Skip to main content
  • Add to Favorite

बागेश्वर जिला

0 Reviews

जानकारी


 मंदिरो का शहर कहे जाने वाला बागेश्वर, कुमाऊं मंडल में स्थित है। भीलेश्वर और नीलेश्वर पहाड़ियों से घिरा बागेश्वर सरयू और गोमती नदी के संगम पर स्थित है। यह स्थान अपने खूबसूरत वातावरण, ऊँचे हिमशिखर पर्वत, नदियों के साथ अपने प्राचीन मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रत्येक क्षेत्र से दिखने वाले विहंगम दृश्य वा इसकी सुंदरता के विपरीत बाघेश्वर को एक धार्मिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। पहले के समय में बागेश्वर को कुमाऊं और तिब्बत के बीच होने वाले व्यापर के केंद्र स्थल कहा जाता था, जिसे भारत और चीन युद्ध के पश्चात बंद कर दिया गया। पुराणों में

ख़ास महत्व रखने वाले इस स्थान पर आपको कई प्राचीन मंदिर जैसे भद्रकाली, ज्वाला देवी, अग्निकुंड, शीतला देवी वा अन्य देखने को मिल जाएंगे, हालाँकि उन सबसे बाघनाथ का मंदिर भक्तो में काफी मान्यता रखता है। साल भर इस मंदिर में भक्तो की काफी संख्या देखने को मिलती है, विशेषकर शिवरात्रि के समय। ऐसा कहा जाता है की ऋषि मार्कण्डेय ने अपनी तपस्या के लिए सरयू नदी के बीच में तपस्या की भगवान शिव की लेकिन लेकिन तपस्या से सरयू नदी का बहावो रूक गया जिस कारण भगवान शिव बाघ के रूप में अवतरित हुए और माता पार्वती गांय के रूप में जिससे बाघ गांय को खा सके और इससे ऋषि मार्कण्डये का ध्यान भंग हुआ और भगवान शिव ने मार्कण्डये को दर्शन इस कारण बागेश्वर नाम पड़ा इसका वैसे तो लोगो की कई तरह की अपनी

 अपनी मान्यता है बागेश्वर की । पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु बागेश्वर में आपको ट्रैकिंग करने के लिए कई स्थान मिल जाएंगे। बात करें पिंडारी ग्लेशियर की जो उत्तराखण्ड के मुख्य ग्लेशियरो में से एक माना जाता है इसका ट्रैकिंग का रास्ता लगभग 11 किलोमीटर का इसका ट्रेक लोहारखेत से शुरू होता है और इस 11 की मी के रास्ते में रहे भरे मैदान ऊँचे ऊँचे बर्फीले पर्वतारोहण व् गहरे सूंदर वन दिखाई देंगे जो आपके मन को मोह लेंगे यह ट्रेक जानकारी यक्ति के साथ ही करें ,मनस्यारी , नामिक, सुन्दरढूंगा और काफनी जैसे

हिमशिखरों पर ट्रैकिंग करने का अनुभव प्राप्त कर सकते है। इन सबसे विपरीत बागेश्वर की परम्परा वा रीती रिवाज आज भी प्रसिद्ध है, जहाँ स्थानीय लोग बिखौती, हरेला, सिम्हा और घी सक्रांति, कोजागर, हरिताली व्रत जैसे त्यौहार मनाते आज भी बड़े ही धूम धाम से मनाते है। यहाँ का उत्तरायणी मेला काफी प्रसिद्ध है, जिसे कुमाऊं का सबसे बड़ा मेला भी माना जाता है। इसके अलावा बागेश्वर अपने स्वादिष्ठ खाने जैसे बाल मिठाई, सिंगौरी, मड़ुआ की रोटी, गोथ की दाल, झंगोरा की खीर, व सिसुनक का साग के लिए भी जाना जाता है। अनदेखा मंदिरो का शहर कहे जाने वाले बागेश्वर में आप सड़क, रेल, तथा हवाई मार्ग से आ सकते है।

बागेश्वर की बात करें पहले यह जिला अल्मोड़ा में आता था 15 सितम्बर 1997 को अलग कर दिया गया था यहाँ की संस्कृति को जानते हुए ब्रिटिश शासककाल 1800 के समय बागेश्वर में यहाँ मात्र 10 गाँव हुआ करते थे बागेश्वर देखा जाये सरयू और गोमती नदी के संगम से यह शहर प्रचलित है पौराणिक कथाओं के अनुसार बताया जाता है मोक्ष के देवता कहे जाने वाले विष्णु भगवान की पुत्री मानस सरयू नदी को धरती पर लेकर आई थी जिस कारण इसका संगम बहुत पवित्र माना जाता है और हर रोज यहाँ हज़ारो की

 तागाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है इसके ऊपर एक झूला पल भी बनाया गया है जो 1913 के तहत बना था और दूसरा 1970 के दोरान मोटर पूल बनाया गया जो बागेश्वर में काफी मसहूर है समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 935 मीटर (3,068 फ़ीट) है। यहाँ पर घूमने लिए आपको पहले इसके नजदीकी काठगोदाम ,एयरपोर्ट 184 की मी की दुरी पर है या आप ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भी सकते हो यहाँ पर पहुँचने के पश्चात इन जगहों पर जाने के लिए टैक्सी ,कार अन्य वाहनों की सुविधा मिल जाएगी

यहाँ पर कैसे जाएँ

देहरादून से तक़रीबन 315 किमी दूर स्थित बागेश्वर में आप सड़क, रेल तथा हवाई मार्ग से आ सकते है। राज्य के प्रमुख स्थानों से सड़क मार्ग से जुड़े इस स्थान पर आप बस तथा निजी टैक्सी की सेवा लेकर आ सकते है, जिसकी सुविधा आपको अपने नजदीकी बस स्टैंड से मिल जाएगी। इसके निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम में 154 किमी दूर स्थित है, जो की देश के प्रमुख रेल मार्गो से जुड़ा हुआ है, वही नजदीकी एयरपोर्ट 188 किमी दूर पंतनगर में स्थित है।

यात्रा के लिए सबसे अच्छा मौसम

बागेश्वर में आप साल में कभी भी आ सकते है, हालाँकि मार्च से मई और सितम्बर से दिसंबर तक का समय सबसे अनुकूल माना जाता है। बरसात के समय इस स्थान पर आपको थोड़ी परेशानियां का सामना करना पड़ सकता है, जो आपकी यात्रा में खलल डाल सकता है।

समुद्र तल से ऊँचाई

समुद्र तल से इस स्थान की ऊँचाई लगभग 935 मीटर (3,068  फ़ीट) है।

मौसम का पूर्वानुमान

स्थान

निकट के घूमने के स्थान

जानिए यात्रियों का अनुभव