पिथौरागढ़ कुमाऊं मंडल का तीसरा सबसे बड़ा जिला है, जो की उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से 486 किमी की दूरी पर स्थित है। हिमालय की पहाड़ियों से घिरा यह स्थान समुद्र तल से 1645 मीटर की उचाई पर स्थित है। यहाँ से दिखने वाली पंचाचूली की पहाड़ी (पांच पर्वतो का एक समूह) एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत करती है, जिसे देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। शहर की भागदौड़ से दूर, प्रकृति के साथ कुछ समय बिताने के लिए यह एक आदर्श स्थान है, जहाँ लाखो की संख्या में पर्यटक
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पिथौरागढ़ कुमाऊं मंडल का तीसरा सबसे बड़ा जिला है, जो की उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से 486 किमी की दूरी पर स्थित है। हिमालय की पहाड़ियों से घिरा यह स्थान समुद्र तल से 1645 मीटर की उचाई पर स्थित है। यहाँ से दिखने वाली पंचाचूली की पहाड़ी (पांच पर्वतो का एक समूह) एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत करती है, जिसे देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। शहर की भागदौड़ से दूर, प्रकृति के साथ कुछ समय बिताने के लिए यह एक आदर्श स्थान है, जहाँ लाखो की संख्या में पर्यटक हर साल घूमने आते है। धार्मिक स्थल के रूप में पिथौरागढ़ की विशेष मान्यता है, जहाँ कई प्राचीन मंदिर स्थित है जिनमे गंगोलीहाट का महाकाली मंदिर, मोस्टामानु, कामाख्या मंदिर, उल्का देवी मंदिर एवं अन्य प्रसिद्ध है। पिथौरागढ़ अपनी धार्मिक विशेस्ता संस्कृति, और कला के लिए तो मशहूर है ही उसके साथ ही यह एक हिल स्टेशन के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। जहाँ आपको लंदन फोर्ट, अस्कोट सैंक्चुअरी, मुनस्यारी एवं चोकोडी जैसे कई खूबसूरत नज़ारे पेश करने वाले स्थान मिल जाएंगे। पिथौरागढ़ की ख्याति पर्यटकों में इतनी है की इसे लोग मिनी कश्मीर कहकर बुलाते है। अगर बात करे यहाँ स्थित धार्मिक स्थल की तो उनमे पाताल भुनेश्वर यह मंदिर और गुफा उत्तराखण्ड में ही नहीं पुरे भारत में प्रशिद्ध जहाँ आपको गुफा के अंदर 33 कोटि देवी देवता की झलक देखने को मिलेंगी यह
पिथोरागढ़ शहर से मात्र 87 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह गुफा 90 फिट धरातल से निचे है और 160 मीटर लम्बी है यह गुफा भगवान शिव को समर्पित हैगुफा के अंदर आप लोहे की बनाई गई झांजीर से जा सकते है इस गुफा के अंदर आपको कई तरह की मूर्तियां देखने को मिलेगी जो पत्थर की बनाई गई है पौराणिक मान्यता के आधार पर बताया जाता है यह गुफा त्रेतायुग की बताई जाती है गुफा में आपको एक कुंड भी बनाया गया है ऐसा माना जाता है यह विश्वकर्मा जी ने बनाया था और यहाँ पर आपको आगे एक बालो के आकार की जटाये देखने को मिलेगी यह एक पत्थर में बनी हुई है यहाँके लोगो की मान्यता है की यह भगवान शिव की बताई जाती है और दूसरी अद्भुद मूर्ति आपको एक हलकी निकोलो आकार की शिवलिंग और यह शिवलिंग हजारो सालो में पढ़ती है ऐसा माना जाता है जब ये शिवलिंग ऊपर दीवार को छू लेगी तो कलयुग का अंत हो ऐसे आपको उत्तराखण्ड और हिमाचल में अनेको मंदिर देखने को मिल जायेंगे जो आज भी इतिहास के पन्नों ;से कोसो दूर है
और अन्य पर्यटन स्थल है जैसे आदि कैलाश, ॐ पर्वत,थल केदार, चंडक, नारायण आश्रम, नकुलेश्वर मंदिर प्रमुख है। धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता के साथ पिथौरागढ़ ट्रेकिंग के लिए भी मशहूर है। यहाँ स्थित मिलम ग्लेशियर, रालम ग्लेशियर और नामिक ग्लेशियर प्रमुख है, जहाँ काफी संख्या में लोग ट्रेक करने आते है। इन सबके विपरीत पिथौरागढ़ की एहमियत तब और अधिक बढ़ जाती है जब बात कैलाश मानसरोवर यात्रा की आती है,
जिसका आयोजन भारतीय सरकार द्वारा हर साल किया जाता है। पिथौरागढ़ से ही प्रसिद्ध कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर लेक की यात्रा भी होती है। मानसरोवर लेक की हिन्दू तथा बुद्ध धर्म में काफी मान्यता है जहाँ हर साल काफी संख्या में लोग आते है। पिथौरागढ़ अपनी संस्कृति और विरासत के लिए भी काफी प्रसिद्ध है, यहाँ की प्रसिद्ध ऐपन कला काफी प्रसिद्ध है, जिसको जीवंत रखने की पुरजोर कोशिश स्थानीय लोगो द्वारा की जा रही है। हरेला, छिपला जात, चैतोल, हिल्जात्रा वा अन्य पर्व काफी धूम धाम से मनाए जाते है। नंदाष्टमी को मनाए जाने वाले नंदादेवी के मेले का महत्व भी स्थानीय लोगो में अधिक है, जिसमे लोग दूर दूर से अपने पारम्परिक परिधान पहने कर हिस्सा लेने आते है। तिब्बत से जुड़ा भारत का यहाँ अंतिम जिला सुरक्षा लिहाज से भी एहम है, जिसके चलते यहाँ स्थित लिपुलेख, लम्पिया धुरा, बेलचों जैसे अन्य पास की भूमिका काफी एहम है।
इन जगहों पर आप कभी भी आ सकते है लेकिन मानसून के दौरान थोड़ी आपको सावधानी का ध्यान देना पड़ेगा पिथौरागढ़ पहुंचने के लिए आपको पहले यहाँ के नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर जो 138 की मी की दुरी पर है और एयरपोर्ट 241 की मी की दुरी पर स्थित है बस मार्ग दिल्ली से 457 की मी की दुरी पर स्थित है इन तीनो तरीको से आप पिथौरागढ़ पहुँच सकते है यहाँ पहुंचने के बाद आपको यहाँ के मुख्य स्थल पर घूमने के लिए के लिए टैक्सी कार अन्य वाहन की सुविधा भी मिल जाएगी