अल्मोड़ा उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल में स्थित है, जो की कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़, बागेश्वर वा नैनीताल जिलों के साथ गढ़वाल मण्डल से घिरा हुआ है। इसकी दूरी देहरादून से 343 किमी है जहा पर्यटक सड़क, रेल, तथा हवाई मार्ग से आ सकते है। घोड़े की नाल के अकार की पहाड़ में बसा अल्मोड़ा अपनी खूबसूरती के लिए बेहद चर्चित है। इसकी खूबसूरती का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की यहाँ; स्वामी विवेकनंद, महात्मा गाँधी व उनकी पत्नी कस्तूरबा गाँधी, रविंद्र नाथ टैगोर, मोती लाल नेहरू,
जवाहरलाल नेहरू और विजय लक्ष्मी पंडित जैसी और भी कई महान हस्तिया इस जिले में पधार चुके है। इतना ही मलेरिया पैरासाइट की खोज करने वाले और मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सर रोनाल्ड रॉस का जन्म अल्मोड़ा में सन 1857 में हुआ था।अपनी सांस्कृतिक विरासत, व्यंजन, एवं हिमालय के विहंगम दृश्यों से अल्मोड़ा हर साल हजारो पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। अपनी खूबसूरती के अलावा अल्मोड़ा कुमाऊं क्षेत्र का एहम धार्मिक स्थल है, जिसकी ख्याति देश विदेश में है। यहाँ स्थित माँ दुर्गे के नौं स्वरूपों को समर्पित नौं दुर्गा मंदिर में भक्त दूर-दूर से दर्शन करने आते है, जिनमे से नंदा देवी का मंदिर
काफी प्रसिद्ध माना जाता है। नंदा देवी के मंदिर में सितम्बर माह में लगने वाला मेला 400 वर्षो से इस मंदिर का अभिन्न अंग बना हुआ है, जिसको देखने काफी संख्या में लोग एकत्रित होते है। इसके साथ यहाँ स्थित कासार देवी, बिनसर महादेव मंदिर और चितई गोलू मंदिर में भी भक्तो की काफी गहरी आस्था है। वैसे तो अल्मोड़ा में आपको अनेक मंदिर देखने को मिल जाएंगे लेकिन यहाँ स्थित जागेश्वर धाम केमंदिर का इतिहास 2500 वर्ष पुराना है। वास्तुकला का बेहतरीन उदहारण माने जाने वाला यह मंदिर भगवान शिव को
समर्पित है, जिसमे छोटे बड़े 124 मंदिर है जो कटे पत्थर के बने इन छोटे बड़े मंदिर कुछ ज्योतिर्लिंग भी देखने को मिलेंगे जैसे नागेश्वर मदिंर (गुजरात द्वारिका )जिसकी पूरी आकृति आपको ज्योतिर्लिंग से मिलती है मंदिर आपको देवदारो और चीड़ के पेड़ो से घिरा मिलेगा मंदिर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जानो तो कई हज़ारो साल पुराना है दर्शन करने के पश्चात् एक आपके शरीर की सकारात्मकता बढ़ाता है धार्मिक पहचान के साथ अल्मोड़ा पर्यटकों के लिए एक रोमांचकारी स्थान भी है, जहाँ का जागेश्वर ट्रेक पर्यटकों में काफी प्रचलित है। कहा जाता है की अल्मोड़ा का नाम यहाँ अधिक मात्रा में पाए जाने वाले किल्मोड़ा से पड़ा। छोटी जाती का यह पौधा
पालक जैसा प्रतीत होता है जिसका उपयोग ग्रामीण वासी कटारमल में स्थित सूर्य मंदिर के बर्तन धोने में लाते है। लोक कथाओ से परिपूर्ण कुमाऊं का यहाँ जिला अपने छोलिया नृत्य व झोड़ा नृत्य के लिए मशहूर है, जिसमे ग्रामीण वासी पारम्परिक वेशभूषा धारण किये नृत्य प्रस्तुत करते है। यह रीति रिवाज कई सालो से चलते आ रहे है इस में आने के लिए ट्रांसपोर्ट मार्ग ,ट्रैन माध्यम ,हवाई जहाज तीनो तरीको से आ सकते है मंदिर से हवाई जहाज की दुरी 186 की मी व नजदीकी रेलवे स्टेशन जो 90 कि मी की दुरी पर है एयर पोर्ट रेलवे स्टेशन से आपको यहाँ आने के लिए टैक्सी ,कार अन्य वाहन की सुविधा मिल जाएगी