पाण्डव गुफापाण्डव गुफा लाखामंडल यह भारत के उत्तराखंड राज्य के देहरादून शहर से लगभग 120 किलोमीटर दुरी पर स्थित है यह बहुत प्राचीन मंदिर व पाण्डव काल के समय का बताया जाता है यहाँ आपको पाण्डव गुफा भी देखने को मिलेगी जिसके गुप्तेश्वर के नाम से जाना जाता है यह गुफा मंदिर से पहले पड़ती है 1. 5 किलोमीटर जिसको भगवान शिव के पुत्र कार्तिके की जन्म स्थली भी बताई जाती है
और यह गुफा सीधा मंदिर में निकलती है जिसको वर्तमान समय में आप लोगो व् श्रद्धालुओं के लिए भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा बंद किया गया है आज भी इस मंदिर में आपको बहुत चमत्कार देखने को मिलेंगे यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है आज भी लाखामंडल यानि इस पवित्र स्थल पर शिवलिंग निकलती रहती है किउंकि यहाँ सवासौ लाख शिवलिंग जमीन के अंदर दबी पडी है हज़ारो शिवलिंग इस मंदिर के पास से निकल चुकी है आज दिन भी यहाँ खुदाई होती है तो शिवलिंग निकलना बहुत आम बात है हाल ही 2021 की खुदाई में एक ऐसी शिवलिंग निकली है जिसमे आप खुद को देख सकते हो बहुत अद्भुद शिवलिंग है बतया जाता है इस शिवलिंग के निकलने से पहले एक दिन अघोरी को स्वपन आया था जहाँ वह रोजाना सोता था इस जमीन के अंदर शिवलिंग है फिर उस अघोरी ने वहाँ के पर्शाशन से बोला फिर खुदाई के दौरान लगभग 5 फिट निचे से निकाली यह शिवलिंग वैसे तो 2007 की खुदाई दौरान आपको यहाँ बहुत सारी अलग अलग तरह की शिवलिंगे दिखाई देंगी
जिनको पाण्डव काल के समय की बताई जाती है बतया जाता है भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांच पाण्डव ने शिवलिंगो का निर्माण किया था और इन शिवलिंगो का आपको डिजाइन अलग ही देखने को मिलता है मंदिर के प्रागण में दिखाई देंगे दो नन्दी महाराज ,और कुछ बड़ी बड़ी शिवलिंगे और साथ में यहाँ पर होने वाले कार्येक्रम निर्त्य के लिए आपको मंदिर के प्रागण में बनी एक लकड़ी की सूंदर कुटिया जिसके अन्दर रखे कुछ वाध यंत्र ढोलक,तपली आदि देखने को मिलती है
इस मंदिर के समीप आपको एक बड़ी शिवलिंग और चार छोटी छोटी शिवलिंग दिखाई देगी जिनको पांच पाण्डव कहा जाता भाई धर्मराज युधिष्ठिर बिच में और चारो तरफ चार पाण्डव बैठे हुए है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है
की इस मंदिर का निर्माण -जमनापार में एक आदमी गाँय चराने जाता था उसकी रोजाना कुछ समय के लिए वहाँ से कही और चली जाती थी एक दिन उस आदमी ने गांय का पीछा किया तो देखा वह गांय शिवलिंग के ऊपर दूध निकल जाता था जब उस आदमी ने यह देखा तो उसने अपने गांव के लोगो को इस चीज के बारे में बताया तो अगले दिन यहाँ आये और मंदिर की साफ सफाई और फिर इधर के लोगो इस बारे बतया था उस दौरान यहाँ पर ठाकुर लोग रहते थे उनको पता चलने पर उन्होंने एक पंडित को इस मंदिर में लाया यहाँ पहले 24 गांव थे और आज भी है बताया जाता है 24 गांव में से जिसकी भी मुर्त्यु होती थी उसको मंदिर के दयेन्ली तरफ दो द्वारपाल बने हुए है
जिसकी भी मुर्त्यु होने के पश्चात् इस द्वार पाल के बिच रखने पर अगर उसके कर्म अच्छे होते तो वो विषमु लोक में के लिए चले जाते थे और जिसके नहीं होते थे वह जिव लोक चले जाते थे और यहाँ के लोगो मान्यता थी की इंसान 2 मिनट तक जिन्दा हो जाता था बताया जाता है पंडित के गंगा जल की छींटे मारने पर यह आदमी जिन्दा हो जाता था और फिर उसको दूध भात खिलाया जाता था फिर वह बैकुण्ड धाम चला जाता था तथा उस समय की बात बताई जाती है उस दौरान एक जवान बालक की मुर्त्यु हो जाती है जब उस बालक को अंतिमसंस्कार से पहले मंदिर में पर लाया जाता था तो उस दिन उसके पीछे पीछे से उसकी माता देखे लेती है और उसको अपने गले से लगा कर रो पड़ती है अपने साथ चलने को बोलती है तो वह लड़का यह बोलता है की आज के बाद यहाँ पर किसी को नहीं लाया जायेगा तो उस दिन के बाद यह परम्परा ख़तम कर दी कई है यह भी बताया जाता है मंदिर का आधा हिस्सा जिव लोक(बांये तरफ का )और आधा हिस्सा विष्णु लोक या बैकुण्ड धाम (दयेन्ली तरफ का )यह यहाँ के लोगो की मान्यता बताई जाती है और यह एक ऐसा मंदिर है जहाँ पर मंदिर की कभी पूरी परिक्रमा नहीं होती है मंदिर आधे हिस्से से तक ही और आधे हिस्से से वापस आने पर हीआधी परिक्रमा कहलाती है समुद्र तल से मंदिर की ऊचाई लगभग 1350 मीटर (4429 फ़ीट ) और इस मंदिर में आप साल में कभी आ सकते हो नजदीकी देहरादून आई एस बीटी से मात्र 120 किलोमीटर दुरी पर स्थित है