बौद्ध धर्म के लोगो का प्रशिद्ध तीर्थ स्थल बन चूका है और फिर भारत सरकार समर्थन हेतु 1962 के तहत विद्यालय खोला जिसको सेंट्रल स्कूल फॉर तिब्बतन के नाम से है दलाई लामा ने अपनी यात्रा अन्य अन्य जगहों पर शुरू की देहरदून ,दिल्ली,हिमाचल आदि और यह यात्रा एक मर्सेडीस कार से की जो आज भी आपको कोल्हन हिमाचल के बिसालपुर में देखने को मिल जाएगी और क्लैमनतो टाउन देहरदून से मात्र 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है जिसका निर्माण 1965 में किया था जिसमे आज 450 से ज्यादा सन्यासी रहते है और यहाँ पर रहने वाले इन सभी
सन्यासियों का रहने से लेकर खाना,शिक्षा,दवा वस्त्र तक सभी प्रकार की वस्तुएँ मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है और यह सन्यासी विभिन्न जगहों से आये हुए है नेपाल ,भूटान और भारत अलग अलग जगहों से आये जैसे हिमाचल के किन्नौर ,सिक्किम लददाख, अरुणाचल जैसे जगहों से आये है और यहाँ समुदाय के लोगो की कार्येक्रम गतिविधियों या कहे तो अपनी सभ्यता ,रहन,सहन कल्चर की परम्परा को बढ़ाते हुए माइंडरोलिंग की प्राथ्रना करने के लिए रखा गया था जिसमे इनका संगीत,मंत्र,नृत्य,और यहाँ की अलग अलग मधुर धुनें जो आपके मन को एक दम शांत देगी बौद्ध मंदिर को तिब्बत धर्म में स्थित चार विद्यालयों को एक के रूप में बनाया गया है जिसको मंदिर में स्थित निगमा के नाम से जाना जाता है और इसके आलावा तीन विद्यालय जो राजपुर मार्ग पर स्थित साक्या कोलज ,क्लेमेंट टाउन में तीनो विद्यालय मौजूद है निगमा , गेलुग और सोंग्सटेन, लाइब्रेरी में काग्युर बौद्ध धर्म के लोगो कल्चर अलग ही देखने को मिलता है और इनका स्वाभव आपको शांत ही देखने को मिलेगा आप बौद्ध के कोई से भी मंदिर में जावोगे आपको एक अलग ही ऊर्जा से अभियक्त होंगे जो आपको किसी कार्य करने की क्षमता को और बढ़ा देता है
इस स्थल में आप कभी आ सकते हो नजदीकी देहरादून रेलवे स्टेशन से मात्र 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है रेलवे स्टेशन से आपको यहाँ आने के ऑटो कैब आदि सुविधा आपको मिल जाएगी और जॉलीग्रांट एयर पोर्ट से लगभग 33 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है
यहाँ पर कैसे जाएँ
यह स्थान देहरादून शहर के बस स्टैंड से 4.5 किमी की दूरी पर स्थित है, जहाँ आप आसानी से लोकल परिवहन सेवा या फिर ऑनलाइन माध्यम से टैक्सी बुक करके पहुँच सकते है। यह स्थान सुबह 9 बजे से श्याम के 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम
वैसे तो अमूमन यह स्थान पर्यटकों के लिए हर दिन खुला रहता है, परन्तु इस स्थान की सुंदरता को गहराई से जानने और देखने के लिए श्याम का समय काफी अनुकूल माना जाता है।
समुद्र तल से ऊँचाई
समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 450 मीटर (1,480 फ़ीट) है।