केलॉग मेमोरियल चर्च

जानकारी
मसूरी के लंढौर में स्थित कैलॉग मेमोरियल चर्च वहाँ उपस्थित प्रसिद्ध चर्च में से एक है। इसका निर्माण वर्ष 1903 में प्रेस्बिटेरियन चर्च के रूप में किया गया था, जिसका नाम 'डॉ. सैमुअल एच केलॉग' के नाम पर रखा गया था। मसूरी की प्रतिष्ठित लाइब्रेरी चौक से पांच किमी की दूरी पर स्थित इस चर्च में सड़क मार्ग का उपयोग करके पहुंचा जा सकता है। 12वी शताब्दी की प्रतिष्ठित गोथिक शैली में निर्मित इस चर्च की बनावट ऐतिहासिक है, जिसकी स्टैनेड गिलास की खिड़कियाँ काफी आकर्षक लगती है। इस तरह की कार्य शैली आज के समय देखने को नहीं मिलती, जिस वजह इस चर्च को देखने काफी संख्या में लोग यहाँ आते है।
अन्य चर्च के मुकाबले इस चर्च में कदम रखते ही आपको एक अलग प्रकार की अनुभूति होगी, जो आपो उस सदी का एहसास करवाएगी जिस सदी में इसका निर्माण हुआ था। कैलॉग अपने समय के मशहूर विद्वान थे, जिसके चलते उन्होंने 19वी शताब्दी में हिंदी व्याकरण पर एक किताब लिखी। इस किताब के माध्यम से उन्होंने अंग्रेजो को हिंदी भाषा को सरलता से समझने और उसको सिखने में मदद करी। चर्च के निर्माण में की गई कारीगरी बेहद ही आकर्षक है, जिसके चलते इसे लंढौर के एक निशान चिन्ह के तौर पर पहचाने जाने लगा। लाल टीबा के रस्ते में स्थित इस चर्च में पर्यटक अक्सर इस ऐतिहासिक खूबसूरती को निहारने जरूर से पधारते है।
यहां कैसे पहुंचे
देहरादून से 33 किमी दूर केलॉग मेमोरियल चर्च कसमंडा पैलेस, लंढौर में स्थित है। इस चर्च में आप निजी टैक्सी या फिर दुपहिया वाहन बुक करके आ सकते है, जिसकी सेवा आपको देहरादून तथा मसूरी के टैक्सी स्टैंड से आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। इस चर्च के निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा देहरादून में स्थित है, जो क्रमशः 37 किमी और 60 किमी की दूरी पर स्थित है।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय
लोगो के लिए चर्च साल भर खुला रहता है, लेकिन यहाँ आने का सबसे उपयुक्त समय फरवरी से अप्रैल तथा अगस्त से दिसंबर का माना जाता है, विशेषकर क्रिसमस के दौरान। मानसून तथा बर्फ़बारी के दौरान आने वाले पर्यटकों को अपने स्तर पर कुछ सावधानी बरतनी होंगी, क्यूंकि मार्ग में उन्हें कई तरह की परेशानिया का सामना करना पड़ सकता है।
समुद्र तल से ऊँचाई
समुद्र तल से यह स्थान लगभग 2,377 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो की लगभग 7,800 फ़ीट के बराबर है।